कुर्सी विवाद की आड़ में राजनीतिक तकरार: भाजपा का निशाना, आतिशी का पलटवार

दिल्ली:  दिल्ली की राजनीति में एक नया मोड़ तब आया, जब नवनियुक्त मुख्यमंत्री आतिशी मारलेना ने पद ग्रहण करने के साथ ही अपने कार्यालय में मुख्य कुर्सी की बजाय दूसरी कुर्सी पर बैठने का फैसला किया। यह प्रतीकात्मक कदम उन्होंने भरत की तरह लिया, जिनकी भूमिका रामायण में राम की अनुपस्थिति में राज्य को संभालने की थी। आतिशी ने कहा कि असली मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ही हैं, और जैसे ही वे वापस आएंगे, वह इस पद को त्याग देंगी। इस कदम ने न केवल राजनीतिक हलचल मचाई, बल्कि भाजपा और आम आदमी पार्टी (आप) के बीच सियासी टकराव को भी हवा दी।

राजनीतिक हलचल और प्रतीकवाद

आतिशी ने यह कदम दिल्ली की जनता के बीच एक विशेष संदेश देने के लिए उठाया। उन्होंने इसे त्याग और सेवा की राजनीति से जोड़ा, जो रामायण में भरत के त्याग के प्रतीक के रूप में देखा जाता है। लेकिन राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि यह आम आदमी पार्टी की एक सोची-समझी रणनीति है, जिसका उद्देश्य अरविंद केजरीवाल के पद छोड़ने को ‘शराब घोटाले’ की मजबूरी से हटकर एक बलिदान की राजनीति के रूप में प्रस्तुत करना है। हालांकि, भाजपा इसे दिखावा और जनता की सहानुभूति पाने का प्रयास मान रही है।

भाजपा की तीखी प्रतिक्रिया

दिल्ली भाजपा अध्यक्ष वीरेंद्र सचदेवा ने आम आदमी पार्टी की इस रणनीति को कठघरे में खड़ा किया है। उन्होंने आरोप लगाया कि अरविंद केजरीवाल ने अपनी कुर्सी पर एक “डमी” मुख्यमंत्री बिठाया है, जिसका शासन में कोई वास्तविक अधिकार नहीं है। उन्होंने कहा, “जब जनता सवाल पूछेगी, तो उनका जवाब कौन देगा? आतिशी मारलेना कुर्सी पर हैं, लेकिन उनके पास कोई निर्णय लेने का अधिकार नहीं है, और जिसके पास अधिकार है, वह कुर्सी पर नहीं है।” भाजपा ने आरोप लगाया कि आप सरकार इस तरह जनता के हितों को नजरअंदाज कर रही है और दिल्ली की समस्याओं का समाधान नहीं हो पा रहा है।

भाजपा की विधानसभा में रणनीति

दिल्ली विधानसभा का दो दिवसीय सत्र 26-27 सितंबर को बुलाया गया है, जिसमें दिल्ली की रुकी हुई योजनाओं और परियोजनाओं को पूरा करने के लिए चर्चा होगी। भाजपा ने इस अवसर को आप सरकार पर हमला करने के लिए चुना है। उन्होंने “जनता का मुद्दा विधानसभा में” नाम से एक अभियान शुरू किया है, जिसमें जनता से उनके सवाल और समस्याएं जानने के लिए ईमेल आईडी और फोन नंबर जारी किए गए हैं। इस अभियान के जरिए भाजपा जनता के बीच यह संदेश देना चाहती है कि आप सरकार उनकी समस्याओं का समाधान करने में विफल रही है।

जनता के मुद्दों पर फोकस

भाजपा ने दिल्ली की जनता से पानी, सड़क, शिक्षा, परिवहन, सीवर व्यवस्था और सफाई जैसे अहम मुद्दों पर सवाल पूछने का आह्वान किया है। भाजपा नेताओं ने जगह-जगह कैंप लगाकर जनता की समस्याओं को सुना और उन्हें सत्र में उठाने का वादा किया। इस अभियान का उद्देश्य विधानसभा सत्र के दौरान आप सरकार को घेरना और उसकी कथित नाकामियों को उजागर करना है। भाजपा की इस पहल से सत्र में तीखी बहस की संभावना है, जिससे आप सरकार की जवाबदेही पर सवाल उठ सकते हैं।

नई रणनीति की शुरुआत

आम आदमी पार्टी की यह रणनीति भाजपा के हमलों को कमजोर करने और जनता के बीच सहानुभूति लहर पैदा करने की कोशिश मानी जा रही है। अब यह देखना दिलचस्प होगा कि क्या आप पार्टी इस प्रतीकात्मक राजनीति के जरिए अपने संदेश को जनता तक पहुंचा पाती है या भाजपा के आक्रामक हमले के आगे उसे मुश्किलों का सामना करना पड़ेगा। आगामी विधानसभा सत्र में दोनों पार्टियों के बीच तीखी बहस और जोरदार राजनीतिक खेल देखने को मिलेगा, जो दिल्ली की जनता के लिए काफी दिलचस्प साबित होगा।