स्वास्थ्य विभाग और विशेषज्ञ लगातार नागरिकों को मच्छरों से बचाव के लिए सतर्क कर रहे हैं। जिला मलेरिया अधिकारी श्रुति कीर्ति वर्मा के अनुसार, मच्छरों के पनपने के स्थानों की नियमित जांच की जा रही है और 150 से अधिक नोटिस भी जारी किए गए हैं, जहां मच्छरों के लार्वा पाए गए हैं। मलेरिया और डेंगू के मच्छर स्थिर पानी में पनपते हैं, इसलिए जल जमाव को रोकने के उपाय बेहद जरूरी हैं। ये बीमारियां कभी-कभी जानलेवा हो सकती हैं, विशेषकर उन क्षेत्रों में जहां इनका प्रकोप अधिक होता है।
नोएडा में अब तक डेंगू के 128 मामलों की पुष्टि हो चुकी है। दिल्ली के आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार, सितंबर के अंत तक शहर में 300 से अधिक नए डेंगू के मामले दर्ज किए गए। इस साल अब तक दिल्ली में कुल 1229 डेंगू के मामले दर्ज किए गए हैं और दो लोगों की मृत्यु हो चुकी है। विशेषज्ञों का कहना है कि इन बीमारियों का प्रसार बढ़ रहा है और लोगों को सजग रहने की आवश्यकता है।
ग्रेटर नोएडा के एक प्रमुख अस्पताल के डॉक्टर श्रेय श्रीवास्तव से बातचीत में बताया कि उनकी ओपीडी में प्रतिदिन डेंगू और मलेरिया के मरीज आ रहे हैं, जिनमें से 60% मरीजों में डेंगू की पुष्टि हो रही है। उन्होंने बताया कि कई बार मलेरिया की रिपोर्ट निगेटिव आती है, जबकि मरीजों में मलेरिया के सारे लक्षण होते हैं, ऐसे में सावधानी और सतर्कता की आवश्यकता है क्योंकि मरीजों में प्लेटलेट काउंट तेजी से कम होने का खतरा रहता है। समय पर निदान और इलाज न होने पर स्थिति गंभीर हो सकती है।
मलेरिया के लक्षणों में तेज बुखार, ठंड लगना, मतली, उल्टी, पेट दर्द, और मांसपेशियों में दर्द शामिल हैं। मलेरिया का संक्रमण मच्छर के काटने के कुछ हफ्तों के भीतर शुरू होता है। अगर किसी को चार-पांच दिनों से बुखार है, तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क कर जांच करानी चाहिए।
मच्छरों से बचने के उपाय बेहद जरूरी हैं, जिनमें पूरी आस्तीन के कपड़े पहनना, मच्छरदानी का प्रयोग, कीटनाशकों का उपयोग और जल जमाव रोकना शामिल है। विशेषज्ञों ने गर्भवती महिलाओं, बच्चों और बुजुर्गों को विशेष सतर्कता बरतने की सलाह दी है क्योंकि इन समूहों में डेंगू और मलेरिया का प्रभाव अधिक गंभीर हो सकता है।