कमलनाथ का तीखा हमला: वन विभाग की वसूली पर उठाए सवाल, कहा- सरकार की गलती का दंड वनरक्षकों को क्यों?
भोपाल: पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ ने मध्य प्रदेश सरकार के वन विभाग के हालिया ऑडिट पर गंभीर सवाल उठाते हुए आरोप लगाया है कि सेवारत वन रक्षकों से लगभग 145 करोड़ रुपए की वसूली का आदेश जारी करना न केवल अन्यायपूर्ण है, बल्कि यह वन रक्षकों की मेहनत और संघर्ष का अपमान भी है। कमलनाथ ने अपने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स (X) पर इस मुद्दे को उठाते हुए स्पष्ट किया कि यह राशि पिछले 18 वर्षों से वन रक्षकों के वेतन से वसूली जाएगी, जिसमें 2006 से कार्यरत वनरक्षकों से लगभग 5 लाख रुपए और 2013 से कार्यरत वनरक्षकों से डेढ़ लाख रुपए की वसूली की बात कही गई है।
कमलनाथ ने वित्त विभाग के आदेश पर सवाल उठाते हुए कहा कि अगर ऑडिटर जनरल (एजी) ग्वालियर हर साल ऑडिट करता है, तो इस बार ऐसा कौन सा ऑडिट हुआ है, जिसने इस वसूली को सही ठहराया? उन्होंने स्पष्ट किया कि सरकार ने जो वेतन दिया है, उसे वन रक्षकों ने स्वीकार किया है, और अगर कोई गलती है, तो उसका दंड उन्हें नहीं, बल्कि सरकार को मिलना चाहिए।
कमलनाथ ने मुख्यमंत्री से मांग की कि इस “तुगलकी फ़रमान” को तुरंत वापस लिया जाए और वन रक्षकों से की जाने वाली इस वसूली पर रोक लगाई जाए। उनका कहना था कि इस वसूली का सीधा असर न केवल वन रक्षकों की आर्थिक स्थिति पर पड़ेगा, बल्कि यह उनकी मानसिक स्वास्थ्य पर भी नकारात्मक प्रभाव डालेगा।
कमलनाथ की इस बयानबाजी ने मध्य प्रदेश की राजनीतिक स्थिति में नई बहस को जन्म दिया है, जिसमें वन रक्षकों के अधिकारों और सरकारी जवाबदेही पर व्यापक चर्चा चल रही है। यह मामला न केवल वन विभाग के कर्मचारियों के लिए, बल्कि पूरे प्रदेश के लिए एक महत्वपूर्ण मुद्दा बन चुका है, जो सामाजिक न्याय और आर्थिक स्थिरता की ओर संकेत करता है।
