खरगे ने अपने बयान में कहा कि पीएम मोदी की यह आदत है कि वह कांग्रेस को बार-बार अर्बन नक्सली पार्टी के रूप में पेश करते हैं। उन्होंने आरोप लगाया कि मोदी को अपने आरोप लगाने का कोई अधिकार नहीं है, क्योंकि उनकी अपनी पार्टी की गतिविधियों में लिंचिंग जैसी गंभीर घटनाएं शामिल हैं। खरगे ने यह स्पष्ट किया कि भाजपा की छवि समाज में हिंसा और आतंक के साथ जुड़ी हुई है, और उन्होंने मोदी से सवाल किया कि जब उनकी पार्टी ऐसी गतिविधियों में लिप्त है, तो वह दूसरों पर आरोप लगाने का हक कैसे रखते हैं।
यह बयान भारतीय राजनीति में एक महत्वपूर्ण मोड़ ला सकता है, क्योंकि यह न केवल कांग्रेस और भाजपा के बीच बढ़ते तनाव को दर्शाता है, बल्कि यह भी दिखाता है कि राजनीतिक नेताओं के बीच शब्दों का संघर्ष कितना तीव्र हो गया है। खरगे का बयान इस बात का संकेत है कि कांग्रेस अब भाजपा की नीतियों और उनके प्रभावों के खिलाफ और अधिक मुखर होने की योजना बना रही है।
इस स्थिति में, राजनीतिक विश्लेषक यह देख रहे हैं कि क्या यह बयान आगामी चुनावों में प्रभाव डाल सकता है और क्या यह कांग्रेस के लिए राजनीतिक रूप से फायदेमंद साबित होगा। खरगे का यह बयान न केवल भाजपा पर हमला है, बल्कि यह भी दर्शाता है कि कांग्रेस अपने राजनीतिक विरोधियों को चुनौती देने में कोई कसर नहीं छोड़ रही है। इससे यह स्पष्ट होता है कि भारतीय राजनीति में बयानबाजी का स्तर और भी ऊँचा जा सकता है, जो कि आगामी समय में महत्वपूर्ण चुनावी मुद्दों को प्रभावित करेगा।