बृजमोहन की जगह अगर कोई ले सकता है तो उनके विजय रथ का आधार स्तंभ विजय
संपादक अनिल पुसदकर की कलम से
0 राजनीति के मोहन भैया की कमी विजय नहीं खलने देगा
रायपुर दक्षिण विधानसभा में मैराथन पारी खेलकर बृजमोहन अग्रवाल का दिल्ली दौड़ लगा चुके हैं। उनकी जगह कौन लेगा यह सवाल अब उनकी पार्टी के नेताओं के साथ-साथ जनता के मन में भी है? विधानसभा रायपुर दक्षिण सीट खाली हो चुकी है और उसे भरने के लिए उपयुक्त उत्तराधिकारी की तलाश चल रही है। एक से बढ़कर एक नाम सामने आ रहे हैं। लेकिन मेरी नजर में अगर बृजमोहन अग्रवाल का सच्चा उत्तराधिकारी कोई हो सकता है तो वह है उनका अनुज विजय अग्रवाल। बृजमोहन अग्रवाल का एक भी चुनाव ऐसा नहीं हुआ होगा जिसमें विजय अग्रवाल ने महत्वपूर्ण भूमिका नहीं निभाई हो। दक्षिण विधानसभा क्षेत्र के एक-एक वोटर को न केवल नाम से जानता है विजय बल्कि अधिकांश से उसका व्यक्तिगत संबंध भी है। बृजमोहन की हर चुनाव में बढ़ती लीड का एक महत्वपूर्ण कारण विजय अग्रवाल की दक्षिण विधानसभा में सतत सक्रियता भी है। जिस तरह बृजमोहन अग्रवाल का अपना एक अलग नेटवर्क है इस तरह विजय अग्रवाल का भी एक अलग नेटवर्क है। संगठन में महारत हासिल है विजय अग्रवाल को। चाहे स्कूल के दिनों से आरएसपी यानी रामसागर पारा क्रिकेट क्लब को आगे बढ़ाना हो या जेसीज की गतिविधियां, विजय अग्रवाल ने कहीं कोई कमी नहीं छोड़ी। फिर खेल संघ में भी उनकी सक्रियता देखने लायक है। कराते के तो वह लगातार प्रदेश अध्यक्ष का कार्यभार संभाल रहे हैं। ओलंपिक संघ में भी उनके सक्रियता उतनी ही रहती है। कुल मिलाकर देखा जाए तो अगर बृजमोहन अग्रवाल की कोई जगह ले सकता है तो विजय अग्रवाल ही है। वह उनकी कमी खलने भी नहीं देगा। और वैसे भी उसे मोहन भैया का पर्याय ही माना जाता है विजय अग्रवाल को। पार्टी किसके नाम पर मोहर लगती है यह अलग बात है। लेकिन दक्षिण विधानसभा सीट के पर्यायवाची बृजमोहन अग्रवाल की कमी पूरा करना हर किसी के बस की बात नहीं है। और जितने भी नाम आ रहे हैं सामने उनमें एक अकेला विजय ही जो मोहन भैया के विजय रथ को बखूबी आगे बढ़ा सकता है,उनकी विरासत को मजबूत कर सकता है,उनकी सहज सुलभ उपलब्धता का विकल्प हो सकता है,उनकी कमी महसूस नहीं होने देगा।बाकी तो भाजपा का नेतृत्व जाने,लेकिन जनता की पसंद का अगर जनप्रतिनिधि देना हो,तो उन्हे विजय अग्रवाल के नाम पर विचार करना पड़ेगा ही।