“ज्ञानवापी विवाद: कोर्ट के फैसले के बाद जगद्गुरु रामभद्राचार्य ने कहा, ‘उच्च न्यायालय में मिलेगी जीत'”

वाराणसी :  ज्ञानवापी मस्जिद विवाद में शुक्रवार को एक महत्वपूर्ण मोड़ आया, जब वाराणसी जिला अदालत ने हिंदू पक्ष की खुदाई के जरिए सर्वेक्षण की मांग को खारिज कर दिया। इस निर्णय ने हिंदू समुदाय के लिए एक बड़ा झटका दिया, क्योंकि वे ज्ञानवापी परिसर के अन्य हिस्सों के साथ-साथ केंद्रीय गुंबद के नीचे खुदाई की अनुमति चाहते थे। इस फैसले के बाद, जगद्गुरु रामभद्राचार्य ने मीडिया से बात करते हुए कहा कि उनका विश्वास है कि वे उच्च न्यायालय और अंततः सर्वोच्च न्यायालय में अपील करेंगे और उन्हें उम्मीद है कि अंतिम निर्णय उनके पक्ष में आएगा।

कोर्ट में हुई सुनवाई के दौरान, हिंदू पक्ष ने Archaeological Survey of India (ASI) द्वारा सर्वे कराने की मांग की थी। उनका तर्क था कि परिसर के अन्य हिस्सों की भी जांच आवश्यक है, ताकि सत्यता का पता लगाया जा सके। हालांकि, मुस्लिम पक्ष ने इस मांग का विरोध किया, यह दावा करते हुए कि पहले ही एक सर्वेक्षण किया जा चुका है और दोबारा सर्वेक्षण का कोई औचित्य नहीं है। उन्होंने यह भी कहा कि खुदाई से मस्जिद को नुकसान पहुंच सकता है, जिससे धार्मिक स्थल की सुरक्षा पर गंभीर खतरा हो सकता है।

इस विवाद में मुस्लिम पक्ष ने 19 अक्टूबर को सर्वेक्षण की प्रक्रिया को चुनौती देते हुए वाराणसी जिला अदालत में अपना पक्ष रखा। उन्होंने अदालत से जल्द सुनवाई की गुहार लगाई, यह तर्क देते हुए कि ऐसे मामलों में समय की बहुत अहमियत होती है। मुस्लिम पक्ष का कहना था कि पहले किए गए सर्वेक्षण में जो तथ्य सामने आए हैं, वही प्रमुख हैं और नए सर्वेक्षण का कोई मतलब नहीं है।

इस बीच, जगद्गुरु रामभद्राचार्य ने अपने बयान में हिंदू पक्ष की दृढ़ता को दर्शाया। उन्होंने यह स्पष्ट किया कि उनका अगला कदम उच्च न्यायालय में अपील करना होगा। उनका विश्वास है कि भारतीय न्यायपालिका अंततः सच्चाई को उजागर करेगी और इस मामले का सही समाधान निकालेगी। यह मामला न केवल धार्मिक और कानूनी पहलुओं से संबंधित है, बल्कि समाज में विभिन्न धार्मिक समुदायों के बीच विश्वास और सहयोग के माहौल को भी प्रभावित करता है।

ज्ञानवापी विवाद के इस नए चरण में, सभी की निगाहें उच्च न्यायालय पर टिकी हैं, जहां हिंदू पक्ष अपने अधिकारों की रक्षा के लिए न्याय की उम्मीद कर रहा है। इस मुद्दे का न केवल धार्मिक, बल्कि राजनीतिक महत्व भी है, क्योंकि यह विभिन्न समुदायों के बीच की समझ और सहिष्णुता के लिए एक परीक्षा की तरह है।