प्रधानमंत्री मोदी ने संसद के बालयोगी ऑडिटोरियम में फिल्म ‘द साबरमती रिपोर्ट’ की स्पेशल स्क्रीनिंग में लिया भाग

नई दिल्ली :  प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 2 दिसंबर को संसद के बालयोगी ऑडिटोरियम में फिल्म ‘द साबरमती रिपोर्ट’ की स्पेशल स्क्रीनिंग में भाग लिया, जिसमें गृह मंत्री अमित शाह, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, अन्य केंद्रीय मंत्री, सांसद और कई प्रमुख फिल्मी हस्तियां भी मौजूद थीं। विक्रांत मैसी द्वारा अभिनीत यह फिल्म, 2002 के गोधरा कांड और उसके बाद के गुजरात दंगों पर आधारित है, जब नरेंद्र मोदी राज्य के मुख्यमंत्री थे। फिल्म ने इस संवेदनशील घटना पर आधारित तथ्यों को दर्शाने की कोशिश की है और इसे लेकर देशभर में हलचल मची हुई है।

द साबरमती रिपोर्ट फिल्म देखकर निकले PM मोदी

फिल्म देखने के बाद, विक्रांत मैसी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ इस अनुभव को साझा करते हुए कहा कि उनके साथ फिल्म देखना उनके करियर का सबसे ऊंचा क्षण था और इसे शब्दों में व्यक्त नहीं किया जा सकता। उन्होंने यह भी कहा कि इस मौके ने उन्हें अपार खुशी दी है। कंगना रनोट भी इस स्पेशल स्क्रीनिंग में उपस्थित थीं, जिन्होंने इसे एक महत्वपूर्ण फिल्म करार दिया और दर्शकों को परिवार के साथ इसे देखने की सलाह दी। उनका कहना था कि फिल्म यह दर्शाती है कि कैसे तथ्यों को छुपाया गया था और कांग्रेस सरकार ने किस तरह से इस घटना का राजनीतिक लाभ उठाया।

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प्रधानमंत्री मोदी ने भी सोशल मीडिया पर फिल्म की सराहना की, यह कहते हुए कि यह अच्छा है कि सच सामने आ रहा है और आम जनता इसे देख सकती है। उन्होंने लिखा कि झूठी धारणाएं कुछ समय के लिए कायम रह सकती हैं, लेकिन अंततः तथ्यों का खुलासा हो ही जाता है। ‘द साबरमती रिपोर्ट’ फिल्म को लेकर विवाद भी उठे हैं, विशेषकर विक्रांत मैसी के लिए जो फिल्म के कारण धमकियों का शिकार बने। उन्होंने खुलासा किया कि उनके 9 महीने के बच्चे के बारे में भी अनाप-शनाप बातें की गईं।

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इस बीच, विक्रांत मैसी ने एक चौंकाने वाला निर्णय लिया और घोषणा की कि वे 2025 के बाद फिल्मों से ब्रेक लेंगे। उनका यह फैसला फिल्म इंडस्ट्री और उनके फैंस के लिए एक बड़ा झटका था, क्योंकि वे आने वाले समय में अधिक फिल्में करने के बजाय कुछ वक्त के लिए खुद को पूरी तरह से ब्रेक देंगे। विक्रांत ने यह भी कहा कि वे तब तक फिल्मों से दूरी बनाए रखेंगे जब तक हालात अनुकूल नहीं हो जाते।

इस फिल्म और विक्रांत मैसी के फैसले ने भारतीय सिनेमा और राजनीति के बीच एक नई चर्चा को जन्म दिया है, और इसने एक बार फिर से गुजरात दंगों पर आधारित घटनाओं को प्रमुख विमर्श में ला दिया है।