संसद में हंगामा: तेजस्वी सूर्या ने विपक्ष के व्यवहार को बताया असंसदीय

नई दिल्ली:  बंगलूरू दक्षिण के सांसद तेजस्वी सूर्या ने हाल ही में लोकसभा स्पीकर ओम बिरला को एक पत्र लिखा है, जिसमें उन्होंने विपक्षी सांसदों पर गंभीर आरोप लगाए हैं। सूर्या का दावा है कि 14 अक्तूबर को संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) की बैठक के दौरान, विपक्षी सांसदों ने समिति के अध्यक्ष जगदंबिका पाल को धमकी दी और एक गवाह के साथ अनुचित व्यवहार किया।

यह घटना तब हुई जब जेपीसी ने कर्नाटक के राज्य अल्पसंख्यक आयोग के पूर्व अध्यक्ष अनवर मणिपड्डी को बुलाकर वक्फ भूमि से जुड़े एक घोटाले पर सुनवाई कर रही थी। मणिपड्डी ने 2012 की एक रिपोर्ट का हवाला देते हुए कहा कि लगभग 2,000 एकड़ वक्फ भूमि का बड़े पैमाने पर अतिक्रमण या बिक्री हुआ है, जिसकी अनुमानित कीमत दो लाख करोड़ रुपये है। इस भूमि के संबंध में कांग्रेस के कुछ नेताओं और निजी संस्थाओं पर भी गंभीर आरोप लगाए गए हैं कि उन्होंने करोड़ों रुपये का लाभ उठाया है।

सूर्या ने अपने पत्र में यह उल्लेख किया कि जैसे ही इस विवादास्पद मुद्दे पर चर्चा शुरू हुई, विपक्षी सांसदों ने बैठक को बाधित करना शुरू कर दिया। उन्होंने समिति के अध्यक्ष और गवाह को मौखिक रूप से धमकाने की कोशिश की और उनके दस्तावेज भी फाड़ दिए। यह घटना संसदीय शिष्टाचार का गंभीर उल्लंघन बताई जा रही है।

सूर्या ने लोकसभा स्पीकर से अनुरोध किया कि वह विपक्षी सांसदों को आचार संहिता का पालन करने का निर्देश दें और इस असंसदीय व्यवहार के लिए जिम्मेदार लोगों के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई की जाए। इस पत्र के माध्यम से तेजस्वी सूर्या ने न केवल अपनी चिंता व्यक्त की है, बल्कि उन्होंने संसद की गरिमा को बनाए रखने की भी अपील की है।

इस पत्र का महत्व इस संदर्भ में और भी बढ़ जाता है कि विपक्षी सांसदों ने भी स्पीकर को पत्र लिखकर जगदंबिका पाल पर संसदीय आचार संहिता का उल्लंघन करने का आरोप लगाया है। यह राजनीतिक विवाद इस बात को उजागर करता है कि भारतीय राजनीति में कैसे मुद्दों पर संवाद के बजाय धारा भंग करने की प्रवृत्ति बढ़ रही है।