सेना अधिकारी और महिला मित्र से दुर्व्यवहार के आरोप में ओडिशा पुलिस के पांच कर्मी निलंबित
भुवनेश्वर : भरतपुर पुलिस स्टेशन में एक विवादित घटना सामने आई, जिसमें ओडिशा पुलिस के पांच कर्मियों पर सेना के अधिकारी और उनकी महिला मित्र से दुर्व्यवहार और मारपीट का आरोप लगा। इस मामले के बाद पुलिस महानिदेशक (DGP) वाईबी खुराना ने पांच पुलिसकर्मियों, जिनमें इंस्पेक्टर दिनकृष्ण मिश्रा, सब-इंस्पेक्टर बैसालिनी पांडा, एएसआई सलिलमयी साहू, सागरिका रथ, और कॉन्स्टेबल बलराम हांसदा शामिल हैं, को तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया।
यह घटना तब शुरू हुई जब सेना अधिकारी, जो पश्चिम बंगाल में तैनात हैं, और उनकी महिला मित्र ने रोड रेज की शिकायत दर्ज कराने के लिए भरतपुर पुलिस स्टेशन का रुख किया। लेकिन शिकायत दर्ज कराने के दौरान बात बिगड़ गई। पुलिस के अनुसार, दोनों थाने में “आपत्तिजनक हालत” में पहुंचे थे और जब उन्हें शिकायत दर्ज कराने के लिए लिखित में बयान देने के लिए कहा गया, तब उन्होंने इससे इनकार कर दिया। इसके बाद सेना अधिकारी और उनकी महिला मित्र ने कथित रूप से पुलिसकर्मियों के साथ दुर्व्यवहार किया, जिसके परिणामस्वरूप सेना अधिकारी को लॉकअप में बंद कर दिया गया और महिला मित्र को महिला पुलिसकर्मी द्वारा एकांत कमरे में ले जाया गया।
इस विवाद के बाद भारतीय सेना के सेंट्रल कमांड ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर पोस्ट करते हुए कहा कि सेना इस घटना को गंभीरता से ले रही है और राज्य के अधिकारियों से उचित कार्रवाई की मांग की है। सेना के अधिकारी को लगभग 10 घंटे तक लॉकअप में रखा गया, और भारतीय सेना के हस्तक्षेप के बाद उन्हें रिहा किया गया।
इसके बाद ओडिशा पुलिस ने मामले को गंभीरता से लेते हुए पांच पुलिसकर्मियों के निलंबन के साथ-साथ जांच शुरू की। ओडिशा क्राइम ब्रांच की एक पांच सदस्यीय टीम ने पुलिसकर्मियों से चार घंटे से अधिक समय तक पूछताछ की, ताकि इस घटना की सच्चाई का पता लगाया जा सके।
इस मामले ने राज्यभर में चर्चा को जन्म दिया, खासकर जब सेना के अधिकारी की महिला मित्र ने ओडिशा हाई कोर्ट में याचिका दायर की। याचिका में महिला मित्र ने पुलिस द्वारा दुर्व्यवहार और छेड़छाड़ का आरोप लगाया। हाई कोर्ट ने मामले की गंभीरता को ध्यान में रखते हुए महिला मित्र का इलाज एम्स भुवनेश्वर में कराने का आदेश दिया। यह आदेश मामले की संवेदनशीलता और संभावित प्रभाव को दर्शाता है, जो सेना और पुलिस के बीच तनाव को दर्शाता है।
मामले की जांच के चलते निलंबित पुलिसकर्मियों को भुवनेश्वर-कटक पुलिस आयुक्तालय के नियंत्रण में ट्रांसफर कर दिया गया है, जहां उन्हें विशेष भत्ते और महंगाई भत्ते का अधिकार मिलेगा। हालांकि, इन पर लगे आरोपों की गंभीरता को देखते हुए आगे की जांच अभी भी जारी है।
यह घटना न केवल पुलिस और सेना के बीच सामंजस्य पर सवाल उठाती है, बल्कि पुलिस कार्यशैली और उनके द्वारा किए जाने वाले व्यवहार पर भी बहस को जन्म देती है। विशेष रूप से ऐसे मामलों में, जहां कानून प्रवर्तन और सेना के सदस्य शामिल होते हैं, सही और निष्पक्ष जांच की जरूरत होती है ताकि दोनों पक्षों को न्याय मिल सके।