सुप्रीम कोर्ट का सख्त आदेश: आरजी कर अस्पताल मामले में पीड़िता की पहचान की सुरक्षा प्राथमिकता

 नई दिल्ली:  कोलकाता के आरजी कर अस्पताल में एक 31 वर्षीय महिला डॉक्टर (प्रशिक्षु) के दुष्कर्म और हत्या के मामले में सुप्रीम कोर्ट में आज सुनवाई हुई। इस संवेदनशील मामले में, अदालत ने यह गंभीर चिंता जताई कि पीड़िता की पहचान से जुड़े कई सोशल मीडिया पोस्ट सामने आए हैं, जो उसकी निजता को भंग कर रहे हैं। सुनवाई के दौरान वकील ने अदालत में बताया कि इन पोस्टों में पीड़िता का नाम और तस्वीरें सार्वजनिक की जा रही हैं, जिससे उसकी सुरक्षा को खतरा पैदा हो सकता है।

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सुप्रीम कोर्ट ने इस पर कड़ा रुख अपनाते हुए अपने पहले के आदेश को दोहराया कि आरजी कर अस्पताल मामले में किसी भी व्यक्ति या मध्यस्थ को पीड़िता का नाम और फोटो प्रकाशित करने की अनुमति नहीं है। अदालत ने यह भी स्पष्ट किया कि ऐसी हरकतें न केवल कानूनी दृष्टि से गलत हैं, बल्कि यह पीड़िता के लिए मानसिक और भावनात्मक संकट का कारण बन सकती हैं।

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इस सुनवाई का उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि पीड़िता की पहचान की रक्षा की जाए और यह मामला संवेदनशीलता और संवैधानिक अधिकारों के अनुसार आगे बढ़े। कोर्ट ने इस मामले की गंभीरता को ध्यान में रखते हुए संबंधित अधिकारियों से आवश्यक कदम उठाने की भी अपील की है, ताकि ऐसी घटनाओं को भविष्य में रोका जा सके। इस प्रकार, सुप्रीम कोर्ट ने महिला की गरिमा और सुरक्षा को सर्वोच्च प्राथमिकता दी है, जो एक महत्वपूर्ण सामाजिक संदेश भी है।