बैंक सखी राधा कश्यप की कहानी: आर्थिक मजबूती के सफर में बिहान योजना का योगदान

बस्तर क्षेत्र के दूरदराज के गांवों में शासन की जनकल्याणकारी योजनाओं का असर अब स्पष्ट रूप से दिखाई दे रहा है। विशेषकर, बिहान योजना ने ग्रामीण महिलाओं को सशक्त बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। कोंडागांव जिले के माकड़ी विकास खंड के गुमड़ी गांव की राधा कश्यप इस बदलाव की जिंदा मिसाल हैं, जिन्होंने अपने जीवन में आए तूफानी हालातों का सामना करते हुए सफलता की नई ऊँचाइयों को छुआ है।

परिस्थितियों से संघर्ष और निर्णय का समय

राधा कश्यप अपने पति और दो बच्चों के साथ मिलकर जीवन की चुनौतियों का सामना कर रही थीं। पहले उनके परिवार की स्थिति बेहद खराब थी, जहां उनका पति मुश्किल से खेती करके दो वक्त की रोटी जुटा पाते थे। राधा का सारा समय घरेलू कामों और खेती में निकल जाता था, जिससे उन्हें अपनी प्रतिभा और क्षमताओं को विकसित करने का अवसर नहीं मिलता था। लेकिन राधा ने हार नहीं मानी। 2016 में, उन्होंने दुर्गा स्वसहायता समूह से जुड़ने का निर्णय लिया, जो उनके आत्मनिर्भर बनने की यात्रा का पहला कदम बना।

कोंडागांव

बिहान योजना का सशक्तिकरण

स्वसहायता समूह के माध्यम से राधा को बिहान योजना के तहत बैंक सखी बनने का अवसर मिला। उन्होंने जगदलपुर के आरसेटी में 10 दिन का प्रशिक्षण लिया, जहां उन्होंने वित्तीय साक्षरता और कंप्यूटर का ज्ञान प्राप्त किया। इस प्रशिक्षण ने उन्हें बैंकिंग सेवाओं को समझने में मदद की, जिससे उन्होंने 2018 में 68,000 रुपये का ऋण लिया और छत्तीसगढ़ राज्य ग्रामीण बैंक के लिए बैंक सखी के रूप में कार्य करना शुरू किया।

अब राधा हर महीने लगभग 10 से 12 हजार रुपये कमाती हैं, जो उनके परिवार के लिए एक महत्वपूर्ण आर्थिक सहारा बन गया है। राधा ने अपनी आय से अपने पति के लिए एक किराना दुकान खोलने में भी मदद की, जिससे उनके परिवार की वित्तीय स्थिति में सुधार हुआ है।

समुदाय के विकास में योगदान

राधा को दो पंचायतों में तीन गांवों का दायित्व सौंपा गया है, जिनकी कुल जनसंख्या लगभग 2500 है। वह प्रतिदिन लगभग 1.5 लाख रुपये का लेनदेन करती हैं, और अब तक 503 बचत खाते खोल चुकी हैं। उन्होंने 1 लाख 60 हजार डिजिटल लेनदेन किए हैं, जिनमें कुल 2 करोड़ 50 लाख रुपये का लेनदेन हुआ है। राधा ने 30,000 मनरेगा मजदूरों को लाभ पहुंचाया है और वृद्धावस्था पेंशन योजना के तहत हर महीने 25 लोगों की पेंशन का भुगतान घर-घर जाकर करती हैं।

इसके अलावा, राधा ने कॉमन सर्विस सेंटर के माध्यम से ई-श्रम और आयुष्मान कार्ड बनाने का कार्य भी किया है, जिससे उन्हें 30,000 रुपये की कमीशन प्राप्त हुई है। वह प्रधानमंत्री जीवन ज्योति बीमा योजना और प्रधानमंत्री सुरक्षा बीमा योजना का लाभ भी 1,000 से अधिक लोगों तक पहुंचा चुकी हैं। इस तरह से राधा ने गांव में सरकारी योजनाओं का त्वरित और सुगम लाभ पहुंचाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।

एक नई पहचान और आभार

राधा कश्यप की सफलता की कहानी सिर्फ उनके लिए नहीं है, बल्कि उन लाखों महिलाओं के लिए भी है, जिन्होंने बिहान योजना के तहत आत्मनिर्भरता की ओर कदम बढ़ाया है। राधा का कहना है कि “बिहान योजना ने मेरे जीवन को बदल दिया है। इसके माध्यम से मैंने अपने पति को आर्थिक मदद की है।” उन्होंने राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन का आभार व्यक्त करते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय को धन्यवाद दिया।

राधा की कहानी हमें यह सिखाती है कि दृढ़ संकल्प और सही अवसर मिलने पर कोई भी अपनी परिस्थितियों को बदल सकता है। आज राधा कश्यप सिर्फ अपने परिवार की नहीं, बल्कि पूरे गांव की एक प्रेरणा बन गई हैं।