डोनाल्ड ट्रंप के ऐतिहासिक शपथ ग्रहण समारोह में भारत का प्रतिनिधित्व करेंगे विदेश मंत्री एस जयशंकर
वाशिंगटन: भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर 20 जनवरी को अमेरिका के नवनिर्वाचित राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के शपथ ग्रहण समारोह में भारत का प्रतिनिधित्व करेंगे। यह यात्रा भारत-अमेरिका के रणनीतिक संबंधों को और मजबूत बनाने के साथ-साथ आने वाले ट्रंप प्रशासन के साथ भारत की प्राथमिकताओं और दृष्टिकोण को साझा करने का महत्वपूर्ण अवसर है। विदेश मंत्रालय (MEA) के अनुसार, विदेश मंत्री जयशंकर का यह दौरा वैश्विक मंच पर भारत की कूटनीतिक सक्रियता और आपसी सहयोग को बढ़ावा देने की दिशा में एक अहम कदम है।
शपथ ग्रहण समारोह में भागीदारी
विदेश मंत्रालय ने कहा कि जयशंकर अमेरिकी प्रशासन की आमंत्रण समिति द्वारा भेजे गए निमंत्रण पर भारत सरकार का प्रतिनिधित्व करेंगे। यह शपथ ग्रहण समारोह वाशिंगटन में आयोजित होगा, जहां डोनाल्ड ट्रंप 47वें राष्ट्रपति के रूप में शपथ लेंगे। यह कार्यक्रम केवल अमेरिका के लिए ही नहीं, बल्कि पूरी दुनिया के लिए महत्वपूर्ण है क्योंकि इसमें वैश्विक शक्ति के नए नेतृत्व का औपचारिक आगाज होगा।
अहम बैठकों का एजेंडा
अपनी वाशिंगटन यात्रा के दौरान, विदेश मंत्री ट्रंप प्रशासन के प्रमुख अधिकारियों और प्रतिनिधियों से मुलाकात करेंगे। इन बैठकों का उद्देश्य दोनों देशों के बीच आर्थिक, सामरिक और तकनीकी सहयोग को नए आयाम देना है। संभावित वार्ताओं में व्यापार, सुरक्षा, रक्षा साझेदारी, इंडो-पैसिफिक क्षेत्र में सहयोग, और वैश्विक चुनौतियों जैसे जलवायु परिवर्तन और आतंकवाद से निपटने के उपायों पर चर्चा की संभावना है।
इसके अलावा, विदेश मंत्री अन्य अंतरराष्ट्रीय गणमान्य व्यक्तियों से भी मिलेंगे, जो इस विशेष अवसर पर अमेरिका आएंगे। इन बैठकों के जरिए भारत अपनी वैश्विक कूटनीति को और प्रभावी बनाएगा और बहुपक्षीय मंचों पर अपनी उपस्थिति को मजबूत करेगा।
भारत-अमेरिका संबंधों की अहमियत
भारत और अमेरिका के बीच पिछले कुछ वर्षों में बहुआयामी संबंध काफी मजबूत हुए हैं। चाहे वह व्यापार हो, सैन्य सहयोग, प्रौद्योगिकी हस्तांतरण, या जलवायु सहयोग—हर क्षेत्र में दोनों देशों ने नई ऊंचाइयों को छुआ है। इस यात्रा को दोनों देशों के बीच के रिश्ते को और सुदृढ़ करने के कदम के रूप में देखा जा रहा है।
विदेश मंत्री की यह यात्रा न केवल द्विपक्षीय साझेदारी की प्रगति की दिशा में महत्वपूर्ण है, बल्कि भारत की वैश्विक स्थिति को भी नई धार देने का माध्यम बन सकती है। यह देखना दिलचस्प होगा कि आने वाले प्रशासन के साथ जयशंकर की चर्चाएं कैसे भारत-अमेरिका संबंधों को नई दिशा देने में सहायक साबित होती हैं।