कर्नाटक सरकार ने वायुसेना से 444 एकड़ वन भूमि वापस लेने का किया फैसला, वन मंत्री ने कार्रवाई के दिए सख्त निर्देश

बंगलूरू:  कर्नाटक सरकार ने भारतीय वायुसेना के पास मौजूद 444.12 एकड़ वन भूमि को वापस लेने की प्रक्रिया शुरू करने का फैसला किया है। राज्य के वन मंत्री ईश्वर खंद्रे ने बुधवार को अधिकारियों को इस भूमि को पुनः अधिग्रहित करने के निर्देश दिए। यह जमीन बंगलुरु के पीन्या बागान और जराकाबांदे आरक्षित वन क्षेत्र में स्थित है। वन मंत्री ने स्पष्ट किया कि नियमों के अनुसार यह भूमि राज्य के वन विभाग के अंतर्गत आती है, और इसे भारतीय वायुसेना को आवंटित करने की प्रक्रिया अब निरस्त कर दी गई है।

दरअसल, साल 1987 में कर्नाटक सरकार ने भारतीय वायुसेना को कुल 570 एकड़ भूमि आवंटित की थी, लेकिन बाद में राज्य सरकार ने 2017 में इस भूमि में से 452 एकड़ भूमि की मंजूरी को रद्द कर दिया था और इसे आधिकारिक रूप से वन भूमि के रूप में अधिसूचित कर दिया गया था। हालांकि, वन मंत्री ईश्वर खंद्रे ने आरोप लगाया है कि भारतीय वायुसेना ने बिना वन मंजूरी के 1 मार्च को इस भूमि पर अवैध रूप से निर्माण कार्य शुरू कर दिया था, जो नियमों का उल्लंघन है। इस मुद्दे को लेकर राज्य सरकार ने कार्रवाई तेज कर दी है और वन विभाग को निर्देश दिया गया है कि वह नियमों के अनुसार भारतीय वायुसेना से यह जमीन वापस ले।

वन विभाग के अनुसार, यह क्षेत्र पर्यावरण संरक्षण के लिए महत्वपूर्ण माना जाता है और इसे वन क्षेत्र के रूप में ही संरक्षित रखने की आवश्यकता है। सरकार का कहना है कि वन कानूनों का उल्लंघन कर यदि कोई निर्माण कार्य किया गया है, तो उस पर कड़ी कार्रवाई की जाएगी। इस मामले को लेकर राज्य सरकार और भारतीय वायुसेना के बीच तनाव की स्थिति बन सकती है, क्योंकि रक्षा क्षेत्र के लिए आवंटित भूमि पर सरकार का पुनः दावा करना एक महत्वपूर्ण प्रशासनिक फैसला है। फिलहाल, वन विभाग की टीम इस भूमि से जुड़े सभी दस्तावेजों की समीक्षा कर रही है और जल्द ही इस पर अगला कदम उठाने की तैयारी में है।