रायपुर। एसईसीएल से निकला कोयला जिन फैक्ट्रियों में जैसा और जितना पहुंचना चाहिए उतना पहुंच ही नहीं पाता है और रास्ते में ही रोककर महंगे कोयले में सस्ता कोयला मिलाने का काला कारोबार बिलासपुर से रायपुर के बीच फल फूल रहा है। दुर्भाग्य से सस्ता कोयला भट्टी में पहुंचकर प्रदूषण का जानलेवा जहर भी फैला रहा है और रोकने वाला कोई नहीं है। क्योंकि सब को सब पता है। और खामोश रहने का खर्चीला सिस्टम भी भाईचारे से चल रहा है। कोयले के इस काले खेल का पिछले दिनों एक बड़ा मामला सामने आया जब एक बड़े उद्योग घराने ने इस हेराफेरी की शिकायत पुलिस में की। पुलिस तो फिर पुलिस है। उसका लगता है इस मामले में बहुत ज्यादा इंटरेस्ट नहीं है। जभी पुलिस ना केवल करोड़ों की हेरा फेरी बल्कि लोगों की जान के लिए खतरा प्रदूषण फैलाने वाले लोगों के खिलाफ कोई कार्रवाई करती नजर नहीं आ रही है। कोयले का यह काला खेल शुरू होता है एसईसीएल से। जहां अलग-अलग ग्रेड के कोयले की बिक्री होती है। यहां से सस्ता कोयला लेकर निकले ट्रेलर रास्ते में कहीं रुकते हैं और वही महंगे कोयले वाले ट्रेलर भी पहुंच जाते हैं। फिर हेरा फेरी शुरू हो जाती है। महंगा कोयला निकालकर उसमें सोचता कोयला डाल दिया जाता है। जो अनजाने में भट्ठियों तक पहुंच जाता है। और फिर प्रदूषण का जानलेवा जहर आसमान को और जीवनदायिनी हवा को जहरीला बना देता है। यह सिलसिला काफी समय से चल रहा है। एसईसीएल और कारखानो के बीच करोड़ों के काले कारोबार की खबर भी संबंधित सभी विभाग को काफी समय से है। अब देखना यह है कि क्या सभी संबंधित विभाग एक बड़े औद्योगिक घराने के कारखाने में पकड़ाई चोरी के बाद जागते है या नही।उस मामले की सही विवेचना कर कोयले का काला कारोबार करने वाले सफेदपोशों के गिरेबान तक उनके हाथ पहुंच पाते हैं या फिर इस गोरखधंधे के ताकतवर लोगों की पहुंच पुलिस के हाथ को आगे बढ़ने से रोक देती है।
कोयले के काले खेल में करोड़ों के वारे न्यारे, रोकने वाला कोई नहीं
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