महान लोकगायिका तीजन बाई को स्वास्थ्य सुविधाएं: ऑटोमैटिक बेड और व्हीलचेयर की खास सौगात
रायपुर : छत्तीसगढ़ राज्य की पहचान और पंडवानी गायन की अमिट छाप छोड़ने वाली कला साधिका तीजन बाई, जिनकी गायकी ने छत्तीसगढ़ की सांस्कृतिक धरोहर को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पहचान दिलाई, वर्तमान में स्वास्थ्य समस्याओं के चलते अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) में उपचाराधीन हैं। पद्म विभूषण, पद्म भूषण और पद्म जैसे देश के सर्वोच्च सम्मानों से विभूषित तीजन बाई की बीमारी की सूचना मिलते ही मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय ने त्वरित कार्रवाई करते हुए स्वास्थ्य विभाग को उनकी उचित देखभाल और इलाज सुनिश्चित करने का निर्देश दिया।
स्वास्थ्य मंत्री श्याम बिहारी जायसवाल तीजन बाई से व्यक्तिगत रूप से मिलने पहुंचे, जहां उन्होंने उनकी स्थिति की जानकारी प्राप्त की और सहायता स्वरूप 5 लाख रुपये की आर्थिक मदद प्रदान की। इस दौरान, मंत्री ने तीजन बाई की सुविधा के लिए घर पर ही मोटराइज्ड रिमोट कंट्रोल ऑटोमैटिक बेड, बेड टेबल और व्हीलचेयर उपलब्ध कराने का आदेश दिया। स्वास्थ्य विभाग ने तुरंत इन वस्तुओं की आपूर्ति सुनिश्चित की। इसके अतिरिक्त, तीजन बाई के घर पर एक मेडिकल ऑफिसर और फिजियोथेरेपिस्ट की तैनाती की गई है, जो उनके स्वास्थ्य की दिन-प्रतिदिन देखभाल कर रहे हैं। डॉक्टरों की एक विशेष टीम प्रतिदिन उनके घर जाकर उनका स्वास्थ्य परीक्षण करती है और मेडिकल रिपोर्ट तैयार करती है।
राज्य सरकार ने यह सुनिश्चित किया है कि इस सांस्कृतिक रत्न के इलाज और देखभाल में कोई कमी न हो। खुद मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय तीजन बाई की स्वास्थ्य स्थिति पर लगातार नजर बनाए हुए हैं और इस प्रक्रिया की निगरानी के लिए स्वास्थ्य मंत्री श्याम बिहारी जायसवाल को जिम्मेदारी सौंपी है।
पंडवानी की इस महान कलाकार ने छत्तीसगढ़ के पारंपरिक लोकगायन को एक नई पहचान दी है। उनके कला सफर की शुरुआत बेहद साधारण परिवेश से हुई थी, लेकिन उनकी अद्वितीय गायन शैली और महाभारत पर आधारित प्रभावशाली प्रस्तुति ने न केवल देश में, बल्कि विदेशों में भी छत्तीसगढ़ का नाम रोशन किया। उनकी उपस्थिति हर मंच पर ऊर्जा और पारंपरिक संस्कृति का प्रतिबिंब रही है।
तीजन बाई के प्रति सरकार का यह संवेदनशील और सम्मानजनक दृष्टिकोण यह दर्शाता है कि कैसे छत्तीसगढ़ अपने सांस्कृतिक धरोहरों और कलाकारों का ख्याल रखता है। राज्य के नागरिकों के लिए तीजन बाई एक प्रेरणा हैं, और उनकी सेवा और सम्मान के प्रयासों को देखकर स्पष्ट है कि उनकी विरासत को संरक्षित करने के प्रति सरकार कटिबद्ध है।
