कवासी लखमा को शराब घोटाला केस में मिली सजा, न्यायिक रिमांड पर भेजे गए जेल
रायपुर : शराब घोटाला केस में छत्तीसगढ़ के पूर्व आबकारी मंत्री और मौजूदा विधायक कवासी लखमा की मुश्किलें बढ़ गई हैं। मंगलवार को उनकी ईडी (प्रवर्तन निदेशालय) की रिमांड की अवधि समाप्त होने के बाद उन्हें विशेष अदालत में पेश किया गया, जहां अदालत ने उन्हें 4 फरवरी तक न्यायिक रिमांड पर जेल भेजने का आदेश दिया। ईडी ने लखमा पर आरोप लगाया है कि वह शराब सिंडिकेट के अहम सदस्य थे और उनके निर्देशों पर यह सिंडिकेट काम कर रहा था। आरोपों के मुताबिक, लखमा का कहना था कि शराब घोटाले में उनकी कोई संलिप्तता नहीं थी, लेकिन ईडी ने दावा किया कि वह न केवल इस गड़बड़ी को जानते थे, बल्कि उन्होंने इसे रोकने के लिए कोई कदम नहीं उठाया।
ईडी का आरोप है कि लखमा ने शराब नीति में बदलाव करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई, जिससे छत्तीसगढ़ में FL-10 लाइसेंस की शुरुआत की गई, जिसे बाद में शराब सिंडिकेट के संचालन के लिए इस्तेमाल किया गया। ईडी के अनुसार, लखमा को हर महीने 2 करोड़ रुपए की रिश्वत मिलती थी और इस दौरान 36 महीनों में उन्हें कुल 72 करोड़ रुपए मिले, जो उनके बेटे हरीश कवासी के घर के निर्माण और कांग्रेस भवन सुकमा के निर्माण में खर्च हुए।
ईडी के वकील सौरभ पांडेय ने बताया कि इस शराब घोटाले के चलते छत्तीसगढ़ सरकार को भारी वित्तीय नुकसान हुआ है। अवैध शराब कारोबार से जुड़ी हुई सिंडिकेट के लोगों ने 2,100 करोड़ रुपए से ज्यादा की राशि को अपनी जेबों में डाला। शराब सिंडिकेट का यह काला धंधा केवल अवैध तरीके से संपत्ति जमा करने तक सीमित नहीं था, बल्कि इसने राज्य सरकार के खजाने को भी बड़ा नुकसान पहुँचाया।
इस घोटाले में लखमा और उनके सहयोगियों के खिलाफ सुनवाई जारी है और यह मामला अब राजनीति और भ्रष्टाचार के मामले में एक नया मोड़ लेने की ओर बढ़ रहा है। मामले की जांच में सामने आईं कई चौंकाने वाली जानकारियों के बाद, इसे छत्तीसगढ़ राज्य में किए गए बड़े भ्रष्टाचार और अवैध शराब कारोबार के रूप में देखा जा रहा है।
