कठिन परिश्रम से सफलता की कहानी: बस ड्राइवर के बेटे यश से लेकर नेशनल स्टारडम तक का सफर
भारतीय सिनेमा के चर्चित चेहरे और ‘केजीएफ’ फ्रैंचाइज़ी के सुपरस्टार यश का जीवन संघर्ष और सफलता की मिसाल है। कन्नड़ सिनेमा में अपनी पहचान बनाने और वैश्विक स्तर पर स्टारडम हासिल करने वाले यश का सफर आसान नहीं था। उन्होंने साधारण पृष्ठभूमि से निकलकर अपनी मेहनत, लगन और संकल्प के दम पर सिनेमा की ऊंचाइयों को छुआ।
एक साधारण शुरुआत
यश का असली नाम नवीन कुमार गौड़ा है। उनका जन्म एक साधारण परिवार में हुआ। उनके पिता कर्नाटक के एक छोटे से शहर में बस ड्राइवर थे, और परिवार का जीवन बेहद सामान्य था। पर यश के सपने उनकी परिस्थिति से कहीं बड़े थे। उन्होंने 16 साल की उम्र में ही अपने माता-पिता को सिनेमा में करियर बनाने के लिए मना लिया और घर छोड़ दिया।
बेंगलुरु आकर यश को काफी संघर्षों का सामना करना पड़ा। उनकी जेब में सिर्फ 300 रुपये थे और इस बड़े शहर ने उन्हें शुरू में डरा दिया। लेकिन यश ने हार नहीं मानी। उन्होंने खुद को बैंगलोर की ‘बेनका ड्रामा ट्रूप’ से जोड़ा और वहां छोटे-मोटे काम करने लगे। चाय परोसने और बैकस्टेज हैंड के तौर पर काम करते हुए वे रोजाना 50 रुपये कमाते थे। इसी दौरान उन्होंने थिएटर से अभिनय की बारीकियां सीखीं और अपने कौशल को निखारा।
टेलीविजन से फिल्मों तक का सफर
थिएटर से शुरुआती अनुभव लेने के बाद यश ने टेलीविजन की ओर रुख किया। उन्हें सबसे पहले नंदा गोकुला नामक कन्नड़ टीवी सीरीज में अभिनय का मौका मिला। यहां उनकी मुलाकात उनकी होने वाली पत्नी, अभिनेत्री राधिका पंडित से हुई। इसके बाद यश ने 2007 में सहायक भूमिकाओं में फिल्मों में कदम रखा।
पहचान और शुरुआती सफलता
यश ने अपनी पहली मुख्य भूमिका 2008 में फिल्म रॉकी में निभाई। इसके बाद उन्होंने मोडालासाला में अपने अभिनय से दर्शकों के दिलों में जगह बनाई। यह रोमांटिक कॉमेडी उनकी पहली व्यावसायिक सफलता थी। इसके बाद उन्होंने किराटका, ड्रामा, गुगली, मिस्टर एंड मिसेज रामचारी और मास्टरपीस जैसी फिल्मों से खुद को कन्नड़ सिनेमा के बड़े स्टार के रूप में स्थापित किया।
‘केजीएफ’ ने बदली जिंदगी
2018 में यश की जिंदगी ने नया मोड़ लिया जब उन्हें ‘केजीएफ: चैप्टर 1’ में मुख्य भूमिका निभाने का मौका मिला। इस फिल्म ने कन्नड़ सिनेमा को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पहचान दिलाई और यश को नेशनल स्टार बना दिया। इस फिल्म ने बॉक्स ऑफिस पर 250 करोड़ रुपये की कमाई की और कन्नड़ सिनेमा की सबसे बड़ी ब्लॉकबस्टर बनी।
इसके बाद 2022 में ‘केजीएफ: चैप्टर 2’ ने भारतीय सिनेमा के इतिहास में नया अध्याय लिखा। इस फिल्म ने 1250 करोड़ रुपये से अधिक की कमाई की और दुनिया भर में यश की लोकप्रियता को आसमान पर पहुंचा दिया।
एक साधारण लड़के से इंटरनेशनल स्टार तक का सफर
यश का सफर इस बात का प्रमाण है कि कठिन परिश्रम, दृढ़ निश्चय और अपने सपनों पर विश्वास के दम पर कोई भी ऊंचाई हासिल की जा सकती है। कभी 50 रुपये प्रतिदिन पर गुजारा करने वाले यश, आज ‘रामायण’ फिल्म में रावण की भूमिका निभाने के लिए 200 करोड़ रुपये चार्ज कर रहे हैं।
उनकी आगामी फिल्म नितेश तिवारी की रामायण बताई जा रही है, जिसमें वे रणबीर कपूर और साई पल्लवी के साथ नजर आएंगे। यह फिल्म भारत की सबसे महंगी फिल्म मानी जा रही है, और यश इसके सह-निर्माता भी हैं।
प्रेरणा का प्रतीक
यश का यह प्रेरणादायक सफर उन सभी के लिए एक सीख है, जो साधारण पृष्ठभूमि से होने के बावजूद अपने सपनों को साकार करना चाहते हैं। उनकी कहानी हमें सिखाती है कि सपनों का पीछा करने में डर या बाधा को कभी आड़े नहीं आने देना चाहिए। यश के जीवन ने यह साबित कर दिया कि सच्ची मेहनत और लगन से असंभव को भी संभव बनाया जा सकता है।