“सुनीता आहूजा का बेमिसाल बयान: बॉलीवुड में नेपोटिज्म के खिलाफ आवाज उठाई, साउथ इंडस्ट्री और बेटी टीना के करियर पर दी अपनी राय”
बॉलीवुड के मशहूर अभिनेता गोविंदा की पत्नी सुनीता आहूजा एक सशक्त और बेबाक व्यक्तित्व की मालिक हैं, जो अपनी राय स्पष्टता से जाहिर करती हैं। हाल ही में एक इंटरव्यू में उन्होंने फिल्म इंडस्ट्री में व्याप्त नेपोटिज्म के मुद्दे पर अपनी बात रखी। हालांकि वह खुद एक स्टार वाइफ और अपने बच्चों के स्टार किड्स होने के बावजूद, उन्होंने खुलकर यह कहा कि बॉलीवुड में चंद चुनिंदा परिवारों के सदस्य ही काम पाते हैं और अन्य कलाकारों को मौके नहीं मिलते।
सुनीता आहूजा का मानना है कि बॉलीवुड में ग्रुपिज्म का बोलबाला है, जहां अच्छे और योग्य कलाकारों को अनदेखा कर दिया जाता है, अगर वे किसी विशेष ग्रुप का हिस्सा नहीं होते। उनका कहना है कि ये प्रथा पूरी इंडस्ट्री को नुकसान पहुंचा रही है, और इसलिए उन्हें लगता है कि नेपोटिज्म को खत्म कर सभी को बराबरी का मौका दिया जाना चाहिए। सुनीता ने बॉलीवुड की इस स्थिति का विरोध करते हुए कहा, “दूसरों को भी काम करने का मौका देना चाहिए।”
आगे चलते हुए, सुनीता ने साउथ इंडस्ट्री के प्रति अपनी पसंद भी जाहिर की। उनका कहना था कि बॉलीवुड के मुकाबले साउथ इंडस्ट्री में फिल्मों का चयन ज्यादा बेहतर तरीके से किया जा रहा है, जबकि बॉलीवुड में तो सिर्फ कुछ ग्रुप्स का दबदबा है।
उनकी चिंता की मुख्य वजह उनकी बेटी टीना आहूजा का फिल्मी करियर है, जिनका बॉलीवुड में सही अवसर नहीं मिल पाया। टीना आहूजा ने 2015 में फिल्म ‘सेकंड हैंड हसबैंड’ से डेब्यू किया था, लेकिन इसके बाद वह ज्यादा शोहरत नहीं पा सकीं और फिलहाल उनके पास कोई बड़ा प्रोजेक्ट नहीं है। यह स्थिति ना केवल सुनीता के लिए, बल्कि उन सभी के लिए चिंताजनक है जो खुद को योग्य समझते हुए अवसर की प्रतीक्षा कर रहे हैं।
इसके अलावा, सुनीता आहूजा ने व्यक्तिगत रिश्तों पर भी अपनी राय दी, जब एक इंटरव्यू के दौरान उनसे बेवफाई के बारे में सवाल पूछा गया। उन्होंने साफ तौर पर कहा, “मैं हर महिला से हाथ जोड़कर कहूंगी कि कभी भी यह मत कहो कि आपके साथी की कोई गलती नहीं है। अगर आपका पार्टनर ऐसा करता है, तो वह बहुत बुरा होता है।” इस बयान के बाद सोशल मीडिया पर प्रतिक्रियाओं की बाढ़ आ गई और कई यूजर्स ने इस पर टिप्पणी करते हुए कहा कि सुनीता शायद अपनी ही कहानी बता रही थीं।
सुनीता आहूजा का यह बेबाक और स्पष्ट विचार न केवल उनके परिवार और बच्चों के भविष्य की चिंता को उजागर करता है, बल्कि बॉलीवुड इंडस्ट्री में बदलाव की जरूरत पर भी एक सवाल खड़ा करता है।