लातेहार में जेपीसी के उग्रवादियों का हमला, कोयला ट्रांसपोर्टिंग वाहनों में लगाई आग और चालकों से मारपीट
रांची: झारखंड के लातेहार जिले के हेरहंज में प्रतिबंधित उग्रवादी संगठन झारखंड प्रस्तुति कमिटी (जेपीसी) द्वारा एक भयावह घटना को अंजाम दिया गया। मंगलवार रात को उग्रवादियों ने कोयला ट्रांसपोर्टिंग में लगे पांच हाईवा वाहनों को आग के हवाले कर दिया और उनके चालकों के साथ मारपीट की। यह हमला लेवी (रंगदारी) की वसूली के लिए किया गया था। इन हाईवा वाहनों पर कोयला लोड था, जो डीवीसी की तुबेद माइंस में ट्रांसपोर्ट किए जा रहे थे। जेपीसी ने घटना स्थल पर एक पर्चा छोड़कर इस हमले की जिम्मेदारी ली है। इस घटना के बाद से क्षेत्र में दहशत का माहौल है और पुलिस मामले की जांच में जुटी हुई है।
घटना के बारे में प्रत्यक्षदर्शियों ने बताया कि हाईवा चालक कुसमाही साइडिंग से कोयला लाद कर तुबेद माइंस की ओर लौट रहे थे, तभी 15-20 उग्रवादियों ने उन्हें घेर लिया। उग्रवादियों ने पहले 15-20 राउंड गोलियां चलाईं, जिससे इलाके में भय का माहौल पैदा हो गया। इसके बाद, उन्होंने हाईवा चालकों को गाड़ियों से उतारकर वाहनों में आग लगा दी। पुलिस को घटनास्थल से गोलियों के खोखे मिले हैं, जिससे यह स्पष्ट होता है कि उग्रवादियों ने योजना के तहत हमला किया।
झारखंड के इस इलाके में हाल के दिनों में उग्रवादी घटनाओं में तेजी देखी गई है, जो सुरक्षा बलों के लिए एक चुनौती बनी हुई है। लातेहार जिले में इस प्रकार के हमलों से उग्रवादियों का कब्जा और लेवी की वसूली के खिलाफ सुरक्षा एजेंसियों को गंभीर चिंताएं हैं।
इस बीच, झारखंड विधानसभा चुनाव के दूसरे और आखिरी चरण का मतदान भी जारी है। मतदान के दौरान सुरक्षा के कड़े इंतजाम किए गए हैं। केंद्रीय अर्धसैनिक बलों की 585 कंपनियों के अलावा राज्य पुलिस और होमगार्ड के 30,000 जवानों को मतदान केंद्रों पर तैनात किया गया है। दिन के 11 बजे तक 31.37 फीसदी मतदाताओं ने अपने मताधिकार का प्रयोग किया है। इस चरण में कुल 528 प्रत्याशी चुनावी मैदान में हैं, और इस चुनाव में कुल 1 करोड़ 23 लाख 58 हजार 195 मतदाता अपनी वोटिंग का अधिकार इस्तेमाल करेंगे।
इस राजनीतिक माहौल में, जहां एक ओर चुनावी प्रक्रिया पूरी हो रही है, वहीं दूसरी ओर उग्रवादियों के हमलों ने राज्य की सुरक्षा स्थिति को गंभीर बना दिया है। पुलिस और प्रशासन की ओर से कार्रवाई की जा रही है, लेकिन उग्रवादियों के बढ़ते प्रभाव से चिंताएं लगातार बढ़ती जा रही हैं।
