“केंद्रीय बजट 2025-26 में रक्षा कर्मियों की प्रमुख मांगें: OPS बहाली, 10 लाख रुपये तक आयकर छूट और अन्य प्रस्ताव”
साल 2024 के अंत में भी अखिल भारतीय रक्षा कर्मचारी महासंघ (AIDEF) ने वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण को एक विस्तृत पत्र लिखते हुए आगामी केंद्रीय बजट 2025-26 में अपनी 12 प्रमुख मांगों को शामिल करने की अपील की है। महासंघ के महासचिव सी. श्रीकुमार ने इस पत्र में रक्षा कर्मचारियों की पुरानी समस्याओं और कई सालों से लंबित मांगों को प्रभावी ढंग से उजागर किया। यह पत्र ऐसे समय में आया है जब सरकार अगले बजट की तैयारी में जुटी है और कर्मचारियों में उम्मीदें हैं कि उनकी आवाज बजट में शामिल की जाएगी।
मुख्य मांगें और प्राथमिकताएं
महासंघ की सबसे महत्वपूर्ण मांग है कि सरकार 41 आयुध निर्माणियों का निगमकरण वापस ले। इन कारखानों को 2021 में सात गैर-व्यवहार्य कंपनियों में बदलने का निर्णय न केवल कर्मचारियों के लिए बल्कि राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए भी हानिकारक साबित हो रहा है। महासंघ का तर्क है कि इन निर्माणियों ने देश को हमेशा संकट के समय मजबूत रक्षा उत्पादन समर्थन दिया है और इसे निगमों में बदलना भारत की सुरक्षा तैयारियों के साथ खिलवाड़ है।
इसके अलावा, महासंघ ने निम्नलिखित मांगों को प्राथमिकता दी:
- पुरानी पेंशन योजना (OPS) की बहाली: नई पेंशन योजना (NPS) के तहत कर्मचारियों को पेंशन में सुरक्षा का अभाव महसूस होता है। महासंघ ने OPS को वापस लाने और गारंटीकृत पेंशन को पुनः लागू करने की मांग की है।
- आठवें वेतन आयोग का गठन: वेतन संशोधन के लिए केंद्र सरकार को आठवें वेतन आयोग की घोषणा करनी चाहिए। महासंघ ने बताया कि 2015 से 2023 के बीच सरकार का राजस्व दोगुना हो गया है, लेकिन कर्मचारियों की सैलरी बढ़ोतरी के मुद्दे को नजरअंदाज किया जा रहा है।
- रिक्त पदों की पूर्ति: सरकार के विभिन्न विभागों में लगभग 13 लाख पद खाली पड़े हैं, जिसमें रक्षा क्षेत्र के 3 लाख से अधिक पद शामिल हैं। इन पदों को नियमित भर्ती प्रक्रिया के माध्यम से जल्द से जल्द भरा जाना चाहिए।
- डीए/डीआर के 18 महीने का बकाया: कोविड-19 के दौरान सरकार ने कर्मचारियों और पेंशनभोगियों का डीए और डीआर रोक दिया था, जिसे तत्काल जारी किया जाना चाहिए।
- कर और जीएसटी छूट: महासंघ ने वित्त मंत्री से अनुरोध किया है कि आयकर में छूट की सीमा को 10 लाख रुपये तक बढ़ाया जाए।
- सीजीएचएस सेवाओं में सुधार: महासंघ ने सरकारी स्वास्थ्य योजनाओं में सुधार की मांग की है, जिनमें पैनल अस्पतालों में मनमाने शुल्क वसूली रोकना, दवाओं की आपूर्ति सुनिश्चित करना, और नए वेलनेस सेंटर खोलना शामिल है।
- पेंशनभोगियों की समस्याओं पर कार्रवाई: महासंघ ने पेंशन की पुनर्स्थापना 12 साल की अवधि में करने की मांग रखी, जिससे पेंशनभोगी वित्तीय राहत महसूस कर सकें।
मजदूरों के संघर्ष और सरकार की नीतियां
महासंघ ने सरकार की नीतियों की आलोचना करते हुए इसे उद्योगपतियों और मल्टीनेशनल कंपनियों के प्रति झुका हुआ बताया। श्रीकुमार ने दावा किया कि बजट में श्रमिक वर्ग की समस्याओं को अक्सर नजरअंदाज किया जाता है, जबकि वे सरकार के राजस्व के प्रमुख योगदानकर्ता हैं।
संयुक्त केंद्रीय यूनियनों का समर्थन
AIDEF ने अन्य प्रमुख ट्रेड यूनियनों जैसे एटक, सीटू, एचएमएस और इंटक द्वारा बजट के लिए प्रस्तुत मांगों का समर्थन किया है। इन यूनियनों ने भी रक्षा कर्मचारियों और अन्य केंद्रीय कर्मियों की समस्याओं को हल करने के लिए ठोस बजट उपायों की मांग की है।
जनता की उम्मीदें और आगे की राह
इस विस्तृत ज्ञापन के जरिए महासंघ ने न केवल कर्मचारियों के मुद्दों को उजागर किया बल्कि सरकार के प्रति अपने आक्रोश और निराशा को भी व्यक्त किया है। आने वाला केंद्रीय बजट यह तय करेगा कि सरकार कर्मचारियों की मांगों को कितना महत्व देती है।
यदि सरकार इन मांगों को संबोधित करती है, तो यह न केवल रक्षा कर्मचारियों के लिए बल्कि पूरे श्रमिक वर्ग के लिए एक महत्वपूर्ण संदेश होगा। वहीं, इन मांगों की अनदेखी सरकार और श्रमिक वर्ग के बीच दूरियां बढ़ा सकती है।