इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय के 39वें स्थापना दिवस पर कृषि मंत्री ने उन्नत कृषि और किसानों की आत्मनिर्भरता पर दिया जोर
कृषि विकास एवं किसान कल्याण मंत्री रामविचार नेताम ने इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय, रायपुर के 39वें स्थापना दिवस समारोह और “कृषि, विज्ञान और प्रौद्योगिकी के लिए वैश्विक अनुसंधान पहल” विषय पर आयोजित तीन दिवसीय अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन का शुभारंभ करते हुए किसानों की आत्मनिर्भरता और वैज्ञानिक योगदान की सराहना की। मंत्री नेताम ने कहा कि उन्नत तकनीकों, विज्ञान और कृषि वैज्ञानिकों के योगदान के चलते आज प्रदेश के किसान आत्मनिर्भर बन रहे हैं और उन्नत खेती को अपना रहे हैं।
किसान हितैषी नीतियों में उत्कृष्ट योगदान के लिए मिले सम्मान
कार्यक्रम में मंत्री नेताम को राज्य सरकार की किसान हितैषी नीतियों के प्रभावी क्रियान्वयन में उनके उल्लेखनीय योगदान के लिए लाइफटाइम अचीवमेंट पुरस्कार से सम्मानित किया गया। इसके अलावा, कृषि एवं शोध के क्षेत्र में बेहतरीन कार्यों के लिए कुलपति डॉ. गिरिश चंदेल, किसान नारायण भाई चावड़ा, शिक्षक बी.आर. चंद्रवंशी और डॉ. एम.एन. श्रीवास्तव को भी यह सम्मान प्रदान किया गया।
किसानों को लाभान्वित करने वाली योजनाएं
मंत्री नेताम ने कहा कि छत्तीसगढ़ सरकार ने किसानों से प्रति एकड़ 21 क्विंटल धान 3100 रुपये प्रति क्विंटल की दर से खरीदकर देश में किसानों को सबसे बेहतर समर्थन मूल्य दिया है। इसके अतिरिक्त, लगभग 3800 करोड़ रुपये की बोनस राशि देकर किसानों की आर्थिक स्थिति को सुदृढ़ किया गया है। उन्होंने जोर देकर कहा कि किसानों की उन्नति हमारी प्राथमिकता है और इस दिशा में राज्य सरकार लगातार नई योजनाओं और नीतियों को लागू कर रही है।
वैश्विक अनुसंधान सम्मेलन का महत्व
इस अवसर पर आयोजित अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन में देश भर के 21 राज्यों के 400 से अधिक कृषि वैज्ञानिक और शोधार्थियों ने भाग लिया। सम्मेलन में भूमि, जल और पर्यावरण से जुड़े संसाधनों के बेहतर उपयोग के लिए विचार-विमर्श किया गया और वर्तमान चुनौतियों के समाधान के लिए शोध पत्र प्रस्तुत किए गए। मंत्री नेताम ने कृषि वैज्ञानिकों को प्रेरित करते हुए कहा कि वे नई तकनीकों और शोध के माध्यम से किसानों के लिए नवाचार करें और उन्हें उन्नत बनाने की दिशा में काम करें।
इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय की उपलब्धियां
मंत्री नेताम ने इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय की सराहना करते हुए बताया कि यह संस्थान 28 कृषि महाविद्यालयों, 4 कृषि अभियांत्रिकी महाविद्यालयों, 1 खाद्य प्रौद्योगिकी महाविद्यालय, 8 अनुसंधान केंद्रों और 27 कृषि विज्ञान केंद्रों के माध्यम से प्रदेश में कृषि शिक्षा, अनुसंधान और प्रसार की दिशा में काम कर रहा है। विश्वविद्यालय ने 52 फसलों की 162 प्रजातियों और 100 से अधिक तकनीकों का विकास किया है, जिससे किसानों को बेहतर उत्पादन और आय में मदद मिली है। वर्तमान में विश्वविद्यालय में लगभग 9000 विद्यार्थी अध्ययनरत हैं।
कृषि के क्षेत्र में भविष्य की चुनौतियां और समाधान
सम्मेलन में जम्मू-कश्मीर के किसानों द्वारा कॉपरेटिव सेक्टर में केसर और अखरोट की खेती से आर्थिक सशक्तिकरण के मॉडल पर चर्चा की गई। इसके साथ ही, वैज्ञानिकों ने शोध के माध्यम से कृषि, विज्ञान और प्रौद्योगिकी के वैश्विक परिदृश्य पर विचार साझा किए। सम्मेलन के दौरान, शोध पत्र और पोस्टर प्रस्तुत कर वैश्विक स्तर पर संसाधनों के उपयोग और उनकी कमियों को सुधारने पर भी मंथन किया गया।
मंत्री रामविचार नेताम ने किसानों को समर्पित इस आयोजन के लिए इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय और राष्ट्रीय कृषि विकास सहकारी लिमिटेड, बरामूला (जम्मू-कश्मीर) की संयुक्त पहल की प्रशंसा की और सभी प्रतिभागियों को शुभकामनाएं दीं।