ईरान ने जताई खुशी, लेकिन उदारवादियों में बढ़ी चिंता: अमेरिका द्वारा विदेशी सहायता में कटौती से बदल सकता है राजनीतिक परिदृश्य
तेहरान: ईरान की सरकार ने हाल ही में संकेत दिए हैं कि वह अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप से बातचीत के लिए तैयार है। यह घटनाक्रम ऐसे समय में सामने आया है जब पिछले हफ्ते जिनेवा में हुई संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद की बैठक में अमेरिका ने इस्लामिक गणराज्य की सीधी आलोचना करने से परहेज किया। इसे लेकर ईरान की सरकार उत्साहित नजर आ रही है और इसे संभावित वार्ता की दिशा में एक सकारात्मक संकेत मान रही है।
ईरान और अमेरिका के बीच संबंध लंबे समय से तनावपूर्ण रहे हैं, विशेष रूप से जब ट्रंप प्रशासन के दौरान अमेरिका ने 2018 में ईरान के साथ हुए ऐतिहासिक परमाणु समझौते (JCPOA) से खुद को अलग कर लिया था। इसके बाद दोनों देशों के बीच मतभेद और गहरे हो गए थे। ट्रंप के राष्ट्रपति रहते हुए अमेरिका ने ईरान पर कई कड़े आर्थिक प्रतिबंध लगाए, जिससे उसकी अर्थव्यवस्था पर व्यापक प्रभाव पड़ा। इसके अलावा, ट्रंप प्रशासन ने जनवरी 2020 में ईरान के शीर्ष सैन्य अधिकारी जनरल कासिम सुलेमानी की बगदाद में ड्रोन हमले में हत्या कर दी थी, जिससे दोनों देशों के बीच टकराव अपने चरम पर पहुंच गया था।
अमेरिका द्वारा विदेशी आर्थिक सहायता पर रोक और ईरान की प्रतिक्रिया
हाल ही में ट्रंप प्रशासन ने USAID एजेंसी के जरिए दुनियाभर में दी जाने वाली आर्थिक सहायता रोकने का फैसला किया। इस कदम का वैश्विक स्तर पर प्रभाव पड़ा है, और ईरान की सरकार ने इस फैसले का स्वागत किया है। ईरानी मीडिया के अनुसार, अमेरिका द्वारा विदेशी फंडिंग रोके जाने से ईरान में रूढ़िवादी सरकार के आलोचकों और उदारवादी गुटों को मिलने वाली आर्थिक मदद भी प्रभावित होगी। ईरान के उदारवादी वर्ग और सामाजिक कार्यकर्ताओं को अमेरिका से जो समर्थन मिल रहा था, वह अब मुश्किल में पड़ सकता है।
ईरान में अमेरिका द्वारा लोकतंत्र समर्थक गतिविधियों को वित्तीय सहायता दी जाती थी, जिसे Near East Regional Democracy Fund (NERD) के जरिए संचालित किया जाता था। इस फंड का उपयोग ईरान के भीतर स्वतंत्र मीडिया संगठनों, सामाजिक कार्यकर्ताओं और मानवाधिकार संगठनों को सहयोग देने के लिए किया जाता था। ईरानी उदारवादी गुटों का मानना है कि इस फंडिंग के बंद होने से ईरान में कट्टरपंथी ताकतों को बल मिलेगा और स्वतंत्र विचारों का दमन और अधिक तेज हो सकता है।
तेहरान की एक उदारवादी महिला कार्यकर्ता ने इस निर्णय पर चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि इससे ईरान में सुधारवादी और लोकतंत्र समर्थक आवाज़ों को कमजोर किया जा सकता है। वहीं, ईरान में मौजूद रूढ़िवादी सरकार और उसके समर्थकों ने इस फैसले का समर्थन किया है, क्योंकि इससे बाहरी हस्तक्षेप में कमी आने की संभावना जताई जा रही है।
क्या ट्रंप और ईरान के बीच वार्ता की संभावना है?
ईरान में कुछ विशेषज्ञों का मानना है कि जिनेवा में अमेरिका द्वारा ईरान की आलोचना से बचने की नीति यह संकेत दे सकती है कि ट्रंप अब बातचीत के लिए तैयार हो सकते हैं। पिछले साल, ईरान के सर्वोच्च नेता अयातुल्ला अली खामेनेई ने भी अमेरिका के साथ वार्ता के दरवाजे खुले रखने की बात कही थी, हालांकि तब यह सिर्फ एक कूटनीतिक संकेत माना गया था।
मंगलवार को ट्रंप ने भी बयान दिया कि वे ईरान के साथ बातचीत करने के लिए तैयार हैं। यह बयान ऐसे समय में आया है जब ईरान के परमाणु कार्यक्रम को लेकर अंतरराष्ट्रीय दबाव बना हुआ है और क्षेत्रीय स्थिरता को लेकर कई चिंताएं सामने आ रही हैं।
विश्लेषकों का मानना है कि अगर ईरान और अमेरिका के बीच वार्ता होती है, तो यह दोनों देशों के लिए कूटनीतिक और आर्थिक दृष्टि से महत्वपूर्ण हो सकता है। अमेरिका के लिए यह पश्चिम एशिया में अपने प्रभाव को बनाए रखने का एक तरीका हो सकता है, जबकि ईरान के लिए यह प्रतिबंधों से राहत पाने और वैश्विक स्तर पर अपनी स्थिति को सुधारने का एक अवसर हो सकता है।
ईरान-अमेरिका संबंधों का भविष्य: क्या वार्ता होगी सफल?
हालांकि अब तक ईरान और अमेरिका के बीच किसी औपचारिक बैठक की पुष्टि नहीं हुई है, लेकिन दोनों पक्षों के हालिया रुख को देखते हुए संभावना है कि भविष्य में बातचीत के लिए माहौल तैयार हो सकता है। ट्रंप प्रशासन ने अब तक ईरान को लेकर एक आक्रामक नीति अपनाई है, लेकिन यदि वह वार्ता के लिए तैयार होते हैं, तो यह एक महत्वपूर्ण बदलाव होगा।
ईरान-अमेरिका संबंधों का भविष्य इस बात पर निर्भर करेगा कि दोनों पक्ष वार्ता की मेज पर किस तरह आते हैं और किन शर्तों पर सहमत होते हैं। यदि बातचीत सफल होती है, तो यह मध्य पूर्व में शांति और स्थिरता की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम हो सकता है। लेकिन अगर वार्ता विफल होती है, तो दोनों देशों के बीच तनाव और बढ़ सकता है, जिससे क्षेत्रीय स्थिरता को खतरा हो सकता है।
अब देखने वाली बात होगी कि आने वाले दिनों में ईरान और अमेरिका के बीच कोई औपचारिक संवाद शुरू होता है या नहीं, और यदि होता है, तो इसका वैश्विक राजनीति और अर्थव्यवस्था पर क्या प्रभाव पड़ता है।