आई.सी.ए.आर.- राष्टीय जैविक स्ट्रैस प्रबंधन संस्थान में दिनाक 07 अक्टूबर 2023 को संस्थान
की 12 वाँ स्थापना दिवस समारोह मनाया गया। इस अवसर पर पद्म भूषण डॉ. आर. एस.
परादा अध्यक्ष टी.ए.ए.एस.; पूर्व सचिव डेयर एवं महानिदशक आईसीएआर, नई दिल्ली मुख्य
अतिथि। डॉ. एस.एन.निगम पूर्व प्रधान वैज्ञानिक, इक्रिसैट, हैदराबाद, डॉ. जी. मणि मुख्य
महाप्रबंधक, नाबार्ड, रायपुर, डॉ एस.एस. बघेल पूर्व कुलपति केन्दीय विष्वविद्यालय, इम्फाल
विषिष्ट अतिथि के रूप उपस्थित थे।
स्थापना दिवस पर संस्थान के निदषक एवं कुलपति डॉ. पी.के.घोष ने आये हुए सभी
अतिथियों एवं किसानो का अभिनन्दन किये एवं संस्थान के आधुनिक सुविधाओं, विषिष्ट
उपलब्धिया एवं संस्थान द्वारा किसानों के लिए कई चलाये जा रहे कल्याणकारी योजनाऐं एवं
गतिविधियो के बारे में अवगत कराया एवं संस्थान की फिल्म दिखाई गई।
नाबार्ड रायपुर के सी.जी.एम डॉ. जी. मणि ने नाबार्ड में किसानो और ग्रामीण युवाओं के लिए
चल रही लाभकारी योजनाआ और विभिन्न बैंकिग सैक्टरो के द्वारा किसानो को दिए जाने वाल
योजनाआ तथा किसान उत्पादक संगठन बनाकर कृषि प्रषिक्षण दिए जा रहे है, के बारे में
जानकारी दी। उन्हान संस्थान द्वारा बायोटिक स्टेस मैनेज्ड माडल विलेज की प्रषंसा करते
हुए कहा की संस्थान के साथ गांव के किसानो के लिए संयुक्त रूप स इन्वेंट्री विकास करने
की इच्छा जतायी।
डॉ. बघेल ने किसाना का सघन खेती प्रणाली तथा अधिकतम उत्पादन के लिए एकीकृत
खरपतवार, पोषक तत्व, कीट एवं फसल रोग के प्रबंधन के बारे में अवगत कराया।
डॉ. निगम ने अपन उद्बोधन म उच्च उत्पादक अजैविक पेस्ट प्रतिरोधक क्षमता वाले किस्मों
के साथ खेती के आधुनिक उपकरणा के उपयोग से अधिकतम उत्पादन प्राप्त करने की
जानकारी दी।
कार्यक्रम के दौरान मुख्य अतिथि पद्म भूषण डॉ. परादा ने संस्थान के 11 वर्षों के उत्कृष्ठ
उपल्बधियां की सराहना करते हुए स्थापना दिवस की बधाई दी। ’’भारत म कृषि-खाद्य प्रणाली
परिवतन के लिए महत्वपूर्ण नवाचारा को बढ ़ाना’’ के विषय में वैज्ञानिको एवं किसानों को
संबोधित करते हुए बताए की पहले हम खाद्यानो के लिए दसरे देषों स आयात पर निर्भर थे
किन्तु कृषि में सतत् क्रांति के फलस्वरूप उत्पादन में लगातार वृद्धि हुई है जिससे किसाना की
आय दोगुनी हुई है और निरन्तर सतत् क्रांति के लिए उत्पादन के बाद होने वाले नुकसान, कृ
षि लागत में कमी संरक्षण कृषि अच्छी सस्य प्रथायें के साथ आधुनिक कृषि उपकरण एवं
तकनीकी, रोबोटिक खेती तथा आर्टिफिषियल ईटेलिजस का उपयोग कर बढ़ती हुई जनसंख्या
की खाद्यान आपूर्ति एवं खाद्यान सुरक्षा की जा सके। डॉ. परादा जी न वन हल्थ कान्सेप्ट के
बारे म बताते हुए कहा की पर्यावरण, पशु तथा मानव स्वास्थ्य के लिए अच्छे फसल हतु अच्छी
जमीन से अच्छा स्वास्थ्य प्राप्त की जा सकती है। डॉ. परोदा जी न चाईल्ड मालन्युट्रिषियन
वैष्विक चुनौती के बारे में बताते हुए कहा कि 46ः बच्चे जोकि 5 वर्ष से कम है कुपोषण के
षिकार हैं, जिसके लिए हमे फूड बास्केट में उद्यानिकी फल, दध, मछली एवं मिलटस को लान
की आवष्यक्ता है।