“मत्स्य पालन से लक्ष्मीनाथ की आय में हुआ इजाफा: एक नया आर्थिक मॉडल”

दंतेवाड़ा

मनरेगा योजना, जो ग्रामीण विकास और रोजगार सृजन के लिए जानी जाती है, ने कई जिलों में ग्रामीणों के जीवन में सकारात्मक बदलाव लाने का कार्य किया है। इस योजना के अंतर्गत विभिन्न आजीविका उन्मुख कार्य, जैसे डबरी निर्माण, कुएं का निर्माण और खेत समतलीकरण, ग्रामीणों के लिए रोजगार के नए अवसर प्रस्तुत कर रहे हैं। इससे न केवल उनके आर्थिक स्तर में सुधार हो रहा है, बल्कि उनकी सामाजिक स्थिति भी मजबूत हो रही है।

गीदम ब्लॉक के झोडियाबाड्म गांव के किसान लक्ष्मीनाथ, जो इस योजना के लाभार्थी हैं, ने डबरी का उपयोग केवल सिंचाई के लिए ही नहीं, बल्कि मत्स्य पालन के लिए भी किया है। लक्ष्मीनाथ का मानना है कि इस पहल से उन्हें आर्थिक रूप से स्वतंत्रता मिली है। उन्होंने बताया कि अब तक उन्होंने लगभग 35 हजार रुपये की आय मछली पालन से अर्जित की है।

मनरेगा के माध्यम से निर्मित डबरी ने न केवल उनकी फसलों की पैदावार को बढ़ाया है, बल्कि जल प्रबंधन में भी मदद की है। किसान लक्ष्मीनाथ अपनी सफलता के अनुभवों को साझा करते हुए कहते हैं कि अन्य कृषकों को भी इस योजना का लाभ उठाना चाहिए। उनका मानना है कि इस तरह के लाभदायक कार्यों के माध्यम से वे न केवल अपनी आर्थिक स्थिति को सुधार सकते हैं, बल्कि अपनी स्थानीय अर्थव्यवस्था को भी सशक्त बना सकते हैं।

इस योजना के अंतर्गत किया गया डबरी निर्माण न केवल सिंचाई की सुविधा प्रदान करता है, बल्कि मछली पालन के माध्यम से किसानों के लिए अतिरिक्त आय का स्रोत भी बनता है। लक्ष्मीनाथ का यह उदाहरण दर्शाता है कि कैसे मनरेगा योजना के तहत किये गए प्रयास, ग्रामीण जीवन को बेहतर बना सकते हैं और किसानों को आत्मनिर्भर बना सकते हैं।

उनकी सफलता की कहानी यह बताती है कि जब किसान अपने संसाधनों का सही उपयोग करते हैं, तो न केवल उनकी आर्थिक स्थिति सुधरती है, बल्कि वे अन्य किसानों को भी प्रोत्साहित कर सकते हैं कि वे अपनी कृषि गतिविधियों में विविधता लाएं और अपनी आय के स्रोतों को बढ़ाएं। इस प्रकार, मनरेगा योजना ने लक्ष्मीनाथ और उनके जैसे अन्य किसानों के लिए समृद्धि का नया मार्ग प्रशस्त किया है।