“रायबरेली-प्रयागराज हाईवे चौड़ीकरण: मंदिरों के विध्वंस पर बढ़ा विवाद, सोशल मीडिया पर वायरल हुए वीडियो”

रायबरेली:   रायबरेली से प्रयागराज जाने वाली सड़क को फोरलेन में विस्तारित करने का काम तेज़ी से चल रहा है। इस परियोजना के तहत सड़क के दोनों किनारों पर आने वाले करीब 20-30 मंदिरों को तोड़ा जा रहा है, ताकि सड़क चौड़ीकरण के लिए आवश्यक जगह बनाई जा सके। प्रशासन का कहना है कि यह कदम यातायात को सुगम और अधिक व्यवस्थित बनाने के उद्देश्य से उठाया गया है, ताकि हाईवे के दोनों ओर से बढ़ती ट्रैफिक की समस्या का समाधान किया जा सके और यात्रा की गति में सुधार हो सके। हालांकि, मंदिरों के तोड़े जाने के इस कदम पर विरोध भी उठने लगा है और यह मामला सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रहा है।

रायबरेली-प्रयागराज हाईवे के चौड़ीकरण का कार्य 106 किलोमीटर की दूरी में किया जा रहा है, जिसे दिसंबर तक पूरा करने का लक्ष्य रखा गया है। यह परियोजना राज्य के विभिन्न जिलों को फायदा पहुंचाएगी, क्योंकि फोरलेन बनने के बाद रायबरेली और प्रयागराज के बीच यात्रा अधिक सुगम और समय बचाने वाली होगी। सड़क चौड़ीकरण से इस मार्ग पर यातायात का दबाव कम होगा और मार्ग पर आवागमन की गति में वृद्धि होगी, जिससे वाणिज्यिक और व्यक्तिगत यात्रा दोनों के लिए यह रास्ता अधिक सुविधाजनक होगा।

हालांकि, इस कार्य के चलते धार्मिक स्थलों के विनाश को लेकर कई लोग विरोध जता रहे हैं। मंदिरों को तोड़े जाने से संबंधित वीडियो सोशल मीडिया पर तेजी से फैल रहे हैं, जिसमें स्थानीय लोगों और धार्मिक समूहों का गुस्सा सामने आ रहा है। उन्हें लगता है कि उनके धार्मिक स्थलों का इस तरह से नष्ट किया जाना उचित नहीं है, जबकि प्रशासन का तर्क है कि यह कदम सार्वजनिक हित में लिया गया है।

रायबरेली-प्रयागराज फोरलेन परियोजना में देरी के कारण हाल ही में राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (एनएचएआई) के चेयरमैन संतोष यादव ने असंतोष व्यक्त किया था और परियोजना को दिसंबर तक पूरा करने का निर्देश दिया था। अब यह देखना होगा कि इस परियोजना के पूरा होने के बाद यातायात की समस्याओं का समाधान होता है या नहीं, और मंदिरों के विध्वंस से जुड़े विवाद का समाधान किस प्रकार निकलता है।

यह घटना दर्शाती है कि जब बड़े निर्माण कार्यों का सामना स्थानीय संस्कृति और धार्मिक स्थलों से होता है, तो इसका सामाजिक और राजनीतिक असर काफी गहरा होता है। ऐसे में प्रशासन और आम जनता के बीच संतुलन बनाना एक बड़ी चुनौती बन जाती है।