रायपुर। मध्यप्रदेश के सड़क हादसे ने 22 लोगों की बलि ले ली है और 30 से ज्यादा लोग घायल हूं। हर हादसे के बाद जैसा कि होता है, वैसा ही इस बार भी हुआ है। दुख जता दिया गया है। मुआवजे का ऐलान हो गया है।और अब जांच होगी दोषी के खिलाफ कार्रवाई होगी। लेकिन क्या कभी समस्या को जड़ से खत्म करने के लिए ठोस उपाय किए गए हैं? या फिर मुआवजा बांटने की औपचारिकता पूरी कर एक और हादसे के इंतजार में सब लग जाते हैं। मध्यप्रदेश में ही दतिया के पास बी एक सड़क हादसा हुआ है। यात्रियों से भरी बस पलट गई है। इसमें भी आधा दर्जन लोग घायल हुए। अब सवाल यह उठता है की चूक कहां हो रही है। या तो बस के फिटनेस में प्रॉब्लम होगा? या फिर ड्राइवर के फिटनेस मैं कोई कमी? इसके अलावा और कोई कारण हो नहीं सकता। अगर बस की फिटनेस में प्रॉब्लम है तो फिर संबंधित विभाग दोषी है और उसके अधिकारियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई होनी ही चाहिए। और अगर चालक की गलती है तो चालक के साथ-साथ मालिक के खिलाफ भी कड़ी से कड़ी कार्रवाई होनी चाहिए। दुर्भाग्य से हम एक हादसे के बाद उससे सबक ना लेकर आगे निकल जाते हैं। फिर कोई हादसा होता है तो फिर छाती पीटते है। यह मुआवजे के मरहम लगाने का सिलसिला बंद होना चाहिए। गाड़ियों की फिटनेस की वास्तविक जांच होना चाहिए। फिक्स्ड फीस लेकर सर्टिफिकेट जारी करने का सिस्टम खत्म होना चाहिए। और ड्राइविंग लाइसेंस खासकर कमर्शियल व्हीकल का ड्राइविंग लाइसेंस जारी करते समय ड्राइवर का फिजिकल टेस्ट बारीकी से किया जाना चाहिए। नहीं तो फिर तैयार रहिए दुख प्रकट करने को, सरकारी माल को मुआवजे का मरहम बनाकर पीड़ितों को राहत देने के लिए।
अनिल पुसदकर
क्या मुआवजे का मरहम काफी है? या फिर बीमारी का इलाज भी करोगे!
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