मानव अपने जीवन में कई उतार-चढ़ाव का अनुभव करता है। लेकिन कुछ कष्ट एवं अभाव ऐसे होते हैं जिन्हें सहन करना असंभव हो जाता है। ज्योतिषी, वास्तुशास्त्री, तांत्रिक, मांत्रिक जो-जो कारण बतलाते हैं, उन्हें निर्मूल करने के लिए जो प्रयास किए जाते हैं, उनका लाभ कभी नहीं, कभी कुछ तथा कभी पूर्ण रूप से प्राप्त होता है।
धार्मिक मान्यता है कि पितृ पक्ष के दिनों में पितरों को याद करना चाहिए और उनकी पूजा पूरे विधि विधान से करनी चाहिए जिससे वे प्रसन्न होते हैं और अपनों को सुखी जीवन का आशीर्वाद देते हैं. साथ ही पितृ पक्ष के दौरान पवित्र शास्त्रों को पढ़ना और मंत्रों का जाप करना शुभ माना गया है. पितरों की आत्मा की शांति के लिए पितृ पक्ष में उनका तर्पण करने की मान्यता है. कहा जाता है कि पितृ पक्ष के दिनों में पितरों का श्राद्ध करने से मृत्यु के देवता यमराज सभी जीवों की आत्मा को मुक्त कर देते हैं जिससे वह उनके परिवार द्वारा किए गए तर्पण को ग्रहण कर सकें. पितरों का तर्पण करने से उन्हें मोक्ष की प्राप्ति होती है. साथ ही पितर प्रसन्न होकर घर को सुख चैन का आर्शीवाद प्रदान करते हैं.
पितृ पक्ष के दिन क्या करें
पितृ पक्ष में पितरों की मृत्यु तिथि पर ही उनका श्राद्ध करना चाहिए.
पितृपक्ष में रोज स्नान के समय जल से पितरों को तर्पण करना चाहिए. ऐसा करने से उनकी आत्मा तृप्त हो जाती हैं.
पितृ पक्ष के दौरान घर में साफ सफाई रखनी चाहिए और कचरा घर में नहीं रखना चाहिए.
पितृ पक्ष में पितरों को भोजन प्राप्त हो इसके लिए किसी गाय, कुत्ते या कौए को भोजन कराना चाहिए.
पितृ पक्ष में जिस भी व्यक्ति का श्राद्ध करें, उसकी पसंद का खाना जरूर बनाएं.
पितृ पक्ष में ब्राह्मणों को भोजन अवश्य कराएं और अपनी क्षमता के अनुसार दान दक्षिणा दें.
पितृ पक्ष में कुश का उपयोग करें और कुश की अंगुठी भी पहननी चाहिए. इससे पितर जल्दी प्रसन्न होते हैं.
पितृपक्ष में क्या न करें
पितृपक्ष के दौरान मांस, मदिरा, लहसुन, प्याज आदि का सेवन करना वर्जित माना जाता है इसलिए इनका सेवन करने से बचें.
पितृपक्ष में अपने पितरों और साथ ही घर के बुजुर्गों का अपमान नहीं करें वरना पितृ दोष से ग्रस्त हो सकते हैं.
पितृ पक्ष में स्नान के समय उबटन, साबुन और तेल आदि चीजों का प्रयोग न करें.
पितृपक्ष में कोई भी मांगलिक कार्य जैसे सगाई, मुंडन, गृह प्रवेश, नामकरण आदि करना अशुभ है इसलिए ऐसा करने से बचें.
पितृपक्ष में नए कपड़े न खरीदें और पहनें. यह करना अशुभ हो सकता है.
मूली और गाजर को अशुद्ध माना गया है इसलिए पितृपक्ष के दौरान मूली और गाजर का सेवन न करें.
पितृपक्ष के दौरान किसी से भी लड़ाई झगड़ा न करें और सभी का साथ प्रेस के साथ रहें.
श्राद्ध के नियम
पितृपक्ष में हर दिन तर्पण करना चाहिए. पानी में दूध, जौ, चावल और गंगाजल डालकर तर्पण किया जाता है.
इस दौरान पिंड दान करना चाहिए. श्राद्ध कर्म में पके हुए चावल, दूध और तिल को मिलकर पिंड बनाए जाते हैं. पिंड को शरीर का प्रतीक माना जाता है.
इस दौरान कोई भी शुभ कार्य, विशेष पूजा-पाठ और अनुष्ठान नहीं करना चाहिए. हालांकि देवताओं की नित्य पूजा को बंद नहीं करना चाहिए.
श्राद्ध के दौरान पान खाने, तेल लगाने और संभोग की मनाही है.
इस दौरान रंगीन फूलों का इस्तेमाल भी वर्जित है.
पितृ पक्ष में चना, मसूर, बैंगन, हींग, शलजम, मांस, लहसुन, प्याज और काला नमक भी नहीं खाया जाता है.
इस दौरान कई लोग नए वस्त्र, नया भवन, गहने या अन्य कीमती सामान नहीं खरीदते हैं.