हरियाणा कांग्रेस में ‘सैलजा टेंशन’: BJP नेत्री की नाराजगी को उठाया बड़ा मुद्दा, हुड्डा-सांसद के बीच बढ़ी दूरियां
हरियाणा : विधानसभा चुनावों की पृष्ठभूमि में कांग्रेस पार्टी एक गंभीर संकट का सामना कर रही है, जिसे ‘सैलजा टेंशन’ के नाम से जाना जा रहा है। कुमारी सैलजा, जो पार्टी की एक प्रमुख नेता और सांसद हैं, अपने ही पार्टी के भीतर असंतोष का शिकार हो गई हैं। विधानसभा चुनाव में उन्हें टिकट मिलने की उम्मीद थी, लेकिन भूपेंद्र सिंह हुड्डा के नेतृत्व वाले कैंप को प्राथमिकता मिलने के कारण उन्हें नकारा कर दिया गया। यह स्थिति न केवल सैलजा के लिए निराशाजनक है, बल्कि पार्टी के लिए भी एक बड़ा राजनीतिक संकट पैदा कर सकती है।
हालांकि सैलजा ने आठ दिनों से कोई प्रेस रिलीज जारी नहीं की है, लेकिन वह लगातार अपने समर्थकों से मिल रही हैं, जो उनके आवास पर जुट रहे हैं। इस बीच, सिरसा से सांसद के रूप में उनकी अनुपस्थिति सवाल उठाने लगी है, खासकर तब जब कांग्रेस ने हरियाणा की 90 सीटों में से 89 पर अपने उम्मीदवार घोषित किए हैं। सूत्रों के अनुसार, हुड्डा ने पार्टी में 72 उम्मीदवारों को टिकट देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई, जबकि सैलजा केवल 9 सीटों पर ही प्रभाव डाल सकी हैं।
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बीजेपी ने सैलजा के असंतोष को एक बड़ा मुद्दा बना दिया है, यह कहते हुए कि कांग्रेस दलित समुदाय के उत्थान के प्रति असंवेदनशील है। बीजेपी के वरिष्ठ नेता अनुराग ठाकुर ने टिप्पणी की कि अगर हुड्डा परिवार एक दलित नेता कुमारी सैलजा का सम्मान नहीं कर सका, तो अन्य दलितों के साथ क्या किया जाएगा? इस बीच, बहुजन समाज पार्टी (बीएसपी) के नेता आकाश आनंद ने भी सैलजा के अपमान का मुद्दा उठाते हुए उन्हें अपनी पार्टी में शामिल होने का निमंत्रण दिया है।
कुल मिलाकर, कुमारी सैलजा का असंतोष न केवल कांग्रेस के लिए एक आंतरिक चुनौती है, बल्कि यह हरियाणा में आगामी चुनावों में बीजेपी को एक नया अवसर प्रदान कर सकता है। सैलजा की नाराजगी और इस मुद्दे का राजनीतिक उपयोग चुनावी रणभूमि में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है।