राष्‍ट्रपति रामनाथ कोविन्‍द ने कहा संसद लोकतंत्र का मंदिर है जो लोगों की खुशहाली से जुड़े मुद्दों पर चर्चा, विचार-विमर्श और उन्‍हें तय करने का सर्वाच्‍च मंच उपलब्‍ध कराता है

नई दिल्ली :- राष्ट्रपति ने कहा कि ये प्रयास आत्मनिर्भर भारत अभियान के अनुरूप है। उन्होने कहा कि कृषि विपणन सुधारों से देश के किसान सशक्त होंगे और उन्हें अपनी उपज के बेहतर दाम मिलेंगे।

राष्ट्रपति ने संसदीय लोकतंत्र की महत्ता का उल्लेख करते हुए कहा कि संसद लोकतंत्र का मंदिर है जो लोगों के कल्याण से संबंधित मुद्दे तय करने और इन पर चर्चा और विचार विमर्श करने का सर्वोच्च मंच है।

उन्होंने कहा कि यह सभी भारतीयों के लिए गर्व का विषय है कि संसद जल्दी ही नए भवन में आ जाएगी। उन्होंने कहा कि यह देश के परिदृश्य और विरासत तथा समकालीन विश्व के अनुरूप होगी उन्होंने कहा कि नए भवन का उद्घाटन स्वतंत्रता दिवस के 75वें वर्ष में किया जाएगा।

कोविंद ने कहा कि सरकार ने इस विशेष वर्ष को यादगार बनाने के लिए कई योजनाएं शुरू की है। इनमें सबसे उत्साह जनक गगनयान मिशन हो सकता है। भारतीय वायुसेना के पायलट विदेशों में इसके लिए प्रशिक्षण प्राप्त कर रहे हैं।

राष्ट्रपति ने कहा कि जब इस अंतरिक्ष मिशन में ये पायलट उडान भरेंगे तो भारत अंतरिक्ष में मानव सहित यान भेजने वाला चौथा राष्ट्र बन जाएगा। उन्होंने कहा कि जब देश की आकांक्षाओं की उडान की बात आती है तो उसे कोई सीमा नहीं बांध सकती।

राष्ट्रपति ने कहा कि भारत को देश की आजादी के लिए लड़ने वालों के सपने पूरे करने के लिए अभी लंबी यात्रा करनी है। उन्होंने कहा कि भारतीय संविधान ने सपनों न्याय, स्वतंत्रता, समानता और बंधुत्व का सुंदरता से वर्णन किया गया है। उन्होंने कहा कि देश को इस असमान विश्व में समानता और अन्यायपूर्ण परिस्थितियों में न्याय के लिए प्रयास करने चाहिेए।

कोविंद ने जलवायु परिवर्तन के मुद्दे पर कहा कि आधुनिक औद्योगिक सभ्यता ने मानवता के समक्ष गंभीर चुनौतियां पैदा की हैं। जलवायु परिवर्तन जीवन की वास्तविकता बन गई है। समुद्र का जलस्तर बढ़ रहा है और हिमखंड पिघल रहे हैं। तापमान में लगातार वृद्धि हो रही है।

उन्होंने कहा कि भारत को गर्व है कि वह न केवल पेरिस जलवायु समझौते का पालन कर रहा है बल्कि जलवायु संरक्षण के लिए उससे भी अधिक काम कर रहा है। उन्होंने कहा कि विश्व को इस दिशा में तेजी से बढ़ने की जरूरत है।

राष्ट्रपति ने महात्मा गांधी के शब्दों में कहा कि जीवन प्रकृति के अनुरूप होना चाहिए। राष्ट्रपति ने पर्यावरण की समस्या सुलझाने के लिए गांधीजी का संदेश अपनाना चाहिए।