“राहुल गांधी के हेलीकॉप्टर की चुनाव आयोग द्वारा तलाशी: राजनीतिक विवाद और आरोपों का सिलसिला”

मुंबई:  कांग्रेस सांसद राहुल गांधी हाल ही में महाराष्ट्र के अमरावती जिले में एक चुनावी कार्यक्रम में हिस्सा लेने पहुंचे थे। इस दौरान चुनाव आयोग के अधिकारियों ने उनके हेलीकॉप्टर की तलाशी ली, जिसका वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो गया। वीडियो में देखा जा सकता है कि राहुल गांधी हेलीकॉप्टर के पास खड़े हैं, जबकि चुनाव आयोग के अधिकारी उनका हेलीकॉप्टर बारीकी से जांचते हुए नजर आ रहे हैं। कुछ समय बाद, राहुल गांधी हेलीकॉप्टर से दूर जाते हुए और पार्टी नेताओं के साथ बातचीत करते हुए भी दिखाई दिए। इस घटना ने राजनीतिक हलकों में चर्चा का विषय बना दिया है।

इससे पहले, झारखंड विधानसभा चुनाव के दौरान भी राहुल गांधी के हेलीकॉप्टर को विवाद का सामना करना पड़ा था। जब वह गोड्डा जिले में चुनाव प्रचार के लिए पहुंचे, उनका हेलीकॉप्टर आधे घंटे तक हेलीपैड पर फंसा रहा क्योंकि राज्य की एटीएस ने उनकी उड़ान को अनुमति नहीं दी थी। कांग्रेस ने इस घटना के लिए बीजेपी को जिम्मेदार ठहराया था, यह आरोप लगाते हुए कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सभा के कारण राहुल गांधी के हेलीकॉप्टर की उड़ान को जानबूझकर रोका गया था। इस पर कांग्रेस ने बीजेपी की आलोचना की और इसे पार्टी की गलत नीति करार दिया।

इसके अलावा, हाल ही में उद्धव ठाकरे का बैग चुनाव आयोग के कर्मचारियों द्वारा जांचा गया था, जिसे विपक्षी दलों ने अत्यधिक विवादास्पद मानते हुए निंदा की थी। इसी संदर्भ में भारतीय जनता पार्टी ने सोशल मीडिया पर अपने नेताओं के बैग और हेलीकॉप्टर की जांच का वीडियो साझा किया, जिसे विपक्ष ने जानबूझकर ध्यान भटकाने की रणनीति के रूप में देखा। इन घटनाओं के बाद राजनीतिक पार्टियों के बीच तीखी बयानबाजी और आरोप-प्रत्यारोप का सिलसिला जारी है।

चुनाव आयोग की इस कार्रवाई ने यह सवाल खड़ा किया है कि क्या चुनावी प्रचार के दौरान नेताओं की तलाशी या बैग चेकिंग की प्रक्रिया निष्पक्ष और पारदर्शी होती है या फिर यह राजनीतिक प्रतिद्वंद्विता का हिस्सा बन जाती है। वहीं, कांग्रेस और विपक्षी पार्टियों का यह भी कहना है कि इस तरह की कार्रवाई केवल एक पक्षीय होती है और इसका उद्देश्य विपक्षी नेताओं को असहज स्थिति में डालना होता है।