राजिम कुंभ महोत्सव: बस 4 दिन शेष! 12 फरवरी को त्रिवेणी संगम में उमड़ेगा श्रद्धा का सैलाब, हजारों भक्त करेंगे पुण्य स्नान
रायपुर : प्रयागराज में इन दिनों महाकुंभ का भव्य आयोजन चल रहा है, जहां गंगा, यमुना और अदृश्य सरस्वती के पवित्र त्रिवेणी संगम में स्नान करने के लिए देश-विदेश से लाखों श्रद्धालु पहुंच रहे हैं। हर दिन संगम तट पर अपार भीड़ उमड़ रही है, जहां श्रद्धालु आस्था की डुबकी लगाकर पुण्य अर्जित कर रहे हैं। इस पावन अवसर पर छत्तीसगढ़ के विभिन्न गांवों और शहरों से हजारों श्रद्धालु भी प्रयागराज महाकुंभ में भाग लेने के लिए रवाना हो रहे हैं। धर्म और संस्कृति की गहरी जड़ों से जुड़े छत्तीसगढ़ के लोगों के लिए यह एक अनोखा आध्यात्मिक अनुभव है, जहां वे स्नान, साधना और सत्संग का लाभ उठा रहे हैं।
छत्तीसगढ़ भी अपनी समृद्ध धार्मिक परंपराओं और पवित्र संगम स्थलों के लिए प्रसिद्ध है। राज्य के गरियाबंद जिले में स्थित राजिम संगम को छत्तीसगढ़ का “छोटा प्रयागराज” कहा जाता है। यह स्थान महानदी, सोंढूर और पैरी नदी के त्रिवेणी संगम के लिए प्रसिद्ध है। जहां प्रयागराज में महाकुंभ और अर्धकुंभ का आयोजन होता है, वहीं छत्तीसगढ़ में राजिम कुंभ मेले का आयोजन किया जाता है, जो राज्य की धार्मिक और सांस्कृतिक धरोहर को समेटे हुए है।
राजिम कुंभ मेले का आयोजन माघ पूर्णिमा से लेकर महाशिवरात्रि तक किया जाता है, जिसमें हजारों श्रद्धालु आस्था की डुबकी लगाने के लिए उमड़ते हैं। इसे राजिम अर्धकुंभ भी कहा जाता है। यह मेला केवल एक धार्मिक आयोजन ही नहीं, बल्कि संतों, महापुरुषों, साधु-संतों, नागा संन्यासियों और विभिन्न आध्यात्मिक संप्रदायों के मिलन का भी केंद्र होता है। मेले में प्रवचन, भजन-कीर्तन, धार्मिक अनुष्ठान, गंगा आरती और सांस्कृतिक कार्यक्रमों का भी आयोजन किया जाता है, जो इसे एक भव्य आध्यात्मिक उत्सव का रूप देते हैं।
छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर से लगभग 50 किलोमीटर की दूरी पर स्थित राजिम का यह पावन संगम स्थल विशेष रूप से उन श्रद्धालुओं के लिए महत्वपूर्ण है, जो प्रयागराज नहीं जा सकते लेकिन संगम स्नान का पुण्य अर्जित करना चाहते हैं। छत्तीसगढ़ के लोग बड़ी श्रद्धा और भक्ति के साथ राजिम संगम में स्नान करने आते हैं और अपने परिवार के सुख-समृद्धि की कामना करते हैं।
राजिम कुंभ न केवल धार्मिक बल्कि ऐतिहासिक दृष्टि से भी महत्वपूर्ण है। इसे “सत्यमेव जयते” के आदर्शों को बढ़ावा देने वाला और छत्तीसगढ़ की गौरवशाली परंपरा को संजोने वाला पर्व माना जाता है। यहां स्थित राजीव लोचन मंदिर, कुलेश्वर महादेव मंदिर, और अन्य प्राचीन मंदिर इस स्थान की ऐतिहासिक और आध्यात्मिक गरिमा को बढ़ाते हैं।
जिस तरह प्रयागराज में महाकुंभ करोड़ों भक्तों के लिए मोक्षदायी माना जाता है, उसी तरह राजिम कुंभ भी श्रद्धालुओं के लिए गंगा-जमुना संस्कृति का प्रतीक बनकर उभरता है। छत्तीसगढ़ के लोगों के लिए यह एक स्वाभिमान और गर्व का विषय है कि उनके राज्य में भी एक ऐसा पवित्र संगम स्थल है, जहां लोग धर्म, आस्था और परंपराओं को सहेजने के लिए एकत्रित होते हैं।
इस बार जब प्रयागराज में महाकुंभ अपने पूरे भव्य स्वरूप में दिख रहा है, तब छत्तीसगढ़ में भी राजिम कुंभ मेले को लेकर विशेष उत्साह देखा जा रहा है। यहां भी हजारों श्रद्धालु त्रिवेणी संगम में स्नान कर धर्म और आध्यात्म का लाभ उठा रहे हैं। राजिम का यह अर्धकुंभ मेले का आयोजन, श्रद्धालुओं को पुण्य लाभ के साथ-साथ छत्तीसगढ़ की समृद्ध धार्मिक विरासत को और मजबूती प्रदान कर रहा है।