“संजय राउत ने महायुति गठबंधन और राज ठाकरे पर कसा तंज, भाजपा की आलोचना की”
मुंबई : शिवसेना नेता संजय राउत ने हाल ही में महायुति गठबंधन पर तीखा हमला बोला, यह आरोप लगाते हुए कि गठबंधन में शामिल दल केवल सत्ता के लिए एक साथ आए हैं और उनमें कोई वैचारिक समानता नहीं है। उन्होंने कहा कि ये दल पहले अपनी पार्टी की वित्तीय जरूरतों को पूरा करने में ध्यान लगाते हैं और इसके बाद सरकार बनाने के लिए एकजुट होते हैं। राउत ने सरकार बनाने के बाद विभागों के आवंटन में हो रही देरी पर भी सवाल उठाया और कहा कि महायुति सरकार विभागों के आवंटन में काफी देर कर रही है, जिससे कार्यप्रणाली में रुकावट आ रही है। उनका कहना था कि संरक्षक मंत्रियों की नियुक्ति का कोई फायदा नहीं है, क्योंकि ये मंत्री केवल अपने व्यक्तिगत लाभ के लिए कार्य करते हैं और वास्तविक रूप से जनता की समस्याओं के समाधान में असफल रहते हैं।
राउत ने उदाहरण देते हुए कहा कि अगर पंकजा या धनंजय मुंडे जैसे नेता बीड या परभणी के संरक्षक मंत्री बनते हैं, तो क्या वे वाकई उन स्थानों पर लोगों को न्याय दिलाने में सक्षम होंगे, जहां मानवाधिकार उल्लंघन या अन्याय हो रहा है? राउत का कहना था कि ये मंत्री केवल अपने पदों का लाभ उठाते हैं और किसी प्रकार के सार्थक परिवर्तन में योगदान नहीं करते।
इसके अलावा, राउत ने महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (मनसे) के प्रमुख राज ठाकरे पर भी निशाना साधा। उन्होंने कहा कि मनसे, भाजपा के साथ मिलकर काम कर रही है और ठाकरे का भाजपा नेताओं से जुड़ाव महाराष्ट्र के खिलाफ है। राउत ने दावा किया कि फडणवीस, मोदी और अमित शाह जैसे नेता महाराष्ट्र और मुंबई को लूटने के जिम्मेदार हैं, और अगर ठाकरे परिवार एकजुट होता है तो महाराष्ट्र की जनता इसका स्वागत करेगी। उनका कहना था कि लोगों का ठाकरे परिवार के साथ गहरा जुड़ाव है, और अगर ये दोनों पक्ष एकजुट होते हैं, तो यह राजनीतिक रूप से एक मजबूत गठबंधन होगा।
इसके अतिरिक्त, राउत ने चुनावी प्रक्रिया में हाल ही में हुए बदलावों पर भी चिंता जताई और इसे लोकतंत्र की हत्या करार दिया। उनका आरोप था कि नए चुनाव नियमों के तहत चुनाव आयोग से जानकारी की मांग करना अब संभव नहीं है, जो एक प्रकार की तानाशाही है। राउत ने भाजपा पर संवैधानिक मूल्यों के खिलाफ काम करने का आरोप लगाया और कहा कि नागरिकों को यह जानने का अधिकार होना चाहिए कि उनका वोट कहां गया और इसका क्या प्रभाव पड़ा। उनका सुझाव था कि अगर चुनावी प्रक्रिया में पारदर्शिता बनाए रखनी है तो ईवीएम के बजाय बैलेट पेपर से चुनाव कराए जाने चाहिए।
राउत के इस बयान से यह स्पष्ट होता है कि वे महायुति सरकार और भाजपा के खिलाफ एक कड़ा रुख अपनाए हुए हैं, और वे राज्य में सत्ताधारी गठबंधन की रणनीतियों को चुनौती दे रहे हैं। इस बयान से शिवसेना की राजनीतिक स्थिति और भविष्य की रणनीतियां भी सामने आ रही हैं, जिसमें वे न केवल भाजपा के गठबंधन को आलोचना कर रहे हैं, बल्कि माकपा और अन्य विपक्षी दलों से भी रिश्तों में बढ़ोतरी पर जोर दे रहे हैं।