भारत-फ्रांस संबंधों में नई मजबूती: पीएम मोदी और राष्ट्रपति मैक्रों की पेरिस में ऐतिहासिक वार्ता
पेरिस : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों की हालिया पेरिस यात्रा भारत-फ्रांस संबंधों को नई ऊंचाइयों पर ले जाने वाली साबित हुई। इस महत्वपूर्ण मुलाकात के दौरान दोनों नेताओं ने द्विपक्षीय सहयोग को मजबूत करने, वैश्विक चुनौतियों का समाधान खोजने और अंतरराष्ट्रीय कूटनीति में अपनी साझेदारी को और गहरा करने पर चर्चा की। इस यात्रा के दौरान रक्षा, आर्थिक साझेदारी, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, साइबर सुरक्षा, आतंकवाद विरोधी उपायों और संयुक्त राष्ट्र में सुधार जैसे कई अहम विषयों पर वार्ता हुई।
मजबूत द्विपक्षीय साझेदारी और रणनीतिक रोडमैप
प्रधानमंत्री मोदी और राष्ट्रपति मैक्रों ने अपनी रणनीतिक साझेदारी की 25वीं वर्षगांठ के अवसर पर 2047 रोडमैप पर चर्चा की, जो आने वाले दशकों में दोनों देशों के संबंधों की दिशा तय करेगा। जुलाई 2023 में प्रधानमंत्री मोदी की फ्रांस यात्रा के दौरान कुछ अहम समझौतों पर सहमति बनी थी, जिन पर इस बैठक में विस्तृत चर्चा की गई। इसके अलावा, जनवरी 2024 में राष्ट्रपति मैक्रों की भारत यात्रा के दौरान किए गए समझौतों को और आगे बढ़ाने की प्रतिबद्धता जताई गई।
संयुक्त राष्ट्र सुधार और बहुपक्षीय सहयोग
दोनों नेताओं ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (यूएनएससी) में सुधार की आवश्यकता को रेखांकित किया और वैश्विक कूटनीति में भारत की भूमिका को मजबूत करने पर बल दिया। फ्रांस ने एक बार फिर भारत की स्थायी सदस्यता के लिए समर्थन दोहराया। इसके अलावा, दोनों नेताओं ने सामूहिक अत्याचारों के मामलों में वीटो के उपयोग को नियंत्रित करने और संयुक्त राष्ट्र के बहुपक्षीय मंचों में समन्वय बढ़ाने पर सहमति व्यक्त की।
वैश्विक सुरक्षा और आतंकवाद के खिलाफ साझा संकल्प
इस उच्चस्तरीय बैठक में अंतरराष्ट्रीय सुरक्षा और आतंकवाद से निपटने के लिए सहयोग को और गहरा करने पर बल दिया गया। भारत और फ्रांस ने सभी प्रकार के आतंकवाद की कड़ी निंदा की और आतंकवादी संगठनों को मिलने वाली आर्थिक सहायता तथा सुरक्षित ठिकानों को खत्म करने के लिए ठोस कार्रवाई का आह्वान किया। दोनों देशों ने आतंकवाद के खिलाफ संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की 1267 प्रतिबंध समिति के तहत कड़ी कार्रवाई करने की प्रतिबद्धता जताई।
इसके अलावा, दोनों देशों ने “नो मनी फॉर टेरर” (NMFT) पहल के तहत सहयोग बढ़ाने और वित्तीय कार्रवाई कार्य बल (FATF) की सिफारिशों के अनुरूप धन शोधन और आतंकवाद के वित्तपोषण से निपटने के लिए कड़े उपाय करने का संकल्प लिया।
आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और डिजिटल साझेदारी
इस यात्रा का एक और प्रमुख आकर्षण भारत-फ्रांस आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) रोडमैप का लॉन्च था। दोनों देशों ने AI को सुरक्षित, संरक्षित और भरोसेमंद तरीके से विकसित करने की दिशा में संयुक्त रूप से काम करने की सहमति व्यक्त की। फ्रांस में भारतीय स्टार्टअप को शामिल करने और यूनिफाइड पेमेंट्स इंटरफेस (UPI) के विस्तार के अवसरों पर भी चर्चा हुई।
इसके साथ ही, साइबर सुरक्षा को लेकर दोनों नेताओं ने साइबर खतरों से निपटने के लिए संयुक्त रणनीति बनाने पर बल दिया। वे 2025 में होने वाले भारत-फ्रांस रणनीतिक साइबर सुरक्षा और साइबर कूटनीति वार्ता की तैयारी के लिए भी सहमत हुए।
वैश्विक और क्षेत्रीय मुद्दों पर चर्चा
पीएम मोदी और राष्ट्रपति मैक्रों ने अंतरराष्ट्रीय मुद्दों पर व्यापक चर्चा की, जिसमें पश्चिम एशिया और यूक्रेन युद्ध जैसे विषय शामिल थे। दोनों नेताओं ने संकटग्रस्त क्षेत्रों में शांति स्थापित करने और वैश्विक स्थिरता बनाए रखने के लिए निकट सहयोग जारी रखने का संकल्प लिया।
भारत-फ्रांस नवाचार वर्ष 2026 की घोषणा
बैठक के दौरान भारत और फ्रांस ने मार्च 2026 से “भारत-फ्रांस नवाचार वर्ष” मनाने की घोषणा की। इसके तहत वैज्ञानिक अनुसंधान, नवाचार और तकनीकी साझेदारी को प्रोत्साहित किया जाएगा। इस अवसर पर दोनों नेताओं ने आधिकारिक लोगो लॉन्च कर इसकी औपचारिक शुरुआत की।
राष्ट्राध्यक्षों की करीबी भागीदारी और व्यक्तिगत तालमेल
इस ऐतिहासिक यात्रा के दौरान प्रधानमंत्री मोदी और राष्ट्रपति मैक्रों के बीच व्यक्तिगत तालमेल भी देखने को मिला। दोनों नेताओं ने फ्रांसीसी राष्ट्रपति के विशेष विमान में पेरिस से मार्सिले तक एक साथ यात्रा की, जहां उन्होंने द्विपक्षीय और वैश्विक मुद्दों पर विस्तृत चर्चा की। मार्सिले पहुंचने के बाद प्रतिनिधिमंडल स्तर की वार्ता हुई, जिसमें दोनों देशों के अधिकारियों ने सहयोग को और विस्तारित करने पर विचार-विमर्श किया।
भारत-फ्रांस सीईओ फोरम और आर्थिक सहयोग
विदेश सचिव विक्रम मिस्री के अनुसार, प्रधानमंत्री मोदी ने भारत-फ्रांस सीईओ फोरम को भी संबोधित किया, जहां व्यापार और निवेश बढ़ाने के लिए विभिन्न प्रस्तावों पर चर्चा हुई। भारत और फ्रांस के बीच रक्षा, ऊर्जा, टेक्नोलॉजी और बुनियादी ढांचे के क्षेत्रों में निवेश बढ़ाने की संभावनाओं पर भी विचार किया गया।