सर्वपितृ अमावस्या: सूर्य ग्रहण का श्राद्ध कर्म पर नहीं होगा असर, जानें जरूरी बातें
सर्वपितृ अमावस्या 2 अक्टूबर को पड़ रही है, जो पितृ पक्ष के समापन का दिन होता है। इस दिन श्राद्ध, पिंडदान और तर्पण के माध्यम से पितरों को विदाई दी जाती है। इस साल सर्वपितृ अमावस्या के साथ ही 2 अक्टूबर की रात को सूर्य ग्रहण भी लगेगा। हालांकि, यह ग्रहण भारत में दिखाई नहीं देगा, इसलिए इसका कोई धार्मिक प्रभाव या सूतक काल नहीं माना जाएगा। इसके चलते श्राद्ध विधि, पिंडदान और तर्पण पर भी इसका कोई असर नहीं होगा, और श्रद्धालु अपने पितरों का श्राद्ध कर्म बिना किसी बाधा के कर सकते हैं।
तर्पण की विशेष विधि और परंपरा
पितरों को तर्पण करने का विशेष महत्व है, जिसे जल अर्पित करने की प्रक्रिया माना जाता है। लोग आमतौर पर तर्पण करने के लिए पवित्र स्थानों जैसे गया, हरिद्वार, प्रयागराज आदि जाते हैं। लेकिन अगर आप सूर्य ग्रहण के कारण इन स्थानों पर नहीं जा सकते हैं, तो अपने घर के पास किसी पवित्र नदी या झील के किनारे भी तर्पण कर सकते हैं।
घर आए व्यक्ति को खाली हाथ न लौटाएं
सर्वपितृ अमावस्या के दिन किसी भी व्यक्ति या जानवर को खाली हाथ नहीं लौटाना चाहिए। इस दिन जरूरतमंदों को भोजन कराना और उनका सम्मान करना शुभ माना जाता है। तामसिक भोजन और दालों का सेवन करने से भी बचना चाहिए, क्योंकि ऐसा करने से पितर नाराज हो सकते हैं और पितृदोष का सामना करना पड़ सकता है।
इस साल का आखिरी सूर्य ग्रहण 2 अक्टूबर की रात 9:13 बजे शुरू होगा और 3:17 बजे समाप्त होगा, लेकिन इसका कोई धार्मिक महत्व नहीं होगा। इसलिए, आप सर्वपितृ अमावस्या पर अपने पितरों का श्राद्ध और तर्पण विधिपूर्वक कर सकते हैं।