IIIT की महिला प्रोफेसर ने की आत्महत्या : सुसाइड नोट में लिखा “मैं साइको हूं”

उत्तर प्रदेश : राजधानी लखनऊ के इंदिरानगर में स्थित IIIT की महिला प्रोफेसर आयुषी शर्मा ने अपने घर में फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली। इस घटना ने हर किसी को स्तब्ध कर दिया है, क्योंकि आयुषी ने अपने पीछे एक सुसाइड नोट भी छोड़ा है, जिसमें उसने अपने आप को अपनी मौत का जिम्मेदार ठहराया है। सुसाइड नोट में लिखा है, “मैं साइको हूं, इसलिए मैंने अपनी जिंदगी खत्म करने का फैसला किया है। मुझे कोई नहीं रोक सकता।”

यह घटना इंदिरानगर के ए-ब्लॉक इलाके की है, जहां आयुषी अपने घर में अकेली रहती थीं। उनके परिवार ने बताया कि वह लंबे समय से मानसिक तनाव में थीं और इसका इलाज भी चल रहा था। सुसाइड नोट में उन्होंने साफ लिखा कि वह किसी से नाराज नहीं हैं और उनकी आत्महत्या के लिए किसी और को दोष नहीं दिया जाना चाहिए। इसके साथ ही उन्होंने अपनी मानसिक स्थिति के बारे में बताते हुए कहा कि 2019 से उनकी मानसिक स्थिति ठीक नहीं थी और वे लगातार डर और दर्द का सामना कर रही थीं।

आयुषी ने अपने सुसाइड नोट में यह भी बताया कि वह ठीक से सो नहीं पाती थीं और मानसिक अवसाद के चलते अकेलेपन की शिकार थीं। उन्होंने पहले भी अक्टूबर में आत्महत्या करने की कोशिश की थी, लेकिन तब उनकी हिम्मत नहीं हुई थी।

आयुषी के परिवार के अनुसार, वह अपने जीवन में बहुत अकेलापन महसूस कर रही थीं और यह स्थिति उन्हें अंदर से तोड़ रही थी। वह ज्यादातर समय अकेले ही बिताती थीं और किसी से ज्यादा बातचीत नहीं करती थीं। परिवार के लोग यह मानते हैं कि उनका यही अकेलापन उनकी मौत की बड़ी वजह बना।

इस घटना से एक बार फिर यह सवाल उठता है कि मानसिक स्वास्थ्य और अवसाद से जूझ रहे लोगों को किस तरह से सामाजिक और पारिवारिक सहायता की जरूरत होती है। आयुषी की मौत ने समाज को यह संदेश दिया है कि मानसिक बीमारियों को नज़रअंदाज़ करना कितना घातक साबित हो सकता है।

पुलिस ने मामला दर्ज कर लिया है और मामले की जांच कर रही है। उनके परिवार और करीबी दोस्त इस दुखद घटना से स्तब्ध हैं और सभी यह जानने की कोशिश कर रहे हैं कि आखिर इतनी मेधावी प्रोफेसर, जिसने शिक्षा के क्षेत्र में इतनी प्रगति की थी, इस हद तक मानसिक तनाव से कैसे जूझ रही थी। इस घटना से जुड़ी सभी जानकारियां एकत्रित की जा रही हैं, ताकि आयुषी के मौत के पीछे की वास्तविक वजह सामने आ सके।

आयुषी शर्मा की इस दुखद मौत ने एक बार फिर से समाज में मानसिक स्वास्थ्य के मुद्दे को सामने ला खड़ा किया है। यह घटना एक चेतावनी है कि मानसिक तनाव और अवसाद से जूझ रहे लोगों को समय पर सही सहायता मिलनी चाहिए ताकि ऐसी दर्दनाक घटनाएं रोकी जा सकें।