राहुल गांधी का आरोप: भारत में पिछले 10 वर्षों में लोकतंत्र की स्थिति दयनीय हुई

वाशिंगटन: राहुल गांधी ने हाल ही में नेशनल प्रेस क्लब में एक संवाददाता सम्मेलन में कहा कि पिछले 10 वर्षों में भारत के लोकतंत्र को गंभीर क्षति पहुंची है। उन्होंने विशेष रूप से यह आरोप लगाया कि भारतीय लोकतंत्र को कमजोर करने के प्रयास लगातार होते रहे हैं, लेकिन अब यह धीरे-धीरे अपनी पुरानी स्थिति में लौट रहा है। गांधी ने कहा कि वह खुद उस क्षण के साक्षी रहे हैं जब महाराष्ट्र में उनकी सरकार को गिराया गया और उनके विधायकों को खरीद कर भाजपा में शामिल कर लिया गया। उन्होंने कहा कि ऐसे कई अवसर आए हैं जब लोकतंत्र को कमजोर करने का प्रयास किया गया और भारतीय लोकतांत्रिक ढांचे को गंभीर चोट पहुंचाई गई।

गांधी ने यह भी दावा किया कि चुनाव प्रक्रिया के दौरान उनकी पार्टी को असमान अवसर दिए गए। उन्होंने कहा कि कांग्रेस के बैंक खातों को फ्रीज कर दिया गया था, और पार्टी के पास चुनाव प्रचार के लिए पर्याप्त धन नहीं था। उन्होंने कहा कि चुनाव के दौरान उनकी पार्टी को इस स्थिति का सामना करना पड़ा, जो उन्होंने पहले कभी नहीं देखा था। गांधी ने कहा कि यह ऐसा अनुभव था जिसे आमतौर पर युद्ध-प्रभावित देशों जैसे सीरिया या इराक में देखा जाता है। इस स्थिति के बावजूद, राहुल गांधी ने जोर देकर कहा कि भारतीय मतदाता समझदार हैं और वे समय के साथ अपने विचार बदल सकते हैं, लेकिन जब तक उनके पास समान अवसर नहीं होंगे, लोकतांत्रिक प्रक्रिया में सुधार नहीं हो सकेगा।

उन्होंने अपने खिलाफ दर्ज कई मामलों का भी जिक्र किया और कहा कि भारतीय इतिहास में वह अकेले ऐसे व्यक्ति हैं जिन्हें मानहानि के मामले में जेल की सजा दी गई। उन्होंने कहा कि वर्तमान स्थिति में भाजपा के कुछ नेताओं के खिलाफ कई मामले चल रहे हैं, लेकिन वे सत्ता का फायदा उठाकर इसे प्रभावित कर रहे हैं। गांधी ने इस दौरान प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी पर भी हमला किया और कहा कि 21वीं सदी के आधुनिक समय में, हमारे प्रधानमंत्री यह दावा करते हैं कि उनका ईश्वर से सीधा संवाद है और वे अन्य लोगों से अलग हैं। गांधी ने इसे एक विरोधाभास बताया कि एक ओर मोदी संविधान को नष्ट कर रहे हैं और दूसरी ओर लोकसभा में शपथ ग्रहण के समय उसे माथे से लगाते हैं।

उन्होंने कहा कि लोकतंत्र को बहाल करने के लिए समान अवसर, निष्पक्ष प्रक्रिया और राजनीतिक पारदर्शिता की जरूरत है।