“हरियाणा चुनाव: भाजपा ने कांग्रेस को पछाड़ते हुए रचा इतिहास, जानें कैसे हासिल की ऐतिहासिक जीत?”
कांग्रेस, जो शुरू से ही इस बार जीत को लेकर आश्वस्त थी, पार्टी के भीतर जीत के बाद नेतृत्व को लेकर चर्चा शुरू हो गई थी। भूपेंद्र सिंह हुड्डा, कुमारी सैलजा, और रणदीप सुरजेवाला, तीनों ही प्रमुख नेता सीएम पद के दावेदार माने जा रहे थे। युवाओं में बेरोजगारी, किसानों और पहलवानों की नाराजगी जैसे बड़े मुद्दे उठाकर कांग्रेस ने जनता के बीच अपनी पकड़ बनाने की कोशिश की थी। लेकिन भाजपा ने इन सभी चुनौतियों के बावजूद, कांग्रेस को कड़ी टक्कर दी और अंततः जीत की कुंजी अपने हाथ में कर ली। इसे चुनावी रणनीति की एक बेजोड़ मिसाल के रूप में देखा जा रहा है, जिसमें भाजपा ने कांग्रेस को ‘बगलडूब’ दांव से हराया। यह रणनीति वैसी ही है, जैसे कुश्ती में एक पहलवान बगल से निकलकर विरोधी पहलवान को मात दे देता है।
भाजपा का आंतरिक सर्वेक्षण और सीटों पर केंद्रित रणनीति
भाजपा की जीत के पीछे एक महत्वपूर्ण कारण उसकी आंतरिक सर्वेक्षणों पर आधारित रणनीति रही। शुरुआती सर्वेक्षणों में भाजपा को 35 से 38 सीटों पर जीत का अंदाजा था, जिसके बाद पार्टी ने उन 18 सीटों पर ध्यान केंद्रित किया, जहां मुकाबला बहुकोणीय था। इसके अलावा, 39 सीटों पर जहां सीधा मुकाबला कांग्रेस से था, वहां भी भाजपा ने पूरी ताकत झोंक दी। मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी के नेतृत्व में यह योजना बनी कि यदि गठबंधन की आवश्यकता पड़ी तो सारी व्यवस्थाएं की जा चुकी हैं, जिससे भाजपा एक मजबूत स्थिति में रही।
कम मतदान और सत्ता विरोधी लहर के बावजूद जीत
इस बार के चुनाव में 67.90 प्रतिशत मतदान हुआ, जो 2019 के मुकाबले .02 प्रतिशत कम था। यह हरियाणा के चुनावी इतिहास में चौथा सबसे कम मतदान था। इसे सत्ता विरोधी लहर से जोड़कर देखा जा रहा था, क्योंकि भाजपा पिछले 10 साल से राज्य में सत्ता में थी। लेकिन कम मतदान और सत्ता विरोधी लहर के बावजूद भाजपा ने जीत की पटकथा लिखी, जो उसकी चुनावी रणनीति की सफलता का प्रमाण है।
एग्जिट पोल्स और रुझान
चुनावी अभियान के दौरान किसी भी एग्जिट पोल ने भाजपा को बहुमत मिलने का अनुमान नहीं लगाया था। कांग्रेस की वापसी के संकेत आठ एग्जिट पोल्स से मिल रहे थे। मंगलवार की सुबह रुझानों में भी 100 मिनट तक कांग्रेस आगे रही, लेकिन जैसे-जैसे समय बीता, भाजपा ने रुझानों में बढ़त बना ली और कांग्रेस 40 सीटों के आंकड़े को भी पार नहीं कर पाई। इसके बावजूद भाजपा की जीत का राज उसकी सूझबूझ और मजबूत रणनीति में छिपा था।
भाजपा का लगातार तीसरी बार सरकार बनाना – एक नया इतिहास
हरियाणा के चुनावी इतिहास में यह पहली बार हुआ है जब कोई दल लगातार तीसरी बार सरकार बनाने की स्थिति में आया है। भाजपा ने 2014 और 2019 के बाद अब 2024 में भी जीत हासिल करके इतिहास रच दिया। यह जीत भाजपा के लिए एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर है, जिससे उसकी संगठनात्मक शक्ति और चुनावी रणनीति की कुशलता का पता चलता है।
जजपा का वोट बैंक खिसका, लेकिन भाजपा को फायदा
दुष्यंत चौटाला की जजपा को 2019 में 14.9 प्रतिशत वोट मिले थे, लेकिन इस बार जजपा का वोट बैंक कांग्रेस और इनेलो में बंट गया। कांग्रेस को इस बार 40 प्रतिशत मत हासिल होते दिखे, जबकि भाजपा को 39 प्रतिशत। बावजूद इसके, भाजपा ने कांग्रेस से ज्यादा सीटें हासिल कीं। यह भाजपा की चुनावी रणनीति की एक और बड़ी कामयाबी थी।
मुख्यमंत्री बदलने की रणनीति और चुनावी जीत
हरियाणा में भाजपा ने मुख्यमंत्री बदलकर अपनी चुनावी रणनीति को सफल बनाया। मनोहर लाल खट्टर की जगह नायब सिंह सैनी को मुख्यमंत्री बनाकर भाजपा ने पंजाबी और पिछड़ा वर्ग के वोटों को अपने पक्ष में किया। यह कदम भाजपा के लिए लाभकारी साबित हुआ और इससे पार्टी को मजबूती मिली।
योगी आदित्यनाथ की एंट्री और मोदी-शाह का नेतृत्व
चुनाव प्रचार के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, गृह मंत्री अमित शाह, और उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने हरियाणा में 14 रैलियां कीं, जिससे भाजपा की स्थिति और मजबूत हो गई। योगी आदित्यनाथ ने 20 से ज्यादा विधानसभा क्षेत्रों को कवर किया, जिनमें से 14 सीटों पर भाजपा जीतती नजर आई।
प्रधानमंत्री पर निजी हमलों को चुनावी मुद्दा बनाना
चुनाव अभियान के दौरान कांग्रेस नेताओं द्वारा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर किए गए निजी हमलों को भी भाजपा ने चुनावी मुद्दा बना दिया। जेपी नड्डा ने इस बात को उठाते हुए कांग्रेस पर तीखा हमला किया, जिससे जनता में भाजपा के प्रति सहानुभूति का माहौल बना।
तीन प्रमुख मुद्दों पर भाजपा का फोकस
हरियाणा के चुनाव में बेरोजगारी, दलित वर्ग, और किसान सबसे प्रमुख मुद्दे रहे। भाजपा ने एक लाख 40 हजार युवाओं को सरकारी नौकरी देने का वादा किया और बेरोजगारी के मुद्दे पर कांग्रेस की चुनौती का सामना किया। दलित वर्ग, जो हरियाणा की 17 सीटों पर निर्णायक था, उसे लुभाने के लिए भाजपा ने कुमारी सैलजा के कांग्रेस से दूरी बनाने को भी मुद्दा बनाया। किसानों के मुद्दे पर भाजपा ने एमएसपी पर 24 फसलों की खरीद का ऐलान किया, जिससे ग्रामीण इलाकों में उसका जनाधार मजबूत हुआ।
निष्कर्ष
हरियाणा के 2024 विधानसभा चुनाव में भाजपा ने एक बार फिर दिखा दिया कि वह अपनी चुनावी रणनीति, संगठनात्मक ढांचे और प्रमुख नेताओं की टीमवर्क के दम पर किसी भी चुनौती का सामना कर सकती है। युवा, दलित, और किसान मुद्दों को ध्यान में रखते हुए कांग्रेस ने जो आक्रामक अभियान चलाया था, उसे भाजपा ने अपनी सूझबूझ और धैर्य के साथ मात दी।
