जगन्नाथ मंदिर के रत्न भंडार की मरम्मत चार महीने से रुकी, मंदिर प्रशासन ने एएसआई से की कार्रवाई की मांग
जगन्नाथ मंदिर, भारत के चार पवित्र धामों में से एक, जगन्नाथ मंदिर, धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व का प्रतीक है। 12वीं शताब्दी में निर्मित इस भव्य मंदिर के गर्भ में स्थित “रत्न भंडार” अद्वितीय धरोहर और समृद्धि का केंद्र है। इस रत्न भंडार में भगवान जगन्नाथ, उनके भाई बलभद्र और बहन सुभद्रा के दिव्य आभूषण और अमूल्य धातुएं संग्रहित हैं। यह खजाना न केवल धार्मिक विश्वास का प्रतीक है, बल्कि भारतीय शिल्प और संपत्ति की प्राचीन विरासत को भी दर्शाता है।
रत्न भंडार की ऐतिहासिक पृष्ठभूमि और संरचना
रत्न भंडार का महत्व इसकी ऐतिहासिक संरचना और उसमें संग्रहित खजाने से है। इस भंडार को 14 जुलाई 1985 को अंतिम बार खोला गया था। इससे पहले, 1978 में इस खजाने की एक सूची बनाई गई थी, जो करीब 70 दिनों तक चली थी। इस सूची के अनुसार, भंडार से 12,831 भारी सोने और अन्य कीमती धातुओं के आभूषण तथा 22,153 भारी चांदी के सामान मिले थे। “भारी” या तोला की माप लगभग 12 ग्राम के बराबर होती है।
भीतरी और बाहरी भंडार का विवरण:
- भीतरी भंडार: 367 सोने के आभूषण (4,360 भारी) और 231 चांदी के सामान (14,828 भारी)।
- बाहरी भंडार: 87 सोने के आभूषण (8,470 भारी) और 62 चांदी के सामान (7,321 भारी)।
इन वस्तुओं में सोना, चांदी, हीरे, मूंगा, और अन्य रत्न शामिल थे। हालांकि, 14 वस्तुओं का वजन और मूल्यांकन संभव नहीं हो सका।
संरक्षण और मरम्मत की मौजूदा स्थिति
चार महीनों से अधिक समय से रत्न भंडार की मरम्मत और संरक्षण का कार्य रुका हुआ है। भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) ने हैदराबाद स्थित नेशनल जियोफिजिकल रिसर्च इंस्टीट्यूट (एनजीआरआई) की सहायता से जीपीआर-जीपीएस सर्वेक्षण किया। 45 पन्नों की इस रिपोर्ट में भंडार की दीवारों और फर्श को नुकसान की पहचान की गई।
मंदिर प्रशासन (एसजेटीए) ने इस प्रक्रिया को आगे बढ़ाने के लिए एएसआई से शीघ्र कार्रवाई की अपील की है। एसजेटीए के मुख्य प्रशासक अरबिंद पाधी ने कहा कि मंदिर प्रशासन मरम्मत और संरक्षण कार्य में हर संभव सहायता प्रदान करेगा।
खजाने की सुरक्षा और विवाद
1985 में भंडार के बंद होने के बाद, इसकी चाबी गायब होने का मामला भी सामने आया, जिसने बड़ा विवाद खड़ा किया। इससे पहले, 1978 की सूची निर्माण के दौरान खजाने की विशालता और समृद्धि का अंदाजा लगाया गया था। उस समय, वस्तुओं के मूल्य का आकलन नहीं किया गया था।
2021 में तत्कालीन कानून मंत्री प्रताप जेना ने विधानसभा में बताया था कि इस खजाने से प्राप्त धातुओं और आभूषणों का आर्थिक मूल्यांकन कभी नहीं किया गया।
आगे का रास्ता
रत्न भंडार के संरक्षण और मरम्मत का कार्य केवल इसके भौतिक अस्तित्व को बनाए रखने तक सीमित नहीं है। यह भारत की सांस्कृतिक और धार्मिक धरोहर को सहेजने का एक महत्वपूर्ण कदम है। इस कार्य में आधुनिक तकनीक और विशेषज्ञता का उपयोग कर इसे भावी पीढ़ियों के लिए संरक्षित करना अनिवार्य है।
जगन्नाथ मंदिर प्रशासन और भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण को एकजुट होकर इस कार्य को प्राथमिकता देनी चाहिए। यह न केवल मंदिर की स्थिरता और सुरक्षा सुनिश्चित करेगा, बल्कि इस ऐतिहासिक धरोहर के महत्व को वैश्विक स्तर पर भी पुनर्स्थापित करेगा।