एंकर
–    सभी श्रोताओं को नमस्कार, जय जोहार।
–    लोकवाणी की पंद्रहवीं कड़ी में माननीय मुख्यमंत्री भूपेश बघेल जी और आप सभी श्रोताओं का हार्दिक स्वागत है।
माननीय मुख्यमंत्री जी का जवाब
–    सब्बो झन ला मोर जय जोहार, नमस्कार, जय सियाराम।
–    लोकवाणी मं आके मोला अब्बड़ खुसी लागथे, काबर कि हमन सरकार मं बइठके जउन निरनय लेथन, वो बात ल आप सब झन कइसे समझथव, अऊ योजना मन ल कइसे अपनाथव। ऐखर बारे मं मोला सब जानकारी लोकवाणी ले हो जाथे। आप मन ले गोठ-बात करके हमर आत्मविश्वास घलोक बाढ़थे, अऊ काम करेके नवा रद्दा घलोक मिलथे।
–    तेखर बर जम्मो ‘लोकवाणी’ सुनइया मन ल, गाड़ा-गाड़ा सुभकामना अऊ धन्यवाद।

एंकर
–    माननीय मुख्यमंत्री जी, आपने ‘गढ़बो नवा छत्तीसगढ़’ का नारा देते हुए प्रदेश में एक नई कार्य-संस्कृति की शुरुआत की थी और अब आपकी सरकार की सोच और कार्य बड़े पैमाने पर आकार ले चुके हैं। जन-जीवन में उनका असर दिखाई पड़ने लगा है।
–    इस बार लोकवाणी इसी पर केन्द्रित है कि अधोसंरचना विकास को लेकर आपकी सोच क्या है और राज्य में अधोसंरचना के विकास की दिशा और दशा क्या है?
–    इस बार लोकवाणी में  ‘उपयोगी निर्माण-जनहितैषी अधोसंरचनाएं और आपकी अपेक्षाएं’ विषय पर विचार आमंत्रित किए गए थे। हमें यह कहते हुए खुशी है कि आपकी भावनाएं जनता तक बहुत अच्छी तरह से पहुंची हैं।
–    गांव, वनांचल और आम जनता के लिए उपयोगी नई तरह की अधोसंरचनाएं दिखाई पड़ने लगी हैं, जिनके बारे में पहले कभी ध्यान ही नहीं गया कि ऐसा भी हो सकता है।
–    आइए सुनते हैं, कुछ विचार।
1    भूपेन्द्र कुमार शर्मा, बेमता
नमस्कार, माननीय मुख्यमंत्री जी। मैं भूपेन्द्र कुमार शर्मा, बेमता से बोल रहा हंू। लोकवाणी के जरिए आपसे बात करने का अवसर मिला है। मैं खेती-किसानी के कार्य से जुड़ा हुआ हूं और इसी सिलसिले में आपसे बात कर रहा हंू। मैंने अनुभव किया है कि आपकी सरकार बनने के बाद किसानों को काफी राहत मिली। अधोसंरचना विकास के साथ सरकार ने अपनी सोच और सूझबूझ से किसानी को बेहतर बनाने की कोशिश की है। इसका सबसे बड़ा उदाहरण सिंचाई है, पिछले दो साल में किसानों को सिंचाई के लिए परेशान नहीं होना पड़ा है और न ही बिजली के लिए परेशान होना पड़ा है। सरकार की समझदारी और बेहतर प्रबंधन के कारण सिंचाई का रकबा भी बढ़ा है और आपका जो नरवा प्रोजेक्ट है न, उसमें भी किसानांे को सिंचाई से काफी लाभ हुआ है। सरकार की सोच और किसानों के प्रति आपकी चिंता के लिए मैं आपको धन्यवाद देता हंू।
2.    रूक्मणी पाल, ग्राम पंचायत-बम्हनी, जिला-महासमुंद
रूक्मणी पाल, ग्राम पंचायत बम्हनी, जिला महासमुंद-मेरे समूह का नाम जय मां सरस्वती महिला स्व-सहायता समूह है। छत्तीसगढ़ सरकार द्वारा ‘नरवा, गरवा, घुरवा, बारी-छत्तीसगढ़ के चार चिन्हारी’ योजना के अंतर्गत हमारा समूह गोबर खरीदते हुए गोबर से जैविक खाद निर्माण करता है, इस गोबर से 200 क्विंटल खाद बना चुके हैं। इससे हमारी आय 1 लाख 77 हजार रुपए हुई है, जिसके लिए छत्तीसगढ़ सरकार को धन्यवाद करती हूं, जिसने इस योजना को चालू किया है।

3.    नंद कुमार-आरंग
–    माननीय मुख्यमंत्री जी नमस्कार, मैं नंद कुमार, आरंग से बोल रहा हूं। छत्तीसगढ़ में आपके ड्रीम प्रोजेक्ट ‘नरवा, गरवा, घुरवा और बारी’ से अधोसंरचना विकास की एक दिशा दिखी है। खासतौर पर गौठानों के बनने से तरह-तरह की गतिविधियां संचालित हो रही हैं। वर्मी कम्पोस्ट से रोजगार के साधन मिले हैं। वहीं गोबर से गमले, दीये जैसे उत्पादों को बढ़ावा मिला है, जिससे पर्यावरण संरक्षित हो रहा है। इसके लिए मैं आपको धन्यवाद देता हूं। मुझे उम्मीद है कि आपकी इस सोच के माध्यम से हम उपयोगी निर्माण और जनहितैषी अधोसंरचना के संबंध में मिसाल पेश करेंगे। धन्यवाद।
माननीय मुख्यमंत्री जी का जवाब
–    धन्यवाद। भूपेन्द्र शर्मा जी, रूक्मणी पाल जी, नंद कुमार जी।
–    निश्चित तौर पर ‘नरवा, गरवा, घुरवा, बारी’ हमारा ड्रीम प्रोजेक्ट है और इसकी शुरुआत हमने छत्तीसगढ़ की चार चिन्हारी को बचाने के लिए किया था।
–    इस दिशा में हम जैसे-जैसे आगे बढ़ते गए वैसे-वैसे इसके नए-नए आयाम सामने आते गए। जब हमने नरवा संरक्षण की बात की तो नाला, नहर-नाली और ऐसी ही अन्य संरचनाओं को लेकर चर्चा हुई। अलग-अलग विभाग, अलग-अलग योजनाओं के बीच समन्वय, अभिसरण आदि से कई रास्ते बनते गए।
–    नरवा के काम में पंचायत और ग्रामीण विकास, जल संसाधन विकास विभाग, वन विभाग आदि की मदद ली जा रही है। इस तरह से लगभग 30 हजार नरवा चिन्हांकित किए गए हैं और लगभग 5 हजार नरवा विकास का काम काफी आगे बढ़ चुका है।
–    गरवा को लोग सिर्फ गाय, दूध और पशुधन विकास तक ही समझते थे, हमने गरवा के माध्यम से गौठान की योजना बनाई। इस तरह लगभग 10 हजार गौठानों के निर्माण की मंजूरी दे चुके हैं, जिनमें से 5 हजार से ज्यादा गौठानों का निर्माण पूरा हो चुका है।  अब गौठान की पहचान एक ऐसी अधोसंरचना के रूप में हो चुकी है, जो सिर्फ गायों को रोकने की जगह ही नहीं है बल्कि गोधन न्याय योजना के माध्यम से गोबर खरीदी केन्द्र, महिला स्व-सहायता समूह के माध्यम से वर्मी कम्पोस्ट बनाने और बेचने का केन्द्र, गोबर से अन्य कलात्मक वस्तुएं बनाने का केन्द्र भी विकसित हुआ है। एक तरह से गौठान बहुआयामी सांस्कृतिक, आर्थिक गतिविधियों के केन्द्र बन रहे हैं।
–    घुरवा और बारी के माध्यम से जैविक खाद निर्माण की अधोसंरचना बनी और गांव-गांव में बाड़ी की पुरानी परंपरा को वापस लाया जा रहा है। मुझे यह देखकर खुशी होती है कि हमारे गांव-घर की बाड़ियों में उपजाई जाने वाली सब्जी-भाजी- फल कुपोषण मुक्ति का सहारा बन रहे हैं।
–    मैं बताना चाहता हूं कि हमारी नरवा योजना प्रदेश में भू-जल की रिचार्जिंग का बहुत बड़ा साधन बन रही है। हमारे प्रयासों को भारत सरकार के जल शक्ति मंत्रालय द्वारा भी सराहा गया है। बिलासपुर और सूरजपुर जिले की परियोजनाओं को राष्ट्रीय पुरस्कार मिला है।
–    हमने पुरानी जल संसाधन परियोजनाओं की कमियों को दूर किया ताकि वास्तविक सिंचाई का रकबा बढे़, इसके अलावा भी बड़ी-बड़ी नई योजनाएं हाथ में ली हैं।
–    बोधघाट के अलावा शेखरपुर बांध, ढांडपानी बांध, रेहर अटेम जैसी 15 परियोजनाओं पर ध्यान दिया जा रहा था। हमारा लक्ष्य है कि आगामी 5 साल में प्रदेश में ऐसी जल अधोसंरचनाओं का विकास हो जाए, जिससे राज्य की सिंचाई क्षमता दोगुनी हो जाए।
–    मैं यह खुशखबरी भी साझा करना चाहता हूं कि छत्तीसगढ़ की नई जल संसाधन विकास नीति तैयार करने का काम पूरा हो चुका है। जल्दी ही प्रदेश को नई जल संसाधन नीति के रूप में अधोसंरचना विकास की नई सौगात मिलेगी।
एंकर
–    माननीय मुख्यमंत्री जी, ऐसी मान्यता रही है कि बड़ा पुल, बड़ी सड़क या बहुत बड़ी बिल्डिंग का निर्माण ही अधोसंरचना का विकास है। लेकिन आपके कार्यकाल में गांवों की जरूरतों की संरचनाओं का निर्माण हो रहा है, उससे लोगों को बहुत मदद मिल रही है। आइए सुनते हैं कुछ विचार और इसके बाद आप ऐसी अधोसंरचना के बारे में अपनी राय रखिएगा।
1.    राजेश कुमार कनौजिया, ग्राम डबराखुर्द
मैं राजेश कुमार कनौजिया, ग्राम डबराखुर्द का निवासी हूं। ग्रामीण सेवा सहकारी समिति झाल खम्हरिया में मुख्यमंत्री महोदय द्वारा चबूतरा बनवाया गया है, उससे हम बहुत खुश हैं। चबूतरा से हमारा धान खराब नहीं होता है। इस कारण मुख्यमंत्री को धन्यवाद करता हूं।
2.    सोम प्रकाश साहू, ग्राम कोसरंगी
मैं सोम प्रकाश साहू, ग्राम कोसरंगी का निवासी हंू। मुख्यमंत्री महोदय के द्वारा जो चबूतरा बनवाया गया है, उससे मैं खुश हंू। क्योंकि हम किसानों का धान खराब नहीं होता। मैं इसके लिए मुख्यमंत्री जी को धन्यवाद देना चाहता हूं। धन्यवाद!
माननीय मुख्यमंत्री जी का जवाब
–    राजेश कुमार जी, सोम प्रकाश भाई।
–    आप लोगों ने इस बदलाव को महसूस किया, उसके लिए बहुत-बहुत धन्यवाद।
–    हम महात्मा गांधी नरेगा के साथ विभिन्न योजनाओं के अभिसरण से गांव-गांव में ऐसी अधोसंरचनाओं का विकास कर रहे हैं, जिसमें बहुत बड़े पैमाने पर लोगों को लाभ मिलता है। इस तरह एक ओर जहां हमने हजारों गौठानों के निर्माण की व्यवस्था की। वहीं गौठानों में लगभग 61 हजार वर्मी कम्पोस्ट टंकी बनवा चुके हैं। करीब 5 हजार चारागाह बनाए हैं। भवनविहीन आंगनवाड़ियों के लिए भवन बना रहे हैं। नवगठित ग्राम पंचायतों में पंचायत भवन बना रहे हैं। उसी प्रकार धान उपार्जन केन्द्रों में 8 हजार चबूतरे बनवाए गए हैं, जिसका जिक्र आप लोगों ने किया, इससे धान को सुरक्षित रखने में मदद मिल रही है।
–    आप लोगों की खुशी और समर्थन को देखते हुए लगता है कि इस काम में और तेजी लाने की जरूरत है।
–    गांवों में ऐसी अधोसंरचनाओं की बहुत जरूरत है, जिससे हमारे ग्रामीण भाई-बहन और बच्चे गांवों में एक नई तरह की व्यवस्था महसूस कर सकें। वे देख सकें कि सरकार का काम खाली शहरी अधोसंरचना का विकास ही नहीं है, गांव वालों की जरूरतें पूरी करने के लिए भी बहुत से काम करना जरुरी है।
–    मुझे खुशी है कि हमने सही समय में गांव वालों की जरूरतों की पहचान कर ली है और उसके अनुरूप निर्माण के निर्णय ले
रहे हैं।
एंकर
–    माननीय मुख्यमंत्री जी, हमें यह देख कर बहुत खुशी होती है कि प्रदेश का विद्यार्थी वर्ग भी यह देख रहा है कि आप शिक्षा को लेकर किस तरह अधोसंरचना विकसित करना चाहते हैं। आइए सुनते हैं एक श्रोता की बात।
1.    कुश शर्मा, जिला-कोरबा
नमस्कार माननीय मुख्यमंत्री जी, मैं कुश शर्मा कोरबा से बोल रहा हूं। छत्तीसगढ़ सरकार ‘उपयोगी निर्माण और जनहितैषी अधोसंरचना’ के मामले में ऐसा विकास कर रही है, जो आम लोगों से सीधा जुड़ा है। कहीं भी नहीं लगता कि केवल दिखावे या शो-बाजी के लिए लाखों-करोड़ों रुपए फूंके जा रहे हैं। भूपेश सरकार ने इंग्लिश मीडियम स्कूल शुरू करने का फैसला लिया है। अधोसंरचना विकास की यह सोच काबिले-तारीफ है, क्योंकि इसमें जनता के पैसांे का सही उपयोग उनके लिए हो रहा है। आर्थिक रूप से कमजोर बच्चों और उनके पालकों ने कल्पना भी नहीं की थी कि उनके लिए शिक्षा इतनी सुलभ हो पाएगी, इसके लिए मुख्यमंत्री जी धन्यवाद के पात्र हैं, हमारा विश्वास है कि इस विकास की सोच के साथ, नया छत्तीसगढ़ गढ़ने में सफल होंगे।
माननीय मुख्यमंत्री जी का जवाब
–    धन्यवाद कुश।
–    मैं हमेशा कहता हूं कि महंगे और सजावटी विकास से किसी का भला नहीं होता, वास्तव में यह देखना चाहिए कि निर्माण की गुणवत्ता कैसी है और उससे सेवा की गुणवत्ता में कैसे सुधार होगा। ‘स्वामी आत्मानंद उत्कृष्ट अंग्रेजी माध्यम विद्यालय योजना’ का विचार ही इसलिए आया कि सरकारी स्कूलों को निजी स्कूलों के सामने सम्मान पूर्वक खड़ा किया जाए। ताकि सरकारी स्कूलों में पढ़ने वाले गरीब और मध्यमवर्गीय बच्चे उन सुविधाओं से वंचित न हों, जो उनके भविष्य निर्माण के लिए जरूरी हैं। इसलिए सरकारी क्षेत्र में हम इंग्लिश मीडियम स्कूल के माध्यम से वह सुविधाएं ला रहे हैं, जिनसे बच्चों के व्यक्तित्व का सम्पूर्ण विकास हो, जिससे वे आगे चलकर डॉक्टर, इंजीनियर ही नहीं बल्कि शोधकर्ता, खिलाड़ी, प्रबंधक या अपनी रुचि के अनुसार कोई भी कैरियर अपना सकें।
–    हमने स्कूल शिक्षा में गुणवत्ता सुधार का एक रोडमैप बनाया है, जिसके अनुसार विभिन्न शालाओं में बहुत से कार्य किए जा
रहे हैं।
एंकर
–    माननीय मुख्यमंत्री जी, प्रदेश में उच्च शिक्षा को लेकर भी लगता है कि कोई ताजा हवा का झोंका आया है। नई सोच के साथ नए कदम उठाए जा रहे हैं, जिसकी बानगी समझने के लिए आइए सुनते हैं कुछ विचार। हमारा अनुरोध है कि इसके पश्चात आप समग्रता से अपनी बात रखिएगा।
1.    प्रो. एस. के. पाटिल, कुलपति, इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय, रायपुर
परम आदरणीय मुख्यमंत्री भूपेश बघेल जी नमस्कार। आपने छत्तीसगढ़ में कृषि तथा उद्यानिकी को जिस तरह का बढ़ावा दिया है एवं 31 महाविद्यालयों का वृहद नेटवर्क खड़ा किया है, इससे युवाओं में कृषि शिक्षा की ओर रुझान में अत्यधिक वृद्धि हुई है एवं छात्र इंजीनियरिंग जैसे विषयों को छोड़कर कृषि शिक्षा में प्रवेश ले रहे हैं। इस हेतु मैं प्रो. एस. के. पाटिल, कुलपति, इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय, आपका धन्यवाद करता हूं। साथ ही अपने युवाओं में कौशल विकास हेतु विश्वविद्यालयों में उत्पादन केन्द्र तथा युवाओं की कंपनियां स्थापित करने का अभिनव विचार दिया है, जो आपके मन में हार्वर्ड विश्वविद्यालय की अपनी यात्रा के दौरान आया था। इस तरह के केन्द्रों की स्थापना आपके द्वारा कृषि विश्वविद्यालय में विगत दिनों की गई है एवं इसके माध्यम से युवा, कृषि को एक व्यवसाय के रूप में लेने आगे आ रहे हैं। महोदय, कृषि शिक्षा को बढ़ावा देकर, युवाआंे को रोजगार प्रदान करने के लिये किये गये आपके प्रयासांे हेतु मैं साधुवाद प्रकट करता हूं।
2.    किरण मौर्य – जिला रायगढ़
माननीय मुख्यमंत्री जी, सादर नमस्कार। मैं किरण मौर्य, रायगढ़ जिले में अधोसंरचना विकास के तहत स्वर्गीय नन्दकुमार पटेल यूनिवर्सिटी शुभारंभ हुआ है। यूनिवर्सिटी के खुलने से हम छात्र-छात्राओं सहित सभी जिलेवासियों को बहुत लाभ होगा। हम लोगों को शिक्षा संबंधी कार्यों के लिये बहुत दूर बिलासपुर जाना पड़ता था, लेकिन रायगढ़ में यूनिवर्सिटी खुल जाने से हम लोग बहुत ही सरलतापूर्वक अपने कार्य कर पाएंगे। रायगढ़ जिले मे निर्माण कार्यांे के साथ-साथ यूनिवर्सिटी खोलने के लिये आपको सादर धन्यवाद।
माननीय मुख्यमंत्री जी का जवाब
–    धन्यवाद प्रो. पाटिल जी।
–    सही कहा आपने कि हार्वर्ड विश्वविद्यालय में भ्रमण के दौरान मेरे मन में यह बात आई थी कि विश्वविद्यालयों में उत्पादन केन्द्र तथा युवाओं मंे उद्यमिता विकास को लेकर कोई संरचनागत, संस्थागत काम होना चाहिए, जिसमें निरंतरता हो और युवाओं को कृषि से संबंधित रोजगार के नए अवसरों की जानकारी हो, उन्हें मार्गदर्शन व सहयोग मिले। छत्तीसगढ़ में यह शुरुआत एक सुखद संकेत है।
–    मैं किसान परिवार से हूं। मैं किसान हूं, इसे गौरव का विषय मानता हूं। लेकिन एक लम्बे दौर में हमारे युवाओं के मन में यह बात बैठ गई है कि खेती-किसानी के बारे में चर्चा करना या उसमें अपना कैरियर ढूंढना कोई बहुत अच्छी बात नहीं है।
–    खेती-किसानी को लेकर युवाओं के मन में सम्मान का भाव नहीं होने की एक बड़ी वजह थी कि खेती और उच्च शिक्षा के बीच की कड़ी ही मिसिंग थी। इसलिए हमने यह तय किया कि उतने ही इंजीनियरिंग कॉलेजों को महत्व मिले जितने में गुणवत्ता से शिक्षा दी जा सके और उसमें भी ऐसे पाठ्यक्रम होने चाहिए जो स्थानीय संसाधनों के वेल्यू एडीशन से उत्पादन का रास्ता बनाएं। यह तो विडम्बना ही थी कि हमारे कृषि प्रधान राज्य में इंजीनियरिंग कॉलेजों की भरमार हुई लेकिन कृषि शिक्षा के कॉलेज समुचित संख्या में नहीं खोले गए। इसलिए हमने एग्रीकल्चर के साथ उद्यानिकी-वानिकी, डेयरी टेक्नोलॉजी, फूड प्रोसेसिंग, मछली पालन जैसे विषयों के लिए विश्वविद्यालय, महाविद्यालय और पॉलीटेक्निक खोलने पर जोर दिया है