ऑपरेशन साइबर शील्ड: पुलिस ने फर्जी सिम कार्ड बेचने वाले 13 पीओएस एजेंटों को किया गिरफ्तार

 रायपुर:  साइबर अपराधों पर शिकंजा कसते हुए पुलिस को ऑपरेशन साइबर शील्ड के तहत एक बड़ी सफलता हाथ लगी है। म्यूल बैंक अकाउंट (धोखाधड़ी और वित्तीय अपराधों में उपयोग किए जाने वाले बैंक खाते) के लिए फर्जी सिम कार्ड बेचने वाले 13 पीओएस (प्वाइंट ऑफ सेल) एजेंटों को पुलिस ने गिरफ्तार किया है। इन आरोपियों के जरिए साइबर अपराधियों को अवैध रूप से फर्जी सिम कार्ड उपलब्ध कराए जाते थे, जिससे वे धोखाधड़ी, ठगी और वित्तीय अपराधों को अंजाम दे रहे थे।

कैसे खुलासा हुआ यह संगठित अपराध?

जांच के दौरान पुलिस को म्यूल बैंक अकाउंट से जुड़े मोबाइल नंबरों की जानकारी सिम सेवा प्रदाता कंपनियों से प्राप्त हुई। इन नंबरों के तकनीकी विश्लेषण के बाद यह सामने आया कि ये फर्जी सिम कार्डों के जरिए ऑपरेट किए जा रहे थे। इस जांच के दौरान पुलिस ने पाया कि एयरटेल और जियो जैसी टेलीकॉम कंपनियों के कुछ अधिकृत पीओएस एजेंट अवैध रूप से फर्जी सिम कार्ड जारी कर रहे थे और इन्हें साइबर अपराधियों तक पहुंचा रहे थे।

गिरफ्तार किए गए आरोपी और उनका नेटवर्क

इस संगठित अपराध में शामिल 13 आरोपियों को पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया है। इनमें 11 एयरटेल पीओएस एजेंट और 1 जियो पीओएस एजेंट शामिल हैं। ये एजेंट विभिन्न टेलीकॉम कंपनियों के अधिकृत विक्रेता थे और इन्हें ग्राहकों को सिम कार्ड उपलब्ध कराने का अधिकार था। लेकिन ये आरोपी फर्जी तरीके से सिम कार्ड एक्टिवेट कर साइबर अपराधियों को बेचते थे।

गिरफ्तार किए गए आरोपी निम्नलिखित स्थानों से हैं:
दुर्ग: रवि मोबाइल, श्री मोबाइल, वंदना मोबाइल, के वामसी मोबाइल, राज मोबाइल
अंबागढ़ चौकी: कुलवंत मोबाइल
डोंगरगढ़: अज्जू मोबाइल
रायपुर: रजत किराना, साहू ऑनलाइन सेंटर
राजनांदगांव: निखिलम मोबाइल
बागबाहरा: हर्ष मोबाइल
भिलाई: सुपेला क्षेत्र से आरोपी शामिल
अन्य स्थान: विभिन्न शहरों में फैला नेटवर्क

कैसे काम करता था यह गैंग?

गिरफ्तार किए गए आरोपियों से पूछताछ में खुलासा हुआ कि यह गिरोह दो तरीके से फर्जी सिम कार्ड एक्टिवेट करता था:

  1. ई-केवाईसी (e-KYC) के जरिए:
    • जब कोई नया ग्राहक नया सिम खरीदता या पोर्ट कराता, तो आरोपी उसका डबल थंब स्कैन और आई ब्लिंक स्कैन कर अतिरिक्त सिम एक्टिवेट कर देते थे।
  2. डी-केवाईसी (D-KYC) के जरिए:
    • यदि ग्राहक आधार कार्ड की फिजिकल कॉपी देता था, तो आरोपी खुद ही उसकी जानकारी वेरीफाई कर बिना उसकी जानकारी के अतिरिक्त सिम चालू कर देते थे।
  3. ब्रोकर और म्यूल अकाउंट नेटवर्क से कनेक्शन:
    • ये फर्जी सिम कार्ड आगे साइबर अपराधियों को बेचे जाते थे, जो इन्हें म्यूल बैंक अकाउंट्स में रजिस्टर कर धोखाधड़ी, ऑनलाइन ठगी और वित्तीय अपराधों को अंजाम देते थे।
    • इन फर्जी सिम कार्डों का उपयोग कॉल स्पूफिंग, डिजिटल बैंकिंग फ्रॉड, ओटीपी इंटरसेप्शन और अन्य साइबर क्राइम के लिए किया जाता था।

पुलिस की कार्रवाई और आरोपियों की गिरफ्तारी

इन 13 पीओएस एजेंटों को गिरफ्तार कर न्यायिक अभिरक्षा में भेज दिया गया है। उनके खिलाफ विभिन्न धाराओं में केस दर्ज किया गया है और पुलिस आगे की जांच में जुटी हुई है। इन आरोपियों के पास से सैकड़ों फर्जी सिम कार्ड, आधार कार्ड की कॉपियां और अन्य साइबर अपराध से जुड़े दस्तावेज बरामद हुए हैं।

गिरफ्तार आरोपियों की सूची:

  1. कुलवंत सिंह छाबड़ा – अंबागढ़ चौकी, राजनांदगांव
  2. खेमन साहू – खराटोला, राजनांदगांव
  3. अजय मोटघरे – डोंगरगढ़, राजनांदगांव
  4. ओम आर्य – मुंगेली
  5. चंद्रशेखर साहू – रायपुर
  6. पुरुषोत्तम देवांगन – दुर्ग
  7. रवि कुमार साहू – भिलाई
  8. रोशन लाल देवांगन – दुर्ग
  9. के. शुभम सोनी – दुर्ग
  10. के. वंशी सोनी – दुर्ग
  11. त्रिभुवन सिंह – भिलाई
  12. अमर राज केशरी – भिलाई
  13. विक्की देवांगन – दुर्ग

आगे की कार्रवाई और जांच जारी

पुलिस अब यह पता लगाने की कोशिश कर रही है कि इस साइबर फ्रॉड नेटवर्क से और कौन-कौन जुड़े हैं। इस गिरोह के संपर्क में और भी पीओएस एजेंट हो सकते हैं, जो अवैध रूप से फर्जी सिम कार्ड बेचकर साइबर अपराधियों की मदद कर रहे हैं।

साइबर फ्रॉड से बचने के लिए क्या करें?

अपना आधार कार्ड किसी भी अनजान व्यक्ति या दुकान में स्कैन न कराएं।
अपने नंबर की नियमित जांच करें और टेलीकॉम कंपनी से कंफर्म करें कि आपके नाम पर कोई अतिरिक्त नंबर एक्टिवेट तो नहीं है।
अगर आपको संदेह हो कि आपके दस्तावेजों का दुरुपयोग हो रहा है, तो तुरंत पुलिस और टेलीकॉम कंपनी को सूचित करें।
अगर कोई संदिग्ध कॉल या ओटीपी फ्रॉड का शिकार होता है, तो साइबर क्राइम हेल्पलाइन 1930 पर संपर्क करें।

ऑपरेशन साइबर शील्ड के तहत पुलिस ने फर्जी सिम कार्डों की अवैध बिक्री करने वाले 13 पीओएस एजेंटों को गिरफ्तार कर एक बड़े साइबर अपराध नेटवर्क का पर्दाफाश किया है। यह कार्रवाई ऑनलाइन बैंकिंग फ्रॉड और डिजिटल ठगी को रोकने में मील का पत्थर साबित हो सकती है। पुलिस अब इस नेटवर्क से जुड़े और भी लोगों की तलाश कर रही है ताकि इस अवैध कारोबार को पूरी तरह खत्म किया जा सके।

अगर आपको भी कोई संदिग्ध कॉल या साइबर फ्रॉड का शक हो, तो तुरंत पुलिस से संपर्क करें और सतर्क रहें।