राहुल गांधी का बयान: जातीय जनगणना और आरक्षण पर अहम संदेश, देश में बदलाव की उम्मीद
धनबाद : कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी ने शनिवार को धनबाद जिले की बाघमारा विधानसभा सीट पर एक चुनावी जनसभा को संबोधित करते हुए जातीय जनगणना कराने और आरक्षण की 50 प्रतिशत की सीमा को समाप्त करने की प्रतिबद्धता जताई। उन्होंने कहा कि यदि ये दोनों महत्वपूर्ण काम हो जाते हैं, तो यह देश में क्रांतिकारी बदलाव की शुरुआत होगी, और ये बदलाव सिर्फ राजनीतिक नहीं, बल्कि समाज में गहरे असर छोड़ने वाले होंगे। गांधी ने स्पष्ट रूप से कहा, “हम ये दोनों काम जरूर कर दिखाएंगे, और जिस दिन जातीय जनगणना हो गई, उस दिन भारत में एक नई राजनीति की शुरुआत होगी।”
राहुल गांधी ने जनसभा में अपनी पार्टी के दृष्टिकोण को साझा करते हुए यह भी कहा कि कांग्रेस एक ऐसा हिंदुस्तान बनाना चाहती है, जहां गरीब और मजदूर अपने पसीने से बड़े-बड़े इमारतें, मॉल और दफ्तर बनाते हैं, लेकिन उन जगहों पर उन्हें प्रवेश की इजाजत नहीं मिलती। यह स्थिति असमानता का प्रतीक है, और गांधी ने इसे बदलने की आवश्यकता पर जोर दिया। उनका कहना था कि यह असमानता समाज के हर वर्ग में महसूस की जा रही है, और इसे दूर करने के लिए जातीय जनगणना की जरूरत है।
नेता प्रतिपक्ष ने भारतीय बजट और खर्च के संदर्भ में भी गंभीर सवाल उठाए। उन्होंने कहा कि देश के बजट में रुपयों के खर्च का निर्णय लेने वाले 90 अफसरों में से केवल एक आदिवासी, तीन दलित और तीन पिछड़े वर्ग के हैं, जो कुल मिलाकर 6 रुपये 10 पैसे खर्च करने का अधिकार रखते हैं। राहुल गांधी ने इसे लेकर स्पष्ट किया कि यह स्थिति सही नहीं है। वह चाहते हैं कि इस फैसले में बदलाव हो और 90 प्रतिशत आबादी के प्रतिनिधि, जैसे आदिवासी, दलित, पिछड़े और अल्पसंख्यक समुदाय, इस अधिकार के पात्र बनें।
राहुल गांधी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर भी निशाना साधते हुए कहा कि मोदी गरीबों, आदिवासियों और पिछड़ों के पास कभी नहीं जाते, न ही वह किसानों से मिलते हैं। उन्होंने यह आरोप भी लगाया कि मोदी का कोई संपर्क गरीबों से नहीं है, और उनका जीवन केवल बड़े कारोबारियों और अपनी चुनावी राजनीति तक सीमित है। गांधी ने भाजपा और आरएसएस पर आरोप लगाया कि वे आदिवासियों को ‘वनवासी’ कहकर उन्हें गरीब बनाए रखना चाहते हैं और उनके जल, जंगल और जमीन के अधिकार को छीनना चाहते हैं। इसके विपरीत, कांग्रेस इन समुदायों को उनके अधिकार देना चाहती है और उनके जीवन में बदलाव लाना चाहती है।
राहुल गांधी ने यह भी कहा कि आज के समय में मीडिया, न्यायपालिका, प्रशासनिक सेवा, कॉरपोरेट जगत और निजी क्षेत्र में आदिवासी और दलित अधिकारियों की संख्या न के बराबर है। उन्होंने इस असंतुलन को खत्म करने का वादा करते हुए कहा कि यह सब बदलाव जातीय जनगणना और आरक्षण की सही तरीके से व्यवस्था लागू करने से संभव हो सकेगा।
उनके भाषण ने साफ तौर पर यह संदेश दिया कि कांग्रेस पार्टी केवल राजनीतिक सुधार नहीं, बल्कि समाज के कमजोर और पिछड़े वर्गों के लिए सामाजिक और आर्थिक बदलाव लाने के लिए प्रतिबद्ध है। राहुल गांधी का यह बयान भारत के समाज में समानता और न्याय की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम हो सकता है, और उन्होंने इसे लेकर पार्टी के रुख को पूरी मजबूती से व्यक्त किया।