पुलिस ने इस मामले में मुनिरत्ना के अलावा छह अन्य लोगों के खिलाफ भी दुष्कर्म, यौन उत्पीड़न, आपराधिक धमकी, आपराधिक साजिश, और अन्य धाराओं के तहत मामला दर्ज किया है। मामला दर्ज करने से पहले, पुलिस को बुधवार रात को महिला की शिकायत मिली थी, जिसके बाद विधायक और अन्य आरोपियों के खिलाफ कार्रवाई की गई।
यह मामला तब सामने आया जब मुनिरत्ना को पहले ही एक अन्य मामले में जमानत मिली थी। एमपी एमएलए कोर्ट ने उन्हें एससी-एसटी अत्याचार मामले में दो लाख रुपये के मुचलके पर जमानत दी थी। लेकिन जैसे ही वह परप्पाना अग्रहारा जेल से बाहर आए, उन्हें तुरंत इस नए मामले में गिरफ्तार कर लिया गया।
पुलिस के अनुसार, मुनिरत्ना के खिलाफ यह शिकायत बंगलूरु पुलिस द्वारा पहले दर्ज किए गए दो मामलों से संबंधित है, जिसमें जातिवादी गालियाँ देने, धोखाधड़ी, और एक महिला की गरिमा को ठेस पहुँचाने के आरोप शामिल हैं। एक शिकायतकर्ता, ठेकेदार चेलुवराजू, ने मुनिरत्ना के साथ हुई फोन पर बातचीत का एक कथित ऑडियो रिकॉर्डिंग भी जारी किया है, जिसमें विधायक के व्यवहार का उल्लेख है।
14 सितंबर को हिरासत में लिए जाने के बाद से मुनिरत्ना पर यह आरोप भी लगे हैं कि उन्होंने एक पूर्व पार्षद को जातिवादी गाली दी थी और उत्पीड़न के कारण एक महिला को आत्महत्या के विचारों की ओर धकेल दिया था। इन घटनाओं ने कर्नाटक की राजनीति में हलचल मचा दी है, और भाजपा विधायक के खिलाफ कार्रवाई की मांग तेज हो गई है।
इस पूरे मामले ने न केवल राजनीतिक विवाद को जन्म दिया है, बल्कि समाज में भी यौन उत्पीड़न और महिलाओं के खिलाफ हिंसा के मुद्दों पर चर्चा को बढ़ावा दिया है। कई सामाजिक संगठनों और राजनीतिक विपक्ष ने इस मुद्दे पर कड़ी प्रतिक्रिया व्यक्त की है और विधायक के खिलाफ ठोस कार्रवाई की मांग की है |