इस वर्ष अब तक सबसे अधिक नक्सलियों ने किया है आत्मसमर्पण – सुंदरराज
दंतेवाड़ा के ग्रामीण युवाओं का हो रहा है नक्सलवाद से मोह भंग
दंतेवाड़ा:– जिले में विगत 05 वषों में नक्सलवाद छोड़कर जितने नक्सलियों ने आत्मसमर्पण किया उससे कहीं अधिक नक्सलियों ने इस वर्ष 09 महीने के अंतराल में आत्मसमर्पण किया है। प्राप्त आंकड़ों के अनुसार 01 जनवरी 2020 से सितंबर 2020 तक कुल 128 नक्सलियों ने हिंसा छोड़ समाज की मुख्यधारा में लौटे है। जबकि विगत 05 वषोंं में कुल 116 नक्सलियों ने ही आत्मसमर्पण किया था।
पुलिस से मिली जानकारी के अनुसार दंतेवाड़ा पुलिस द्वारा चलाए जा रहे लोन वर्राटू अभियान सबसे ज्यादा कारगर साहिब हुआ है। इस अभियान के शुरू होने के बाद से विगत 03 महीने में 109 नक्सलियों ने हिंसा छोड़कर आत्मसमर्पण किया है। नक्सलवाद के साथ जुड़कर हिंसा के रास्ते पर चल पड़े दंतेवाड़ा के ग्रामीण युवाओं का अब नक्सलवाद से मोह भंग हो रहा है, इसका अंदाजा आत्मसमर्पण के आंकड़ों से लगाया जा सकता है।
उल्लेखनिय है कि बस्तर संभाग के नक्सल प्रभावित जिले जिसमें सबसे ज्यादा बीजापुर और सुकमा जिला नक्सल प्रभावित माना जाता है, जहां इन दिनों नक्सलियों के द्वारा हत्या का अनवरत सिलसिला जारी है। यहां नक्सलियों के मध्य फूट पडऩे की भी जानकारी मिल रही है, जिसके चलते नक्सलियों ने अपने ही 08 लाख के ईनामी नक्सली कमांडर मोडय़ामी विच्चा की गोली मारकर हत्या कर दी, लेकिन बीजापुर और सुकमा जिला सबसे अधिक नक्सल प्रभावित होने के बावजूद आत्मसमर्पण की संख्या कम है। वहीं दूसरी ओर नारायणपुर जिले में भी आत्मसमर्पण कम हुए हैं। कोंड़ागांव और कांकेर जिला भी इसमें पीछे है। सबसे कम नक्सल प्रभावित बस्तर जिला माना जाता है, जहां यदा-कदा नक्सली वारदात देखने को मिलती है।
बस्तर रेंज के पुलिस महानिरिक्षक सुंदरराज पी ने बताया कि हिंसा का रास्ता छोड़कर इस वर्ष 2020 में सबसे अधिक नक्सलियों की घर वापसी हुई है। उन्होने बताया कि हिंसा छोड़कर समाज की मुख्यधारा में वापस लौटे आत्मसर्मपित नक्सलियों में 08 लाख के इनामी कोसा मरकाम, मल्ला, लक्ष्मण, नंदा, साधु सहित अन्य का कहना है कि नक्सली दबाव व बहकावे में वे भटक गए थे। हिंसा में कुछ भी नहीं रखा है, बल्कि हमने अपनों का ही खून बहाया है।