राजभवन में अटल बिहारी बाजपेयी की जयंती पर आयोजित काव्य पाठ समारोह
रायपुर : भारत के पूर्व प्रधानमंत्री भारत रत्न स्वर्गीय अटल बिहारी बाजपेयी की जयंती के अवसर पर आज राज्यपाल रमेन डेका ने उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित की। राजभवन में आयोजित इस विशेष कार्यक्रम में राज्यपाल ने बाजपेयी जी के योगदान और उनके आदर्शों को याद करते हुए उन्हें श्रद्धा सुमन अर्पित किए। इस कार्यक्रम के तहत रक्तदान शिविर और स्वास्थ्य शिविर भी आयोजित किए गए, साथ ही अटल जी की कविताओं का काव्य पाठ भी हुआ। कार्यक्रम में राज्यपाल डेका के साथ उनकी पत्नी श्रीमती रानी डेका काकोटी भी उपस्थित रही।
राज्यपाल डेका ने इस अवसर पर कहा कि अटल बिहारी बाजपेयी का व्यक्तित्व विराट था, वे न सिर्फ एक महान वक्ता और जननायक थे, बल्कि एक संवेदनशील और अजातशत्रु व्यक्ति भी थे। उन्होंने कहा कि अटल जी का सम्मान सभी दलों के नेताओं द्वारा किया जाता था, चाहे वो सत्ता में हो या विपक्ष में। राज्यपाल ने अटल जी से जुड़ी अपनी व्यक्तिगत स्मृतियाँ भी साझा की और कहा कि वे हमेशा छोटे-बड़े सभी कार्यकर्ताओं की भलाई और सम्मान करते थे। डेका ने खासतौर पर 1978-79 में अटल जी के असम दौरे का भी उल्लेख किया, जब अटल जी ने राज्य के विभिन्न स्थानों का दौरा किया था और वहां की जनता से मुलाकात की थी।
इस अवसर पर राज्यपाल डेका ने अटल जी की जयंती को ‘सुशासन दिवस’ के रूप में मनाने के महत्व को भी रेखांकित किया। उन्होंने कहा कि अटल जी का दृष्टिकोण था कि सुशासन तभी संभव है जब शासन जनता के प्रति उत्तरदायी हो और पारदर्शी हो, जिससे हर नागरिक के अधिकारों का सम्मान हो सके। राज्यपाल ने यह भी कहा कि आज हमें अटल जी के दिखाए गए रास्ते पर चलकर भारत को एक सशक्त और समृद्ध राष्ट्र बनाना चाहिए। उनके शब्दों को उद्धृत करते हुए डेका ने कहा, “छोटे मन से कोई बड़ा नहीं होता, टूटे मन से कोई खड़ा नहीं होता।” यह कविता हमें यह समझने में मदद करती है कि सुशासन केवल प्रशासन का काम नहीं है, बल्कि हर नागरिक की सक्रिय भागीदारी से ही संभव हो सकता है।
राज्यपाल डेका ने बाजपेयी जी के विदेश नीति और वैश्विक मंचों पर भारत का पक्ष रखने में उनके योगदान को भी सराहा। उन्होंने बताया कि जब भारत को कमजोर समझा जाता था, तब अटल जी के नेतृत्व में पाकिस्तान के खिलाफ किए गए परमाणु परीक्षणों ने भारत को एक सशक्त और आत्मनिर्भर राष्ट्र के रूप में प्रतिष्ठित किया। उनके इस कदम ने भारत को न केवल एक परमाणु शक्ति के रूप में स्थापित किया, बल्कि देश के गौरव को भी बढ़ाया। राज्यपाल डेका ने अटल जी के प्रधानमंत्री कार्यकाल को अभूतपूर्व बताया और कहा कि उनकी सरकार ने देश की आंतरिक और बाहरी नीति को स्थिर और मजबूत किया।
इस समारोह में कवि विकास शर्मा ने अटल बिहारी बाजपेयी की प्रसिद्ध कविताओं का काव्य पाठ किया, जिनमें “आओ मिलकर दिया जलाएं” और “गीत नया गाता हूं” जैसी रचनाएँ शामिल थीं। राजभवन में आयोजित इस श्रद्धांजलि कार्यक्रम में राज्यपाल डेका को कविता संग्रह भेंट करने के लिए विकास शर्मा का सम्मान किया गया। कार्यक्रम में राज्यपाल के विधिक सलाहकार भीष्म प्रसाद पाण्डेय सहित अन्य राजभवन अधिकारी एवं कर्मचारी भी उपस्थित थे।
यह आयोजन अटल बिहारी बाजपेयी की विरासत और उनके द्वारा देश की सेवा में किए गए अनमोल कार्यों को याद करते हुए भारतीय राजनीति और समाज के लिए एक प्रेरणा बन गया।