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राजधानी रायपुर में हुआ नेशनल कॉन्क्लेव,देश के 20 से ज्यादा राज्य बने प्रतिभागी,भारत सरकार के अधिकारी हुए शामिल

रायपुर। छत्तीसगढ़ के नगरीय प्रशासन मंत्री डॉ. शिवकुमार डहरिया ने कहा है कि छत्तीसगढ़ में स्वच्छता को रोजगार से जोड़ा गया है। इससे छत्तीसगढ़ के शहरों को स्वच्छ बनाने में सफलता मिली है। डॉ. डहरिया गुरुवार को यहां छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर में एक निजी होटल में आयोजित सोशल इंटरप्राइजेस फार गारबेज फ्री सिटी नेशनल कॉन्क्लेव के समापन सत्र को संबोधित कर रहे थे।
भारत सरकार के आवास एवं नगरीय मामले मंत्रालय की ओर से आयोजित नेशनल कॉन्क्लेव में देश के 20 राज्यों के प्रतिनिधियों ने भाग लिया।
कार्यक्रम को संबोधित करते हुए मंत्री डॉ. डहरिया ने कहा कि स्वच्छता मॉडल की जब हमने शुरुआत की तो राज्य में स्वच्छता के क्षेत्र में कार्य बहुत धीमी गति से हो रहे थे। हमारी कोशिश रही है राज्य की स्वच्छता की पुरानी पंरपरा को जीवित करते हुए आगे बढ़ाया जाए। इसके लिए हमने नरवा गरवा घुरवा बारी से स्वच्छता को जोड़ा। हमने सिंगल यूज प्लास्टिक बैन पर जोर दिया। हमारे यहां तो पुरानी परंपरा में प्लास्टिक का उपयोग था ही नहीं, दोना पत्तल ही चलते हैं। हमने वहीं परंपरा फिर से शुरू की। अब तो लोग जागरूक हैं खुद ही प्लास्टिक लेने से इंकार कर देते हैं। 6 आर पॉलिसी रीथिंक, रियूज, रिसाइकिल, रिपेयर, रिडयूस, रिफ्यूज के आधार पर काम किया इससे हुआ ये कि नए अपशिष्ट बनने की मात्रा कम होने लगी। बस्तियों में सामुदायिक और सार्वजनिक शौचालय बनाए लोगों ने अपना पूरा सहयोग दिया। मानव मल प्रबंधन के लिए स्लज ट्रीटमेंट प्लांट बनाए जहां सीवर का पानी ट्रीट होता है।
उन्होंने कहा कि राज्य की सफलता के लिए पीछे 10 हजार से अधिक स्वच्छता दीदियां हैं। हमने तो दीदीयों को प्रोत्साहित किया ही, अपितु दीदियों ने एक कदम आगे बढ़कर राज्य के हर एक नागरिक को स्वच्छता के लिए प्रोत्साहित किया। स्वच्छता के छत्तीसगढ़ मॉडल की सफलता का मूल मंत्र कचरा प्रसंस्करण को आजीविका से जोड़ना रहा है। वैदिक सिद्धांत अनुसार अर्थ, धर्म, काम, मोक्ष के सूत्र की प्रथम कड़ी में गरीब महिलाओं को अर्थ से जोड़ते हुए सर्कुलर इकोनॉमी को मजबूत करने का अपना धर्म सरकार निभा रही है और एक धर्म दीदियां भी निभा रही है। लोगों को जागरूक करने के लिए हमारी दीदियों ने डोर-टू-डोर जाकर गीला-सूखा कचरा अलग रखने के लिए प्रशिक्षण दिया है और लोगों में स्वच्छता को एक आदत के रूप देने में बड़ी तन्मयता से अपनी भूमिका निभाई है।
डॉ. डहरिया ने कहा कि आम नागरिकों की स्वच्छता संबंधी शिकायतों को 24 घंटे के अंदर निपटान के लिए टोल फ्री नंबर 1100 दिया गया। गूगल से सभी सार्वजनिक एवं सामुदायिक शौचालयों को जोड़ा गया ताकि लोग अपने आसपास के शौचालय को फोन पर ही सर्च कर सकें। घर-घर से सूखे और गीले कचरे का कलेक्शन कर राज्य के सभी शहरों में प्रोसेसिंग प्लांट में 100 प्रतिशत कचरे की प्रोसेसिंग की ओर से हमने कचरा मुक्त शहर बनाने की दिशा में अभिनव कार्य किया है। साथ ही 150 से अधिक कचरे की खुली डम्प साइट को खत्म कर वहां उद्यान और हरियाली का विकास किया है। राज्य में सभी नगरीय निकाय सेप्टिक टैंक के पानी का उपचार करते हैं। इस कारण हमारा छत्तीसगढ़ देश का स्वच्छतम राज्य के साथ ही सर्वप्रथम ओडीएफ प्लस प्लस राज्य बना है। इस प्रकार नरवा, गरवा, घुरवा, बाड़ी की परंपरागत तरीके से कार्य करने वाले छत्तीसगढ़ का स्वच्छता मॉडल अब देश का सबसे प्रख्यात मॉडल बन गया है। अब लोग गुजरात मॉडल के स्थान पर छत्तीसगढ़ मॉडल की चर्चा करते हैं, जो छत्तीसगढ़वासियों के लिए गर्व का विषय है। इस प्रकार इन सभी प्रयासों से ही हम लगातार 3 बार देश के सबसे स्वच्छतम राज्य बने है। गोधन न्याय योजना से सफाई और आमदनी दोनों बढ़ी है। राज्य में जैविक खाद का उपयोग बढ़ा है। इससे राज्य की भूमि की उपजाऊ क्षमता में भी वृद्धि देखी गई है। शहरों में कुल उत्पादित लगभग 5 लाख क्विंटल कम्पोस्ट में से लगभग 2 लाख क्विंटल कम्पोस्ट विक्रय की गई एवं खाद विक्रय से लगभग 11 करोड़ रूपए की आय प्राप्त हुई है।
कार्यक्रम को रायपुर नगरपालिक निगम के महापौर एजाज ढेबर ने सम्बोधित किया। उन्होंने रायपुर में स्वच्छता के कार्यों की विस्तार से जानकारी दी एवं देश के विभिन्न राज्यों से आए प्रतिभागियों का अभिनंदन किया। कार्यक्रम में छत्तीसगढ़ शासन के मुख्य सचिव अमिताभ जैन, भारत सरकार के आवास एवं नगरीय मामले विभाग के संयुक्त सचिव रूपा मिश्रा, छत्तीसगढ़ के नगरीय प्रशासन एवं विकास विभाग के सचिव अलरमेल मंगई डी, सूडा के सीईओ सौमिलरंजन चौबे सहित अन्य अधिकारी, स्वच्छता दीदीयां सहित नगरीय प्रशासन एवं विकास विभाग के अधिकारियों एवं नगरीय निकाय के पदाधिकारी शामिल हुए। कार्यक्रम में स्वच्छता दीदियों का सम्मान मंत्री डॉ. डहरिया ने किया।

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