“आरबीआई की नीतिगत घोषणा: रेपो रेट स्थिर, सीआरआर में 50 बेसिस प्वाइंट की कटौती”
नई दिल्ली: भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) की मॉनेटरी पॉलिसी कमेटी की बैठक के नतीजों की शुक्रवार को घोषणा की गई, जिसमें अहम नीतिगत निर्णय लिए गए। इस बार भी रेपो रेट में कोई बदलाव नहीं किया गया और यह लगातार 11वीं बार 6.50 प्रतिशत पर स्थिर रखा गया है। RBI गवर्नर शक्तिकांत दास ने इस फैसले की जानकारी देते हुए कहा कि केंद्रीय बैंक का उद्देश्य आर्थिक स्थिरता बनाए रखना और प्राइस स्टेबिलिटी को सुनिश्चित करना है, जो न केवल लोगों की क्रय शक्ति को प्रभावित करता है, बल्कि व्यवसायों और समग्र अर्थव्यवस्था के लिए भी महत्वपूर्ण है।
कमेटी ने इस बार सीआरआर (कैश रिजर्व रेश्यो) में 50 बेसिस प्वाइंट की कटौती का भी फैसला लिया है, जिससे सीआरआर घटकर 4 प्रतिशत हो गया है। यह कदम बैंकों को अधिक लिक्विडिटी प्रदान करने और उनकी लोन क्षमता को बढ़ाने के उद्देश्य से लिया गया है। सीआरआर वह प्रतिशत होता है, जिसे बैंक को अपनी कुल जमा राशि में से केंद्रीय बैंक के पास रिजर्व के रूप में रखना पड़ता है।
इसके अतिरिक्त, स्टैंडिंग डिपॉजिट फैसिलिटी (SDF) को 6.25 प्रतिशत पर और बैंक रेट तथा मार्जिनल स्टैंडिंग फैसिलिटी (MSF) को 6.75 प्रतिशत पर बरकरार रखा गया है। RBI गवर्नर ने कहा कि इस कदम से सरकार की महंगाई को नियंत्रित करने की कोशिशों को मदद मिलेगी और अर्थव्यवस्था में स्थिरता को बनाए रखने में मदद मिलेगी।
मॉनेटरी पॉलिसी कमेटी ने वित्त वर्ष 2025 के लिए महंगाई का अनुमान 4.8 प्रतिशत रखा है। इसके अलावा, इस वित्तीय वर्ष की तीसरी तिमाही (अक्टूबर-दिसंबर) में महंगाई 5.7 प्रतिशत और चौथी तिमाही (जनवरी-मार्च) में 4.5 प्रतिशत रहने का अनुमान है। वित्त वर्ष 2026 की पहली और दूसरी तिमाही के लिए महंगाई क्रमशः 4.6 प्रतिशत और 4 प्रतिशत रहने का अनुमान जताया गया है।
इस फैसले के बाद, अर्थशास्त्रियों और उद्योग जगत के विशेषज्ञों ने इसे सकारात्मक कदम माना है, जो बैंकों के पास अधिक लिक्विडिटी को लाएगा और आर्थिक विकास को प्रोत्साहित करेगा। हालांकि, महंगाई पर काबू पाने के लिए RBI को निरंतर निगरानी और सटीक रणनीतियां अपनानी होंगी।