एनपीपी की ऐतिहासिक बढ़त, श्रीलंका में बहुमत का नया अध्याय शुरू होने की संभावना
कोलंबो: श्रीलंका में हुए हालिया संसदीय चुनाव में नेशनल पीपुल्स पावर (एनपीपी) ने अपनी मजबूत उपस्थिति दर्ज कराई है, जो वर्तमान राष्ट्रपति अनुरा कुमारा दिसानायके के नेतृत्व में देश की प्रमुख सत्तारूढ़ पार्टी है। चुनाव परिणामों के मुताबिक, एनपीपी ने राष्ट्रीय स्तर पर 62% वोट प्राप्त किए, जिससे उन्हें 4.4 मिलियन से अधिक मतदाताओं का समर्थन मिला। इस अपार जनसमर्थन के चलते एनपीपी ने 196 में से 35 सीटें हासिल की हैं, जबकि प्रमुख जिलों में उनकी मजबूत पकड़ दिखाई दी। 225 सदस्यीय विधानसभा में एनपीपी के बहुमत प्राप्त करने की संभावना जताई जा रही है, जिससे सरकार गठन में उनके प्रभुत्व की स्थिति स्पष्ट हो जाती है।
इसके विपरीत, श्रीलंका की पुरानी और प्रभावशाली राजपक्षे परिवार की पार्टी श्रीलंका पीपुल्स फ्रंट (एसएलपीपी) केवल दो सीटों तक सीमित रह गई है। एसएलपीपी का यह प्रदर्शन पिछले चुनावों की तुलना में बेहद कमजोर साबित हुआ है, जिससे यह संकेत मिलता है कि मतदाताओं का रुझान अब नई और सशक्त पार्टी एनपीपी की ओर तेजी से बढ़ रहा है। वहीं, समागी बलवेगा को 18% से भी कम वोट मिले, जबकि पूर्व राष्ट्रपति रानिल विक्रमसिंघे की नेशनल डेमोक्रेटिक फ्रंट (एनडीएफ) को केवल 5% मतदाताओं का समर्थन मिल पाया, जिससे उनकी राजनीतिक स्थिति कमजोर होती दिखाई दे रही है।
विशेषज्ञों का मानना है कि सितंबर में हुए राष्ट्रपति चुनाव की तुलना में एनपीपी की संसदीय चुनाव में और मजबूत पकड़ देखने को मिली है। एनपीपी की इस अभूतपूर्व सफलता के साथ श्रीलंका में सत्ता के समीकरण तेजी से बदल रहे हैं।