राज्यपाल रमेन डेका बने आयुर्वेदिक जागरूकता अभियान का हिस्सा

रायपुर :  राज्यपाल रमेन डेका ने आज राजभवन में आयुष विभाग के चिकित्सकों से प्रकृति परीक्षण करवाकर आयुर्वेद के महत्व को समझने और जनमानस में इसके प्रति जागरूकता बढ़ाने का संदेश दिया। इस विशेष अवसर पर छत्तीसगढ़ आयुर्वेद एवं यूनानी चिकित्सा पद्धति और नेचुरोपैथी काउंसिल, रायपुर के रजिस्ट्रार डॉ. संजय शुक्ला, आयुष विभाग के संयुक्त संचालक डॉ. सुनिल दास, शासकीय आयुर्वेदिक महाविद्यालय रायपुर के प्राचार्य डॉ. जी.आर. चतुर्वेदी, साथ ही वरिष्ठ चिकित्सक डॉ. विनय भारद्वाज और डॉ. ओ.पी. राउत उपस्थित रहे।

कार्यक्रम के दौरान आयुष मंत्रालय, भारत सरकार द्वारा संचालित देशव्यापी प्रकृति परीक्षण अभियान की जानकारी साझा की गई। यह अभियान संविधान दिवस (26 नवंबर) से शुरू होकर पूर्व प्रधानमंत्री स्वर्गीय अटल बिहारी वाजपेयी की जयंती (25 दिसंबर) तक चलेगा। इसका उद्देश्य आयुर्वेद के तीन प्रमुख दोषों – वात, पित्त और कफ के आधार पर नागरिकों की प्रकृति का परीक्षण करना और उनके स्वास्थ्य की स्थिति के अनुरूप जीवनशैली एवं उपचार की सिफारिश करना है।

इस अभियान के तहत आयुर्वेद के सिद्धांतों को तकनीकी रूप से सशक्त बनाने के लिए एक विशेष मोबाइल एप का उपयोग किया जा रहा है। इसके माध्यम से छत्तीसगढ़ राज्य में 15 लाख से अधिक नागरिकों का परीक्षण किया जाएगा। इस प्रयास में आयुर्वेद से जुड़े शासकीय और निजी संस्थानों के शिक्षक, चिकित्सक, और छात्र-छात्राएं सक्रिय भूमिका निभाएंगे।

राज्यपाल रमेन डेका ने इस पहल की सराहना करते हुए कहा कि आयुर्वेद, यूनानी और प्राकृतिक चिकित्सा पद्धतियां न केवल हमारी प्राचीन धरोहर हैं, बल्कि वर्तमान समय में स्वस्थ जीवन जीने के लिए मार्गदर्शक भी हैं। उन्होंने आयुष विभाग के इस प्रयास को जनस्वास्थ्य की दिशा में एक बड़ा कदम बताते हुए इसे अधिक से अधिक नागरिकों तक पहुंचाने का आह्वान किया।

इस अवसर पर उपस्थित विशेषज्ञों ने आयुर्वेदिक पद्धतियों की वैज्ञानिकता, इसके लाभ और जीवनशैली से संबंधित मुद्दों पर प्रकाश डाला। इस अभियान से न केवल आयुर्वेद की प्रभावशीलता को बढ़ावा मिलेगा, बल्कि इसे नई पीढ़ी तक पहुंचाने और इसे आधुनिक संदर्भों में प्रासंगिक बनाने में भी सहायता मिलेगी।