बिहार के नगपुरा में धर्मांतरण का मामला:मच गया हड़कंप, पुलिस और प्रशासन जांच में जुटे
बक्सर : बिहार के बक्सर जिले के सिमरी प्रखंड के नगपुरा गांव में धर्मांतरण का एक गंभीर मामला सामने आया है, जिसने पूरे क्षेत्र में हड़कंप मचा दिया है। ग्रामीणों और हिंदू संगठनों ने आरोप लगाया है कि ईसाई मिशनरियां ग्रामीणों को गंगा स्नान के बहाने बुलाकर उनका धर्म परिवर्तन कराने का प्रयास कर रही हैं। इस घटना का वीडियो भी सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है, जिसमें कथित तौर पर बड़ी संख्या में ग्रामीणों को गंगा में स्नान करते और उनके सिर पर क्रॉस का निशान बनाते हुए देखा जा सकता है।
घटना की पूरी कहानी
घटनास्थल नगपुरा गांव में यह आरोप लगाया गया है कि ईसाई मिशनरियों ने लगभग 60-70 ग्रामीणों को गंगा घाट पर बुलाया और गंगा स्नान करवाने के बाद उनके धार्मिक प्रतीकों को बदलने का प्रयास किया। स्थानीय लोगों का दावा है कि इन ग्रामीणों में से कई महिलाओं का सिंदूर हटाकर उन्हें लॉकेट पहनाया गया। इसके साथ ही, उनका धर्मांतरण करने के लिए क्रॉस का निशान बनाकर उनकी धार्मिक मान्यताओं को प्रभावित करने की कोशिश की गई।
ग्रामीणों और हिंदू संगठनों का कहना है कि मिशनरियों ने लालच देकर धर्म परिवर्तन कराने का प्रयास किया। इस घटना के बाद इलाके में आक्रोश फैल गया और धार्मिक सौहार्द्र पर संकट के बादल मंडराने लगे।
हिंदू संगठनों का विरोध और प्रशासन की सक्रियता
घटना की जानकारी मिलते ही हिंदू संगठनों ने इसका विरोध किया और इसे धार्मिक सौहार्द्र बिगाड़ने की साजिश करार दिया। संगठनों ने तुरंत पुलिस को सूचित किया और थाने में लिखित शिकायत दर्ज कराई। उनका कहना है कि धर्मांतरण की ये घटनाएं समाज में अलगाव और तनाव पैदा कर सकती हैं।
सूचना मिलते ही डुमरांव के अनुमंडल पदाधिकारी और अनुमंडल पुलिस पदाधिकारी मौके पर पहुंचे। पुलिस ने घटनास्थल की जांच शुरू की और मामले में आवश्यक कानूनी कार्रवाई की बात कही है। थानाध्यक्ष कमलनयन पांडे ने बताया कि उच्च अधिकारियों के निर्देश पर इस मामले में आगे की कार्रवाई की जाएगी।
मंत्री नीरज बबलू का बयान
इस मामले ने राज्य स्तर पर भी राजनीतिक सरगर्मी बढ़ा दी है। बिहार सरकार के मंत्री नीरज बबलू ने इसे गंभीर मुद्दा बताते हुए कहा कि धर्मांतरण रोकने के लिए ठोस कदम उठाए जाने चाहिए। उन्होंने मांग की कि धर्मांतरण करने वालों का आरक्षण समाप्त कर दिया जाए और दोषियों पर कड़ी कार्रवाई की जाए। मंत्री ने इस मामले को मुख्यमंत्री के समक्ष ले जाने और तत्काल कार्रवाई की बात कही।
ईसाई मिशनरियों का पक्ष
वहीं, दूसरी ओर ईसाई समुदाय ने इन आरोपों को खारिज करते हुए कहा है कि यह महज धार्मिक प्रचार-प्रसार की सामान्य प्रक्रिया है, और इसमें किसी प्रकार का धर्मांतरण नहीं किया गया। उन्होंने इस घटना को गलतफहमी का परिणाम बताया।
धार्मिक सौहार्द्र की चिंता और भविष्य की राह
यह मामला क्षेत्र में धार्मिक सौहार्द्र को प्रभावित कर सकता है। प्रशासन ने इस घटना की जांच शुरू कर दी है और दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई का आश्वासन दिया है। इस घटना ने धर्मांतरण और धार्मिक स्वतंत्रता के मुद्दे पर एक बार फिर से बहस छेड़ दी है।
बक्सर की यह घटना स्थानीय और राज्य स्तर पर चर्चा का विषय बन गई है। यह देखना महत्वपूर्ण होगा कि प्रशासन और सरकार इस मामले को कैसे सुलझाती है और भविष्य में ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए क्या कदम उठाए जाते हैं।