“शरद पूर्णिमा: जाने कब और क्यों मनाई जाती है शरद पूर्णिमा एवं इसके धार्मिक महत्त्व”

शरद पूर्णिमा, जिसे भारतीय संस्कृति में ‘कोजागर पूर्णिमा’ के नाम से भी जाना जाता है, हर साल कार्तिक मास की पूर्णिमा को मनाई जाती है। यह त्योहार हिंदू पंचांग के अनुसार आमतौर पर अक्टूबर और नवंबर के बीच आता है, जब चंद्रमा अपनी पूरी चमक के साथ आकाश में होता है। इस दिन का विशेष महत्व है, क्योंकि इसे चंद्रमा की रोशनी से संबंधित कई धार्मिक और सांस्कृतिक मान्यताएँ जुड़ी हुई हैं।

धार्मिक महत्व
शरद पूर्णिमा का दिन देवी लक्ष्मी और भगवान कृष्ण की पूजा के लिए विशेष रूप से माना जाता है। मान्यता है कि इस दिन देवी लक्ष्मी ने भगवान विष्णु से विवाह किया था। इसलिए, इस दिन देवी लक्ष्मी की पूजा करने से धन, समृद्धि और सुख-समृद्धि की प्राप्ति होती है। विशेष रूप से इस दिन रात्रि को चंद्रमा की रोशनी में खीर या दूध से बने व्यंजनों का भोग चढ़ाया जाता है, क्योंकि ऐसा माना जाता है कि चंद्रमा की रोशनी में विशेष औषधीय गुण होते हैं, जो स्वास्थ्य और समृद्धि के लिए लाभदायक होते हैं।

उत्सव की परंपरा
शरद पूर्णिमा के दिन विभिन्न स्थानों पर विशेष उत्सव मनाए जाते हैं। खासकर, उत्तर भारत में, इस दिन को ‘कोजागर पूर्णिमा’ के नाम से मनाया जाता है, जहां लोग रातभर जागते हैं और चंद्रमा की पूजा करते हैं। इस रात को खीर बनाना और उसे चंद्रमा को अर्पित करना एक प्रमुख परंपरा है। परिवार के सदस्य एक साथ मिलकर इस दिन की विशेष रात्रि का आनंद लेते हैं और चंद्रमा के दर्शन करते हैं।

स्वास्थ्य और समृद्धि
शरद पूर्णिमा का यह त्योहार केवल धार्मिक महत्व नहीं रखता, बल्कि इसे एक प्राकृतिक स्वास्थ्य उत्सव के रूप में भी मनाया जाता है। इस दिन चंद्रमा की रोशनी में रात बिताने से मानसिक शांति और शारीरिक स्वास्थ्य में सुधार की संभावनाएं बढ़ती हैं। कई लोग मानते हैं कि इस रात को चंद्रमा की रोशनी में रहकर स्वास्थ्य लाभ मिलता है, जिससे जीवन में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है।

निष्कर्ष
इस प्रकार, शरद पूर्णिमा एक ऐसा त्योहार है जो धार्मिक आस्था, सांस्कृतिक परंपराओं और प्राकृतिक स्वास्थ्य के महत्व को जोड़ता है। यह दिन न केवल देवी-देवताओं की पूजा का अवसर है, बल्कि एक नई ऊर्जा और समृद्धि की प्राप्ति का भी संकेत है। इसे मनाने का तरीका और परंपराएँ विभिन्न क्षेत्रों में भिन्न हो सकती हैं, लेकिन इस दिन का उद्देश्य एक समान है—धन, समृद्धि और खुशियों का स्वागत करना।